मप्र में आंगनवाड़ियों में टेक होम राशन की सप्लाई को लेकर मचा बवाल थम नहीं रहा है। सीएजी की रिपोर्ट में उठे सवालों पर कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी (आप) हमलावर हो गई है। दिल्ली से आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश बालियान ने ट्वीट करते हुए प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए। इस पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पलटवार करते हुए केजरीवाल सरकार को घेरा।
AAP विधायक ने मप्र सरकार को घेरा-
दिल्ली से आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश बाल्यान ने ट्वीट करते हुए लिखा- MP में जो बच्चों का राशन घोटाला हुआ है, उसकी हैवानियत का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि राशन ट्रक के नाम पर बाइक, ऑटो का नम्बर दिया गया। लाखों बच्चे रातों-रात राशन लेने वालों के नाम में जोड़े गए, जबकि इन नाम के बच्चों का अता-पता नहीं। ये विभाग खुद शिवराज चौहान जी के पास है। आप MLA ने फिर लिखा- शिवराज जी, मैंने जो मुद्दे उठाये आप उस मुद्दे का जवाब देने की बजाय बात को कही और डायवर्ट कर रहे हैं। CAG की 36 पन्नों की रिपोर्ट में अरबों के घोटाले का ज़िक्र है। ये CAG की प्रारम्भिक और अंतिम रिपोर्ट क्या होता है? मतलब आप अभी से तैयारी कर रखे हैं की इसे झुठला देना है?
फिर CM शिवराज ने केजरीवाल सरकार पर बोला हमला
ट्वीट पर सीएम शिवराज ने पलटवार किया। उन्होंने लिखा- ये CAG की अंतिम रिपोर्ट नहीं है। प्रारंभिक रिपोर्ट है, जिस पर अभी विभाग को अपना पक्ष प्रस्तुत करना है। कांग्रेस ने पोषण आहार संयंत्रों को महिला स्व-सहायता समूहों से वापस लेने की कार्यवाही की थी। कांग्रेस शासनकाल में निम्न स्तर का पोषण देने पर 35 करोड़ की राशि रोकी गई। हाँ, अरविंद केजरीवाल जी और मनीष सिसोदिया जी आपकी आम आदमी पार्टी ने तो चार वर्ष से CAG रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में प्रस्तुत ही नहीं की। कहीं आपके घोटाले सामने न आ जाएं।
गृहमंत्री ने CAG रिपोर्ट की आपत्तियों पर दिया जवाब
टेक होम राशन (THR) सप्लाई को लेकर सीएजी की रिपोर्ट में आई आपत्तियों पर सरकार के प्रवक्ता और गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने आठ पॉइंट्स पर जवाब दिया है।
ऑडिट की आपत्ति नंबर- 1- ऑडिट में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास ने बेस लाइन सर्वे नहीं किया। उन्होंने ऐसी बालिकाएं, जो स्कूल में पढाई नहीं कर रही थीं, उनकी संख्या 36 लाख बताई, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग ने यह संख्या 9 इजार बताई है।
सरकार का जवाब- महिला एवं बाल विकास के सर्वे में पाया कि 2 लाख 52 हजार बालिकाएं ऐसी हैं, जो स्कूलों नहीं जा रही रही हैं। यह आंकड़ा भारत सरकार को भी सितम्बर 2018 में भेजा गया है। इन्हीं बालिकाओं को पोषण आहार दिया गया। 36 लाख का आंकड़ा विभाग ने ऑडिट को नहीं दिया। स्कूल शिक्षा विभाग की संख्या में वह बालिकाएं शामिल हैं, जो किसी स्कूल में दर्ज नहीं है। महिला बाल विकास के सर्वे में वो बालिकाएं शामिल हैं, जो स्कूल नहीं जातीं। भले ही उनका नाम स्कूल में दर्ज है। इस तरह स्कूल शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास का आंकड़ा कभी भी एक नहीं हो सकता। यह कार्यवाही केन्द्र सरकार के निर्देशों के मुताबिक है।
ऑडिट की आपत्ति नंबर- 2 (क) ऑडिट में यह भी लिखा है कि कच्चे माल की लागत और उपयोग की गई बिजली को देखते हुए ऐसा लगता है कि प्लांट से ज्यादा उत्पादन रिकॉर्ड में दिखाया गया है।
सरकार का जवाब- वास्तव में हर प्लांट में कई प्रक्रियाओं के अंतर्गत अलग-अलग तरह से पोषण आहार तैयार किये जाते हैं। उदाहरण के लिए- खिचड़ी, बर्फी, हल्वा, लड्डू आदि सामग्री बनाने में औसत बिजली की खपत से उत्पादन को सीधे जोड़ने का औचित्य नहीं है, फिर भी हम इस संबंध में विस्तृत विश्लेषण ऑडिट के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।
ऑडिट की आपत्ति नंबर- 2.(ख)– ऑडिट में पोषण आहार संयंत्रों में FSSAI (फूड सेफ्टी एण्ड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) लायसेंस में दर्शाई उत्पादन क्षमता से अधिक उत्पादन करना बताया गया है।
सरकार का जवाब- ऑडिट में बाडी पोषण आहार संयंत्र के संबंध में लिखा है कि इस प्लांट में खिचडी की उत्पादन क्षमता 4 मी.टन प्रतिदिन है। वास्तव में FSSAI के द्वारा जारी लायसेंस में कुल उत्पादन क्षमता 140 मी.टन प्रतिदिन है। FSSAI के लाइसेंस की प्रति संलग्न है।
ऑडिट की आपत्ति नंबर- 4 – रिपोर्ट में कहा गया है कि पोषण आहार का परिवहन ऐसे वाहनों से किया गया है जिनके नम्बर वास्तव में कार, स्कूटर अथवा ट्रेक्टर के हैं अथवा वह नम्बर पोर्टल पर उपलबध ही नहीं है यानि वह किसी रजिस्टर्ड वाहन के नम्बर नहीं हैं।
सरकार का जवाब- ऑडिट की भी यह रिपोर्ट सही नहीं है। उदाहरण के लिए ऑडिट ने वाहन क्रमांक एमपी 15 AV 3835 का उल्लेख किया है, जो परिवहन पोर्टल पर दर्ज नहीं है। अभिलेखों की जांच में यह देखा गया कि पोषण आहार वास्तव में वाहन क्रमांक एमपी 15 LA 3835 से किया गया न कि वाहन क्रमांक एमपी 15 AV 3835 से। पोषण आहार संयंत्र सागर के तौल कांटे और सुरक्षा रजिस्टर में एमपी 15 LA 3835 दर्ज है। ऑडिट को रिपोर्ट देने से पहले तौल कांटे और सुरक्षा रजिस्टरों को भी देखना चाहिए था, जहां पर सही एंट्री की गई है।
ऑडिट की आपत्ति नंबर- 5 – ऑडिट के मुताबिक 8 जिलों में करीब 97,656 मी.टन का पोषण आहार प्राप्त हुआ, लेकिन आंगन वाडियों में लगभग 86,377 मी.टन परिवहन किया गया। शेष पोषण आहार स्टॉक में भी नहीं पाया।
सरकार का जवाब- विभाग ने प्रारंभिक जांच में यह पाया कि ऑडिट दल ने उसी पोषण आहार की मात्रा को हिसाब में लिया जिसके परिवहन के बिलों का भुगतान हो चुका है जिन देयकों का भुगतान नहीं हुआ उतने पोषण आहार की उन्होंने गणना नहीं की । यह पोषण आहार परिवहन हुआ था इसलिए वह स्टॉक में नहीं था। मात्र परिवहन का भुगतान न होने के कारण यह नहीं माना जा सकता कि पोषण आहार वास्तव में परिवहन नहीं किया गया।
ऑडिट की आपत्ति नंबर- 8– ऑडिट में लिखा है कि 38 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार में पोषक तत्वों की कमी पाई गई है।
सरकार का जवाब- शुरुआती जांच में पाया गया है कि कांग्रेस कार्यकाल में मार्च 2019 से जनवरी 2020 के मध्य पोषण आहार संयत्रों में जो पोषण आहार सप्लाई किया उसमें लेबोरेट्री रिपोर्ट के अनुसार पोषक तत्व कम थे। इसके आधार पर विभाग ने 35 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान रोक दिया है।
ऑडिट में अन्य बिन्दुओं (7,9,10) में रिकार्ड संधारण, निरीक्षण के संबंध में निगेटिव कमेंट किए गए हैं। मामले पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा वास्तव में निरीक्षण पंजी, दौरा डायरी तथा स्टांप के समस्त रिकॉर्ड विभाग में उपलब्ध हैं। विभाग के सम्पर्क एप में भी निरीक्षण प्रतिवेदन दर्ज है। यह सब जानकारी ऑडिट दल को दोबारा दिखाई जाएगी।
कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में गडबड़ी के आरोप
नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि साल 2018 में भाजपा की सरकार ने 7 पोषण आहार संयंत्रों का निर्माण किया था। उन्हें महिला स्व-समूहों को चलाने के लिए सौंपा था। कांग्रेस सरकार ने 16 जनवरी 2020 को आदेश कर ये संयत्र महिला समूहों से वापस लेकर एमपी एग्रो को दे दिए। यह कार्यवाही इसलिए की थी, ताकि इन प्लांट्स का मैनेजमेंट निजी ठेकेदारों को सौंपे सकें। उनकी यह महिला विरोधी और ठेकेदारों को समर्थन करने की नीति थी।
कमलनाथ की मांग- झूठ परोसने के बजाए सच स्वीकारें