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यह लोकतंत्र बेदाग रहना चाहिए……..

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राकेश चौकसे बुरहानपुर

चुनावी समर के साथ ही लोकतंत्र और विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यव्यस्थाओ पर वार्तालाप शुरु हो जाता है। लोकतंत्र का अभिप्राय जनता (मतदाताओं) के मतो से चुनी गईं जनता की सरकार से है यह दीगर बात है सरकार की नुमाइंदगी करने वाले मे जनता का अपना प्रतिनिधि कोई नही रहता है।  क्योंकि चुनाव खर्चीला और जनता गरीब की श्रेणी मे आती है! इसलिए वह आजादी के बाद से ही चुने गए प्रतिनिधि को अपना नेता मान लेती है। इसी कडी मे 2024 मे सात चरण के मतदान के बूते 543 जनप्रतिनिधियों का चुनाव होना है।लोकतांत्रिक उत्सव के प्रथम चरण की स्क्रिप्ट लिखने के लिए प्रथम चरण के लिए नाम वापसी का एक चरण पुरा हो रहा है। 

भारत मे शिक्षित,विकसित, टैक्स पेयर और वृहद स्तर की विचारधारा वाले लोग चुनाव से दूर रहना पसंद करते है । इनकी नजर मे अब भी चुनाव पचीडा है और वह किसी पचीडे मे पड़ने से दुर ही रहना चाहता है। इसका लाभ गुंडे, सांप्रदायिक सोच,भ्रष्टाचारी, अपराधी उठाते लेते है। मतदाता जिस दिन यह समझ लेगा किसी भी देश के लोकतंत्र की सफलता तब होगी जब इस लोकतांत्रिक व्यवस्था मे उपरोक्त कलंक से कलंकित व्यक्ति दूर रहे।

अभी कुछ दिनों पुर्व ही एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्स ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट मे निवर्तमान 514 लोकसभा सदस्यो द्वारा चुनावी हलफनामा दिया है उसमे से 225 सदस्यो द्वारा अपने ऊपर आपराधिक मामले का उल्लेख (घोषणा) की है कुल सदस्य संख्या का अनुपात प्रतिशत  44 नजर आता है। इनके कुछ की संपत्ति 100करोड़ के ऊपर। 29 प्रतिशत के आसपास सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी मिलती है। इन आपराधिक मामले मे हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, स्त्री जाति पर अपराध के साथ सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने जैसे अपराध पंजीबद्ध होते दिखाए गए है। इसी कडी मे 16 निवर्तमान सांसदों के विरुद्ध महिलाओं के खिलाफ  अपराध के मामले दर्ज होने की जानकारी मिलती है। इसी प्रकार तीन सांसद के खिलाफ 376 की धारा बलात्कार के मामले दर्ज होने की जानकारी मिल रही है। रिपोर्ट का अध्यन और जनता (आम मतदाता) द्वारा जनता की सरकार जनता के हितों के लिए कितनी चिंता जनक है इसकी कल्पना करने से ही तकलीफ हो जाती है। अगर इन अपराधो के जोड़ का प्रतिशत निकाले तो हमें मालूम होंगा जिनको हमने अपने बच्चों के भविष्य शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य के साथ देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की जिम्मेवारी का निर्वहन करने विकास की योजना बनाने भेजा था वह प्रतिशत मे 50 प्रतिशत निकल रहा है। अपराधिक छबि के इन नुमाइंदों को पुन: हम भेजे इसके पुर्व हमे आत्मचिंतन करना होगा दागदार छबि का नेता देश के साथ हमारे बेटे, बेटियो का भविष्य कितना सुधार सकते हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के आंकड़ों और सांसदों की स्तिथि के मानक से देश का विकास एवम् प्रगति संभव हो सकती है! क्या विश्व पटल पर भारत अपनी बेदाग छबि रख पाने मे सफल हो सकता है?

प्रश्न यह है इन दागदार चेहरों को प्रतिनिधित्व कौन सौपता है? आख़िर इन कलंकित चेहरो को सांसद की चौखट को पार करने की क्षमता किससे मिलती है! ये कोई टपकते आसमानी वोटो के बूते सांसद की दहलीज पर नही पहुंचते है इन्हे सांसद का ताज हमारे द्वारा दिए गए वोटो से मिलता है। इन्हे सर माथे पर बैठाने का दोषी जनता और मतदाता जिम्मेदार है।

मध्यप्रदेश इस प्रकार के आरोपो से अछूता कितना है और सांसदों की संख्या क्या है इस पर रिपोर्ट क्या कहती अध्यन नही कर सके किंतु जो राज्य इस कलंक का भार उठा रहे उसमे उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र, तेलंगाना, हिमाचल है। इन प्रदेशों के श्रीमान  सांसद जी आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे है जो स्वच्छ लोकतंत्र के दृष्टिकोण से ठीक नही कही जा सकती। आख़िर ऐसे दागदार चेहरों को लोकतंत्र के मंदिर मे पहुंचाने के पीछे की मजबूरी या मंशा क्या है। एक समय था चुनाव को लेकर निर्वाचन के सामने अनेक चुनौतियां थी सुरक्षा के प्रबंधन उपयुक्त नही थे, गुंडों से सुरक्षा के संसाधन और बल की कमी थी! बूथ लूटे जाते थे, बैलेट पेपर से मतदान करने से बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं को रोकना चुनौती था। आज परिस्थिति भिन्न है। चुनाव आयोग की चाक चौबंद व्यवस्था , सुरक्षा बल की मौजूदगी, ईवीएम मशीन से मतदान, शिक्षा का स्तर ऊंचा रहने के वावजूद ऐसी स्थिति निर्मित क्यो हो रही क्या यह सच नही इस परिस्थिति के दोषी स्वयं हम और हमारा तंत्र दोषी नही है।

   भारत मे चुनाव लड़ने, पत्रकार बनने और नेता उपजने को लेकर शिक्षा का कोई मापदंड निर्धारित नही रहा इसलिए नेता, राजनितिक और चौथा स्तंभ कमाई का जरिया बनते नजर आ रहे है इन पर सर्वोच्च स्तर पर कोई नियम नही बन रहे है।

राजनीति मे अपराध का प्रवेश जब तक जारी रहेगा भारत के आधुनिक सोच, विकास शिक्षा, और रोजगार मे परिर्वतन संभव नही है।

अगर देश को पुनः सोने की चिड़िया बनाना है औद्योगिक क्रांति का उदय करवाना है, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर आमूलचूल परिवर्तन देखना है तब अपराधियों पर राजनीति को लेकर पूर्ण प्रतिबंध हो मतदाता अपने मत का उपयोग बिना भय बिना लिए दिए ईमानदारी से करे तब बदलाव संभव हो सकते है।

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