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अडानी को लाभ पहुंचने में ED की भूमिका का यह हैं सबूत

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*शीतल पी सिंह*

जब अड़ानी जी को एकाएक देश के एयरपोर्ट्स का मालिक बनने का ख़याल आया तो दिल्ली के बाद जो दूसरा सबसे कमाऊ एयरपोर्ट उनकी नज़र पर चढ़ा, वह था मुंबई एयरपोर्ट!*

यह GVK नाम की कंपनी के पास था, जिसने उसे रिनोवेट किया था.

इस ग्रुप के मालिक को पिछले दो दिनों से पहले NDTV (Adani channel) और फिर ANI के ज़रिए, सारे मीडिया में एक बयान देते देखा जा रहा पर है कि “मैंने अपनी मर्ज़ी से अपनी कंपनी अड़ानी जी को बेची थी.” 

दरअसल अड़ानी प्रकरण पर विपक्ष के तमाम आरोपों में से एक आरोप, इस कंपनी के बारे में भी है.

संलग्न निम्न तथ्य पढ़ें और समझें कि क्या वे सच कह रहे हैं?

– 26 जून 2020 को CBI ने  GVK के ख़िलाफ़ एक केस दर्ज किया.

– 1 जुलाई 2020 को सीबीआई ने उनके दफ़्तर और घरों पर छापा मारा,

– 7 जुलाई 2020 को ED ने मनीलांडरिंग का केस इसी कंपनी पर दर्ज किया और निदेशकों को पूछताछ के लिए सम्मन दिया.

– 31  अगस्त 2020 को GVK ने मुंबई हवाई अड्डे का बिज़नेस अड़ानी की कंपनी को सौंपने का करार किया.

इसके बाद से CBI/ED ने उस मामले की जाँच ठंडे बस्ते में डाल दी है.

और अब GVK के मालिक का “ऊपर वर्णित बयान” मीडिया में चल रहा है.

Disclaimer: इस प्रसंग में मोदीजी का कोई रोल नहीं है.

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