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‘वे’ नहीं चाहते थे मुझे मेडल मिले-विनेश फोगाट ने खोले राज

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अब तो यह बात लगभग तय हो चुकी है कि इस बार के हरियाणा विधानसभा चुनाव को कांग्रेस पूर्ण बहुमत से जीतने जा रही है। भाजपा के स्टार प्रचारक पहले ही मैदान छोड़ अब झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा में अपनी पार्टी की किस्मत को चमकाने के लिए खुद को झोंक चुके हैं।

लेकिन यह हाल के वर्षों में पहली बार देखने को मिल रहा है कि कांग्रेस अपनी जीत को अधिक से अधिक बढ़ाने के लिए हरियाणा में अंतिम समय तक हर गली-कूचे तक अपने स्टार प्रचारकों के साथ मैदान में उतरी हुई है।

विनेश फोगाट ने खोले राज

एक छोटा राज्य होने के बावजूद हरियाणा के बारे में कहा जाता है कि इसका प्रभाव क्षेत्र काफी बड़ा है, और हरियाणा में इस बार किसान, जवान और पहलवान के साथ-साथ बेरोजगार, डंकी रूट और युवाओं में बढ़ते नशे की लत जैसे मुद्दे खूब सर चढ़कर बोले।

इन्हीं के साथ-साथ ओलंपिक में कुश्ती में फाइनल तक का सफर तय करने वाली सबसे होनहार खिलाड़ी विनेश फोगाट के साथ हुई दुर्घटना और पिछले दो वर्षों के संघर्ष की दास्तां साथ लिए जींद जिले के जुलाना विधानसभा से विनेश फोगाट की दावेदारी भी राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में रही।

अपने नामांकन के बाद पिछले कई दिनों से सुर्ख़ियों से गायब, विनेश फोगाट कल से फिर से सुर्ख़ियों में छाई हुई हैं। शायद कांग्रेस ने अपने कई तुरुप के ईक्कों में से इस इक्के को भी अंतिम समय के लिए बचा कर रखा हुआ था, जो चुनावी दंगल के पीक पर पहुंचने के साथ ही सार्वजनिक करने के लिए रखा गया था।

अपने दो इंटरव्यू, जिसमें से एक लल्लनटॉप और दूसरा कांग्रेस के मीडिया सेल के अलावा कल 2 अक्टूबर को जुलाना में कांग्रेस नेता, प्रियंका गांधी की विशाल रैली में विनेश फोगाट ने एक-एक कर उन मसलों को सार्वजनिक करने का काम किया, जिसे जानने के लिए देश लंबे समय से बैचेन था।

पीएम मोदी जी ने मिलने की इच्छा व्यक्त की थी, मैंने मना कर दिया 

यह बात विनेश फोगाट ने अपने दोनों इंटरव्यू में कही है। इस खबर के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर विनेश के खिलाफ प्रचार अभियान अचानक से तेज हो चुका है। लेकिन बीजेपी आईटी सेल फिर एक गलती कर रहा है।

पीएम मोदी ने मुलाकात की इच्छा व्यक्त की हो और एक खिलाड़ी ने मना कर दिया, इसमें विनेश को ही शोहरत मिलने वाली है और नुकसान मोदी की छवि को होने वाला है, जिन्हें अपनी छवि में आई गिरावट को और गिरने देने के बजाय डैमेज कण्ट्रोल करना है।  

अपने इंटरव्यू में विनेश फोगाट ने स्पष्ट किया है कि पीएम मोदी के ऑफिस से फोन तब नहीं आया था, जब वे एक के बाद एक अपने तीनों बाउट जीत चुकी थीं, और उनका सिल्वर मेडल पक्का हो गया था।

जबकि बाकी खिलाड़ियों के पास तब भी बधाई संदेश आये, जब उन्होंने कांस्य पदक हासिल किये। यह फोन फाइनल में 100 ग्राम वजन न घटा पाने के कारण मुकाबले से डिसक्वालिफाई होने के दो दिन बाद आया था। 

पीम के ऑफिस से कहा गया था कि मोदी जी उनसे मुलकात करना चाहते हैं, लेकिन साथ में कुछ शर्तें थीं, जिसमें मीटिंग के दौरान विनेश को अपना फोन और किसी अन्य को साथ लाने की इजाजत नहीं थी।

जबकि पीएमओ की ओर से वीडियोग्राफी और उसे बाद में सोशल मडिया पर जारी करने की बात कही गई, जिसे विनेश ने इसलिए ठुकरा दिया कि वह अपने दुःख को सार्वजनिक कर उसपर किसी को राजनीति करने की इजाजत नहीं दे सकतीं।

इसके साथ ही उनका आरोप है कि वे पीएम से दो वर्षों के दौरान झेली गई तकलीफ पर सवाल करना चाहती थीं, जिसे पीएमओ अपने हिसाब से कांट-छांटकर जारी करता।

बता दें, महिला पहलवान खिलाड़ियों के द्वारा भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा के बाहुबली पूर्व सांसद, बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मन्तर पर दो-दो बार धरना प्रदर्शन किया गया, जिसमें उनके खिलाफ महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण के आरोप लगाये थे।

2021 टोक्यो ओलंपिक से वापसी पर पीएम के आवास पर चुनिंदा खिलाड़ियों को चाय पर आमंत्रित कर मोदी ने विनेश फोगाट को अपने परिवार का सदस्य बताकर हौसला अफजाई की थी। विनेश को पूरा यकीन था कि खिलाड़ियों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ पीएम मोदी जैसा शक्तिशाली राजनेता निश्चित रुप से सख्त कदम उठाएगा।

इस संघर्ष ने भारत के स्टार खिलाड़ियों को किस हालत पर ला खड़ा कर दिया और दो वर्ष में उनके खेल, परिवार और कैरियर पर कितना बुरा प्रभाव पड़ा, इसका देश पिछले दो वर्षों से गवाह रहा है।     

विनेश कहती हैं, “मैं पीएम मोदी से पूछती कि 2 साल तक जब हम सड़कों पर बैठे थे तो आप कहां थे? शायद उन्हें डर कि हम इस मीटिंग की वीडियो को सोशल मीडिया पर जारी कर देंगे, उन्होंने इसकी मनाही कर दी। तो हमने कहा थैंक्यू।”  

50 और 53 किलो वर्ग भार में कुश्ती खेलने को लेकर विवाद पर 

इस बारे में विनेश ने बताया है कि इतने लंबे समय तक सड़कों पर संघर्ष करने के बाद, बृजभूषण सिंह ने नैरेटिव खड़ा कर दिया था कि ये लोग अब चले हुए कारतूस हैं, इनके वश का अब कुश्ती खेलना नहीं रह गया है।

फिर कोटे पर सवाल उठाते हुए नैरेटिव चलाया गया कि ये खिलाड़ी नेशनल नहीं खेलना चाहते, क्योंकि ये हार जायेंगे। मैंने नेशनल खेलकर इस नैरेटिव को ध्वस्त कर दिया। फिर उन्होंने कहा कि ये लोग ट्रायल नहीं देना चाहते, उसके बगैर ही ओलंपिक जाना चाहते हैं।

बृजभूषण ने नियम बना रखा था कि जो भी कोटा लेकर आएगा, उसे ट्रायल देना होगा। 

लेकिन बृजभूषण के हाथ में था कि ये ट्रायल कब होगा। मुझे 53 किलो वर्गभार में कोटा हासिल हो चुका था, लेकिन टॉप 4 के बीच यह मुकाबला कब होगा, यह बृजभूषण को तय करना था।

इसलिए मैं 50 किलो वर्गभार में खेली। लेकिन उसी दिन बृजभूषण ने 53 में भी ट्रायल की घोषणा कर दी, तो मैं उसके लिए भी तैयार थी।

लेकिन 53 किलो वर्गभार में ट्रायल का मैं आखिर तक इंतजार ही करती रह गई। आखिरकार, मुझे उस वर्गभार में खेलना पड़ा, जिसे मैं पिछले कई वर्षों से छोड़ चुकी थी।    

वे चाहते तो सिल्वर मेडल मिल जाता 

यह पूछे जाने पर कि क्या पेरिस ओलंपिक में उनके साथ न्याय नहीं किया गया, और क्या उन्हें लगता है कि उनकी पीठ पर छुरा भोंका गया? इसके जवाब में विनेश फोगाट ने काफी सनसनीखेज खुलासे किये हैं।

उन्होंने कहा, “मैं इस बारे में अभी ज्यादा नहीं कह सकती। लेकिन इसमें राजनीति की गई, यह निश्चित है। जो इंडिया के कोच थे, उनमें से ज्यादातर वे लोग थे जो बृजभूषण के खास थे।

मेरा कोच भी था, लेकिन जहां पर मेरा सामान रखा था मेरे रूम पर, वहां पर इंडियन कोच थे। मैं यकीन से कुछ भी नहीं कह सकती कि उन्होंने किया है, लेकिन मैं यह भी नहीं कह सकती कि उन्होंने नहीं किया है।

लेकिन जिस इन्सान के खिलाफ हमने 2 साल तक लड़ाई लड़ी, वो बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि हम किसी भी सूरत में मेडल हासिल कर सकें। ट्रायल के दौरान भी  मेरे साथ कई स्तर पर चीटिंग हुई। 

विनेश फोगाट आगे कहती हैं, “दूसरी बात सिल्वर तो मेरा कन्फर्म था। जब दूसरे दिन मेरा सिल्वर मेडल पक्का था, और मैं उस स्थिति में घिरी हुई थी, अगर कोर्ट में हम 2 घंटे के भीतर केस डालते, जब तक डिसक्वालिफाई करने का कोई ओरिजिनल लैटर जारी नहीं हुआ था, तब मेरे मामले में भारतीय ओलिंपिक संघ कदम उठा सकती थी।

बड़े बड़े देशों ने अपने खिलाड़ियों के लड़ाई लड़कर मेडल लिए हैं। अगर हम सच में इतने पावरफुल हैं, तो हमने ये काम क्यों नहीं किया। अमेरिका ने कांस्य पदक के लिए फाइट लड़ा, जबकि हम सिल्वर के लिए नहीं लड़ पाए?”

विनेश के शब्दों में, “जिस संजय सिंह को बृजभूषण सिंह ने अपना डमी आदमी बनाकर भेजा हुआ है, वो WWE के अध्यक्ष लोलोविच के साथ मीटिंग कर रहा है कि हम कोऑपरेट कर रहे हैं, कि हम बात कर रहे हैं।

बृजभूषण का डमी आदमी उधर जाकर ऐसा तो नहीं बोलेगा कि विनेश को सिल्वर मेडल मिलना चाहिए। उन्होंने वहां पर अपनी पूरी पॉवर लगा दी कि सिल्वर मेडल किसी भी सूरत में हिंदुस्तान में नहीं आना चाहिए।

उन्होंने मेरे को व्यक्तिगत तौर पर बोल दिया था कि अगर टाइम पर आ जाते तो हम कुछ कर पाते। इंटरनेशनल बॉडी में यह बात मुझे किसी ने बोली थी, उस व्यक्ति का नाम मैं नहीं बता सकती।

लेकिन उनके हाथ में सारी पॉवर थी, क्योंकि भारत सरकार या फेडरेशन किसी ने भी यह लड़ाई नहीं लड़ी। सिर्फ फोटो डालने और मिलने की तस्वीर डालने गये थे। मीटिंग में बात क्या हुई थी, ये क्या किसी को पता है?”

ये वे सारे प्रश्न हैं, जो आज भी 145 करोड़ भारतीयों के दिलोदिमाग में गूंज रहे हैं। यह बात सही है कि आज विनेश फोगाट एक राजनीतिक पार्टी की ओर से हरियाणा के चुनावी मैदान में हैं।

लेकिन यह भी सही है कि अपने जीवन में जिसने सिवाय ओलंपिक पदक जीतने के वे सारे पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है, उस स्तर पर आज तक कोई दूसरी महिला पहलवान नहीं पहुंच पाई है।

टोक्यो ओलंपिक के दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से टूट चुकी लड़की ने 3 वर्ष बाद एक बार फिर से बेहद कम समय के भीतर खुद को समेटकर पेरिस ओलंपिक में अपने वेट कैटेगरी से 3 किलो कम वजन वाली स्पर्धा में पहले ही मुकाबले में विश्व विजेता और ओलंपिक चैम्पियन को धूल चटाई, तभी उसका स्वर्ण पदक पक्का हो गया था।

यही नहीं, उसी दिन एक के बाद एक कर अपने तीनों मुकाबले जीतने वाली विनेश फोगाट एक दिन में ही फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन चुकी थीं, जिसका मुकाबला फाइनल में अमेरिकी पहलवान से होना था, जिसे वे अतीत में पछाड़ चुकी थीं।

उस शाम जीत हासिल करने के बाद विनेश फोगाट के रूम में क्या हुआ, कि वह पूरी रात हरचंद कोशिश करने के बाद भी आखिरी वक्त में 100 ग्राम ओवरवेट होने के चलते न सिर्फ स्वर्ण पदक से चूक गईं, बल्कि जीता हुआ सिल्वर मेडल भी उनसे और भारत के हाथ से छूट गया। 

प्रियंका गांधी कैसे बनीं ओलंपिक में जाने की प्रेरणा 

यह किस्सा विनेश ने कल जुलाना के अपने भाषण में बताया कि किस प्रकार ये खिलाड़ी दो वर्षों के संघर्ष के बाद जब टूट चुके थे और भारत के बजाय विदेशों में बसने की सोच रहे थे, तब प्रियंका गांधी की सीख ने उन्हें नई प्रेरणा दी।

अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए विनेश फोगाट ने बताया कि प्रियंका गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी के साथ हुए हादसे में मौत के बाद अपनी मनःस्थिति को साझा करते हुए बताया कि जब उन्होंने देशवासियों से मुलाकात की तो उन्हें अहसास हुआ कि वे उन्हें कितना प्यार, सम्मान और चाहते हैं, जिसके बाद उनके परिवार भरोसा और हिम्मत प्राप्त हुई।

इस प्रकार, विनेश ने बताने की कोशिश की है कि सफलता के वक्त खुशियां साझा करने वाले लोग और दुःख में हिम्मत बंधाने और हौसला देने वाले लोगों में फर्क होता है। 

जुलाना की रैली में सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने जब रैली को संबोधित करते हुए यह सवाल पूछा कि हरियाणा में चर्चा है कि विनेश फोगाट या मेरे पिता के विधानसभा क्षेत्र में किसे ज्यादा मतों से जीत दर्ज होगी तो आपका फैसला क्या है, जिसके जवाब में सभा में मौजूद हजारों लोगों ने विनेश के पक्ष में दोनों हाथ खड़े कर इसका संकेत दे दिया।

देखना होगा कि जुलाना जैसी सीट पर, जिसे चौटाला परिवार का गढ़ माना जाता है और कांग्रेस यहां कभी भी मजबूत नहीं रही, विनेश फोगाट जो इस क्षेत्र की बहू है को कितने बड़े अंतर से जिताने जा रहा है? 

चर्चा तो यह भी है कि हरियाणा का अगला खेल मंत्री पद अभी से विनेश फोगाट के लिए आरक्षित हो चुका है।

क्योंकि पूरे प्रदेश की दिली ख्वाहिश है कि उनकी जिस बेटी ने खेल के क्षेत्र में इतने बड़े-बड़े मुकाम हासिल किये और साथ ही महिला खिलाड़ियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को निजी स्तर पर झेला और उसके खिलाफ जोरदार संघर्ष किया है।ऐसी बेटी अपने कार्यकाल से हरियाणा ही नहीं देश को अंतर्राष्ट्रीय खेलों में एक नए मुकाम पर पहुंचाकर अपने अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए सर्वथा योग्य है।

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