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पत्रकारों की गिरफ्तारी पर:यह चुप रहने का समय नहीं है

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 #विष्णु_नागर 

मित्रों यह चुप रहने का समय नहीं है। 

मुझे गर्व है कि पत्रकार बिरादरी में हिंदी में भी ऐसे पत्रकार हैं,जो पिछले करीब दस साल में और उससे पहले भी कभी नहीं झुके हैं। 

उनमें उर्मिलेश भी हैं,जो मेरे साथी रहे हैं, मित्र हैं। वह पूरावक्ती पत्रकार हैं। बहुत स्पष्ट बोलनेवाले और प्रखर व्यक्ति हैं और साथ ही बहुत प्यारे इन्सान भी। 

सुहेल हाशमी साहब का तो मैं मुरीद हूं। उनके साथ दो बार उनकी हेरिटेज वाक पर गया हूं। अद्भुत अनुभव है वह। इसके अलावा भी मैं उन्हें अर्से से जानता हूं। उनका पूरा परिवार वामपंथी आदर्शों से जुड़ा है। सफदर की तो जान ही ले ली गई थी इस कारण। उनकी अम्मा भी साहस और संघर्ष का अप्रतिम उदाहरण रही हैं। शबनम हाशमी भी एक और उदाहरण हैं।

भाषा सिंह के साथ भी कुछ अरसा काम किया है। उनके पिता अजय सिंह भी प्रखर लेखक- पत्रकार हैं। मां भी कवयित्री हैं। भाषा जी प्रतिबद्ध पत्रकार हैं। बाकी को व्यक्तिगत रूप से दूर से जानता हूं और उनकी निष्ठा में कभी संदेह नहीं रहा।

दिल्ली में चापलूस पत्रकारों की बिरादरी है तो साहसी पत्रकारों की भी है और आप उन्हें जानते हैं। उन सबको मेरा सलाम। 

लेखक बिरादरी में ऐसे लेखकों की कमी है और यह बात मुझे परेशान करने लगी है, जबकि दुनिया में ऐसे मौकों पर लेखक ही अग्रिम मोर्चे पर रहे हैं। हमारे देश के स्वतंत्रता संघर्ष के समय भी ऐसे लेखक बड़ी संख्या में हुए हैं।

 बहरहाल वक्त आगे -आगे और दिखाएगा। हममें से कौन क्या है? क्योंकि अब कोई सीमा नहीं रही। सत्ता चाहती है कि सब उसके स्वर में,उसके कंठ से बोलें और यह न कभी हुआ है,न होगा।

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