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मोबाइल के इस्तेमाल में वे अव्वल,लेकिन 14-18 साल के 25% बच्चे ‘दूसरी फेल’

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ग्रामीण युवाओं की पसंद आर्ट्स विषय ही हैं। यह बात हम नहीं, एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ग्रामीण) 2023- बियॉन्ड बेसिक्स कह रही है। इस सर्वे में ग्रामीण भारत में छात्रों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति की तस्वीर बयां की गई है। यह सर्वे 26 राज्यों के 28 जिलों में किया गया और 34,745 युवाओं तक इस सर्वे की पहुंच रही। इस सर्वे की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि गांव-देहात के 14 से 18 साल तक के 25% बच्चे अपनी स्थानीय भाषा में भी दूसरी कक्षा की किताब को ठीक से पढ़ नहीं पाए। इसी आयु वर्ग के 43% बच्चे अंग्रेजी के शब्दों को पढ़ने में संघर्ष करते नजर आए। इस सर्वे की एक और हैरान करने वाली बात यह थी कि भले ही ये बच्चे पढ़ाई में फिसड्डी थे, लेकिन मोबाइल के इस्तेमाल में वे अव्वल मिले। 90 फीसदी के घर पर मोबाइल था और 90.5% सोशल मीडिया का अच्छा इस्तेमाल जानते थे।

और क्या-क्या कहती है यह रिपोर्ट?

बॉयज और गर्ल्स स्टूडेंट्स करीब बराबर
सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि 14 से 18 आयु वर्ग में 86.8% युवा किसी न किसी शैक्षणिक संस्थान में नामांकित हैं और अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। लड़के और लड़कियों के नामांकन करीब-करीब बराबर हैं और अंतर कम है। लेकिन, आयु के हिसाब से देखें तो यह गैप ज्यादा नजर आता है। इस आयु वर्ग में करीब 13% युवा जो पढ़ाई नहीं कर रहे हैं, उनके ज्यादा उम्र के छात्रों की संख्या है। 14 वर्ष के 3.9% और 18 वर्ष के 32.6% छात्र नामांकित नहीं है।

वोकेशनल ट्रेनिंग में ग्रामीण युवा पीछे
सर्वे में एक और खास बात निकलकर सामने आई है कि वोकेशनल ट्रेनिंग में अभी ग्रामीण युवा पीछे हैं। सर्वे में शामिल युवाओं में केवल 5.6% ही वोकेशनल ट्रेनिंग ले रहे है। कॉलेजों में पढ़ने वाले 16.2% युवा वोकेशनल ट्रेनिंग ले रहे हैं और ज्यादातर 6 महीने का कोर्स कर रहे हैं। सरकार वोकेशनल ट्रेनिंग को गांवों तक ले जाने की कई अहम योजनाओं पर काम कर रही है। पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार, 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के छात्रों के पंजीकरण का स्तर 2010 में 96.6%, 2014 में 96.7% और 2018 में 97.2% से बढ़कर 2022 में 98.4% हो गया है। रिपोर्ट में इस आशंका को निराधार बताया गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान आजीविका का साधन नहीं होने के कारण छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया था।

ये युवा क्षेत्रीय भाषा में पाठ्यसामग्री नहीं पढ़ सके
सर्वे रिपोर्ट कहती है कि 14-18 आयुवर्ग के सभी युवाओं में से करीब 25% युवा अब तक अपनी क्षेत्रीय भाषा में कक्षा 2 स्तर की पाठ्य सामग्री धाराप्रवाह नहीं पढ़ पाए। जबकि, आधे से ज्यादा को गणित के डिविजन जैसे सवालों को करने में भी दिक्कत हुई। सर्वे में शामिल किए गए युवाओं को बुनियादी चीजें पढ़ने, गणित और अंग्रेजी पढ़ने को कहा गया। आधे से ज्यादा युवा डिविजन (3 अंक से 1 अंक) का सवाल नहीं कर पाते हैं, सिर्फ 43.3% छात्र यह सवाल सही कर पाए, जबकि इस तरह के सवाल करने की क्षमता कक्षा 3 या 4 में होनी चाहिए। करीब 57.3% अंग्रेजी में वाक्य पढ़ सकते हैं और इनमें से तीन चौथाई (73.4%) उनका अर्थ बता सकते हैं। बेसिक लर्निंग पर अभी भी बहुत ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। लड़कों (70.9%) के मुकाबले ज्यादा लड़कियां (76%) अपनी भाषा में कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ सकती हैं। इसके विपरीत गणित और अंग्रेजी में लड़कों का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर रहा है। युवाओं को ORS पैकेट पर दिए निर्देश पर आधारित कुछ सवाल पूछे गए, लगभग दो तिहाई युवाओं ने 4 में से 3 सवालों का जवाब दिया।

घर-घर हो चुकी हैं स्मार्टफोन की पहुंच
रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 90% युवाओं के घर में स्मार्टफोन हैं और उतने ही युवा इसका प्रयोग करना जानते हैं। लड़कियों (19.8%) की तुलना में दोगुने से अधिक लड़कों (43.7%) के पास खुद का स्मार्टफोन है। लड़कों की तुलना में कम लड़कियां बताती हैं कि वे स्मार्टफोन या कंप्यूटर चलाना जानती हैं। 90.5% ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया का प्रयोग किया है। लड़कियों (87.8%) की तुलना में लड़कों (93.4%) में इसका अनुपात ज्यादा है। सुरक्षा संबंध्त सेटिंग्स के बारे में ज्यादातर छात्र जानते हैं। दो तिहाई ने स्मार्टफोन का प्रयोग पढ़ाई से संबंधित गतिविधियों के लिए किया। वहीं, जिनके घर पर कंप्यूटर या लैपटॉप है, उनकी संख्या करीब 9% ही है।

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