(पुनर्जन्म का ताज़ा प्रमाण)
~ डॉ. नीलम ज्योति
_इंसान के साथ परिवार, रिस्तेदार, बाजार, संसार तो छोड़िये ; उसका अपना शरीर तक साथ नहीं जाता. साथ जाता है कर्म और चेतना विकास का स्तर. इसी के बेस पर उसके लिए नेक्स्ट लाइफ का ऐटमॉस्फीयर क्रिएट करती है कुदरत. इसी पॉइंट से शुरू होती है उसकी आगे की यात्रा. यह क्रम तब तक चलता रहता है, ज़ब तक इंसान परमतृप्ति का अनुभव लेकर और पूर्णतः चैतन्य बनकर मोक्ष नहीं पा जाता. यही कर्मफल-पुनर्जन्म-मोक्ष का सिद्धांत है. यह सिद्धांत आज फिर सत्य प्रमाणित हुआ है._
ऐसी घटनाएं ज़ब सामने आती हैं, तो उनका जवाब विज्ञान दे नहीं पाता है। आजकल राजस्थान के बीकानेर जनपद में एक पुनर्जन्म की कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है।
कृषा की पुनर्जन्म की कहानी सुनकर हर कोई दंग है.
बेंगलुरु में 12 जुलाई, 2018 को जन्मी महज तीन साल की कृषा लोहिया बीकानेर के सींथल गांव में पल रही है। कृषा कभी अमेरिका नहीं गई लेकिन जब वो ढाई साल की उम्र में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगी तो घरवाले चौंक गए।
_पहले तो घरवाले कुछ समझ नहीं पाए लेकिन बाद में बच्ची ने पुनर्जन्म की कहानी सुनाई तो उन्हें पूरा मामला समझ आया।_
कृषा की मां बताती हैं कि उनकी ढाई साल की बेटी एक दिन अचानक अमेरिकी लहजे में अंग्रेजी बोलने लगी। ऐसे में उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि परिवार का दूर-दूर तक अमेरिका से कोई नाता नहीं था।
इसके अलावा घरवाले टीवी शो भी हिंदी में देखते थे तो बच्ची का अंग्रेजी बोलना हैरान करने वाला था। परिवार कृषा को लेकर डॉक्टर के पास भी गया। धीरे-धीरे कृषा की बताई बातें स्पष्ट हुई।
बच्ची ने बताया कि वह कैलिफोर्निया में रहने वाली स्रीसा है, जो वहां पर योग टीचर थी। वह अक्सर किसी चर्च और उसमें रहने वाली अपनी टीचर नन का भी जिक्र करती है। वह अपने दोस्तों और पालतू जानवरों का भी हरदम जिक्र करती रहती है।
_परिवार का कहना है कि कृषा की बताई बातें कितनी सच है, ये बाद में पता चलेगा। अभी कृषा सही पता और पहचान नहीं बता पा रही है लेकिन घरवाले मानसिक रूप से तैयार हैं कि उसे अमेरिका ले जाएंगे।_
(चेतना विकास मिशन)