कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी अब राजस्थान से राज्यसभा जाने की तैयारी में हैं। ऐसे में यह तय हो चुका है कि रायबरेली से गांधी परिवार की इस पुश्तैनी सीट पर कोई और ही चुनाव लड़ेगा। सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की हो रही हैं कि रायबरेली से प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। हालांकि अभी तक गांधी परिवार और कांग्रेस की ओर से इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है। सियासी हलकों में रायबरेली ही नहीं, बल्कि अमेठी सीट पर भी चुनावी दावेदारी को लेकर चर्चाएं होनी शुरू हो गई हैं।
वरिष्ठ पत्रकार इज़हारुल हसन कहते हैं यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली को लेकर कांग्रेस के प्रत्याशी की तस्वीर साफ नहीं हुई है। हसन कहते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी का चुनाव हार गए थे। इस बार अमेठी के चुनाव में राहुल गांधी की दावेदारी है या नहीं, इसे लेकर भी स्थानीय लोगों में तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं…
रायबरेली से कांग्रेस की सांसद सोनिया गांधी इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी। सोनिया गांधी के लोकसभा चुनाव न लड़ने से कुछ महीनों में होने वाले चुनाव में रायबरेली की सीट पर किसकी दावेदारी होगी, यह अब उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। सियासी गलियारों में कहा यही जा रहा है कि अब इस सीट पर प्रियंका गांधी की दावेदारी हो सकती है। दरअसल कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को जिस जोश के साथ पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सक्रिय किया था, लेकिन वह चुनावी मैदान में नहीं उतरी थीं। अब क्योंकि सोनिया गांधी रायबरेली सीट छोड़ चुकी हैं, इसलिए प्रियंका गांधी की दावेदारी इस सीट पर मानी जा रही है।
हालांकि रायबरेली सीट पर चुनाव कौन लड़ेगा, इसे लेकर न तो प्रियंका गांधी या गांधी परिवार की ओर से कोई टिप्पणी की गई है और न ही कांग्रेस पार्टी ने रायबरेली सीट पर किसी के नाम पर कोई आधिकारिक चर्चा की है। हालांकि कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का मानना है कि प्रियंका गांधी रायबरेली से सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि दरअसल प्रियंका गांधी ने सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में या तबीयत खराब होने की परिस्थितियों में रायबरेली का खूब दौरा किया, जो उन्हें यहां के लोगों से सीधे तौर पर जोड़ता है। क्योंकि गांधी परिवार का रायबरेली और अमेठी से गहरा नाता रहा है, इसलिए इन दोनों सीट पर तो गांधी परिवार से ही कोई ना कोई चुनाव जरूर लड़ेगा।
वरिष्ठ पत्रकार इज़हारुल हसन कहते हैं यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली को लेकर कांग्रेस के प्रत्याशी की तस्वीर साफ नहीं हुई है। हसन कहते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी का चुनाव हार गए थे। इस बार अमेठी के चुनाव में राहुल गांधी की दावेदारी है या नहीं, इसे लेकर भी स्थानीय लोगों में तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि गांधी परिवार का रायबरेली और अमेठी में दशकों पुराना संबंध है। ऐसे में अगर अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस की ओर से कोई दुविधा जैसी बात सामने आती है, तो यह बहुत अच्छे संकेत नहीं माने जाएंगे। हसन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जो स्थिति है वह बीते कुछ चुनाव में लगातार गिरी है। ऐसे में इन दो सीटों पर तो तस्वीर स्पष्ट ही होनी चाहिए। क्योंकि बदहाल हालात में भी 2014 में अमेठी और रायबरेली सीट कांग्रेस की झोली में आई थी, जबकि 2019 में रायबरेली कांग्रेस के हिस्से में थी।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में महज एक सीट इस वक्त कांग्रेस के खाते में है, वह भी रायबरेली की है। राहुल गांधी की अमेठी से सीट हारने के बाद कांग्रेस यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि राहुल दोबारा अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या नहीं। वरिष्ठ पत्रकार बृजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि अगर कांग्रेस रायबरेली और अमेठी में भी धुंधली तस्वीर रखेगी, तो इन सीटों पर भी कांग्रेस की दावेदारी कमजोर हो सकती है। वह कहते हैं कि बीच-बीच में जिस तरीके से वरुण गांधी ने रायबरेली और अमेठी में अपनी सियासी सक्रियता दिखाई, उससे उनके भी चुनावी मैदान में उतरने के कयास लगाए जाने लगे थे। वरुण गांधी कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगे या किसी अन्य दल से, यह तो नहीं कहा जा सकता। लेकिन रायबरेली और अमेठी में वरुण गांधी ने जिस तरह से वहां के बंद हुए एक अस्पताल को लेकर ऊपर तक चिट्ठियां लिखीं, उससे अब तक चर्चाएं गर्म हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के हिस्से सिर्फ एक ही रायबरेली की सीट आई थी। ऐसे में अगर सोनिया गांधी यहां चुनाव नहीं लड़ रही हैं, तो इस सीट को बचाने के लिए गांधी परिवार के ही किसी का कद्दावर नेता को यहां से चुनाव मैदान में उतरना होगा। इनमें प्रियंका गांधी और राहुल गांधी का ही नाम आगे चल रहा है। रायबरेली में कांग्रेस पार्टी के सदस्य रहे डॉक्टर चंद्रभान कहते हैं कि गांधी परिवार से जो भी प्रत्याशी यहां पर चुनाव लड़ेगा, उसके लिए जीत पूरी तरह से आसान है। कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी प्रियंका गांधी के लिए रायबरेली से अब चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं।