अग्नि आलोक

कदम-कदम पर मुश्किलें खड़ी थीं…फिर भी इस लड़की ने अंगारों पर चलकर छुई हैं बुलंदियां

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सुरश्री रहाणे’स्पेशल’ हैं। उनकी हर बात अलग है। अंगारों पर चलकर उन्‍होंने सफलता का स्‍वाद चखा है। जन्म के महज 15 दिन बाद उनकी पहली सर्जरी हुई थी। फिर सर्जरी पर सर्जरी। उनका एक पैर दूसरे से छोटा है। इसके कारण उन्हें चलने में तकलीफ थी। घर वाले इस दिक्‍कत को दूर करना चाहते थे। इस कारण उन्‍हें एक नहीं, बल्कि 15 सर्जरी से गुजरना पड़ा। हालांकि, इसमें थोड़ी सफलता ही मिल सकी। तब किसी को उम्मीद भी नहीं थी कि इतनी समस्याओं के बावजूद सुरश्री वो कर गुजरेंगी जो शायद कई लोगों का सिर्फ सपना होता है। वह स्कूल में टॉपररहीं। उन्‍होंने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन (इंजीनियरिंग) किया। नई दिल्ली के बेहद प्रतिष्ठित बिजनस स्‍कूल, दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्‍टी ऑफ मैनेजमेंट स्‍टडीज से उनका पोस्‍ट ग्रेजुएशन यानी मास्‍टर्स हुआ। वह सर्टिफाइड स्कूबा ड्राइवर और प्रशिक्षित भरतनाट्यम डांसर हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के साथ उनकी यह तस्‍वीर इस साल मई की है। थरूर अलायंस लिट्रेचर फेस्टिवल में पहुंचे थे। इस दौरान उन्‍हें थरूर से मिलने का मौका मिला। थरूर ने उनसे वादा किया कि अगली बार जब दोनों मिलेंगे तो वह आंत्रप्रेन्‍योरशिप और क्रिएटिविटी पर बातचीत करेंगे।

हर कदम पर थीं कठिनाइयां
महाराष्‍ट्र के नाशिक में रहने वाली सुरश्री की जिंदगी में हर कदम पर कठिनाइयां खड़ी थीं। लेकिन, वह इनमें से हर एक को पार करती गईं। उनके हर बढ़ते कदम ने उन्‍हें मजबूत किया। आगे बढ़ने का हौंसला दिया। उन्‍होंने मन में गांठ बांध ली थी कि उन्‍हें पीछे मुड़कर नहीं देखना है। सुरश्री ने पेप्‍सीको और एचपी जैसी प्रति‍ष्ठित कंपनियों के साथ काम किया। अपनी 30 साल की जिंदगी में वह 15 सर्जरी से गुजर चुकी हैं। लेकिन, वह इनसे बिल्‍कुल भी बेचैन नहीं हुईं।

स्‍कूल में ब्रिलिएंट स्‍टूडेंट थीं
अपने स्‍कूल में वह सबसे मेधावी छात्रों में थीं। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्‍होंने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। यहां उनकी मुलाकात अमोल बगुल से हुई। दोनों बहुत अच्‍छे दोस्‍त बन गए। 22 साल की उम्र में उन्‍होंने शादी कर ली। हालांकि, दोनों की पढ़ाई जारी रही। बीटेक करने के बाद सुरश्री और अमोल दोनों को प्रतिष्ठित संस्‍थानों में दाखिला मिला। सुरश्री ने दिल्‍ली के एफएमएस में जगह बनाई। वहीं, अमोल को आईआईएम-इंदौर में एडमिशन मिला। यह अलग बात है कि अमोल को लगा कि वह 2 साल तक सुरश्री से अलग नहीं रह सकते। लिहाजा, उन्‍होंने आईआईएम को छोड़कर दिल्‍ली के एक संस्‍थान से एमबीए किया।

उद्यमी बनने का सपना किया पूरा
सुरश्री हमेशा से उद्यमी बनना चाहती थीं। उनका फैमिली बिजनस है। उनकी मां नाशिक में सुरश्री के नाम पर ही साड़ी स्‍टोर चलाती हैं। अपना वेंचर शुरू करने के लिए सुरश्री की एक निवेशक से बात भी हो गई थी। हालांकि, पहली मुलाकात के बाद वह सुरश्री से दोबारा कभी नहीं मिले। शायद उन्‍हें लगा कि सुरश्री बिजनस के लिए ‘फ‍िज‍िकली फिट’ नहीं हैं। लेकिन, सुरश्री इस बात से निराश नहीं हुईं। नौकरी करते हुए वह लगातार थोड़ी-थोड़ी बचत कर रही थीं। कुछ साल बाद वह अपना वेंचर शुरू करने के लिए तैयार थीं। उन्‍होंने Yearbook Canvas नाम की कंपनी शुरू कर दी।

2018 में बनाई थी कंपनी
इस कंपनी की नींव 2018 में रखी गई थी। कुछ ही सालों में यह बेहद सफल हो गई। यह कंपनी शिक्षण संस्‍थानों और कॉरपोरेट्स की सोशल नेटवर्क, इयरबुक और मर्चेंडाइज को बनाने में मदद कर रही है। अपने वेंचर के जरिये सुरश्री को-फाउंडर अभिनव के साथ देश में सबसे बड़ा एलुमिनी इकोसिस्‍टम बनाने की भी कोशिश कर रही हैं। उनके क्‍लाइंटों में आईएमएम अहमदाबाद , एफएमएफ दिल्‍लीऔर आईआईटी बॉम्‍बे जैसे संस्‍थान हैं। उनकी योजना है कि वह 2023 तक अपनी वर्कफोर्स में 30 फीसदी तक जगह दिव्‍यांगों को जगह दें।

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