ओमप्रकाश मेहता
अब इसे मोदी जी के राजनीतिक सलाहकारों की दुर्बुद्धि कहा जाए या और कुछ…. एन चुनाव के वक्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी राजनीतिक दृष्टि से किसी के लिए भी कहां तक उचित है, शायद भारतीय राजनेताओं को देशवासियों की याददास्त पर कुछ गलत फहमी हो गई है, शायद उनकी सोच यह है कि देशवासी हर घटना को जल्दी ही विस्मृत कर देते है, किंतु ऐसा कतई नही है, अन्ना हजारे चाहे जो भी कहे या समझे, किंतु उनके शिष्य राजनेता अरविंद केजरीवाल इतने दिन सत्ता के सिंहासन पर विराजित होने के बाद भी उनकी सेवा भावनाओं में कोई अंतर नही आया है, सिर्फ दिल्ली नहीं, बल्कि पूरे देश में केजरीवाल की अपनी छवि है और उनके लाखों समर्थक भी है, ऐसे में चुनाव के चंद दिन पहले उनकी चार साल पुराने मामले में गिरफ्तारी राजनीतिक दृष्टि से किसके लिए हितकर या अहित कर होगी यह तो समय ही बताएगा, किंतु फिलहाल आसार अच्छे नजर नही आ रहे है।
भारत के अधिकांश नागरिकों की आज भी सोच यही है कि देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों में दिल्ली के मुख्यमंत्री की अपनी अलग पहचान है, वह भी उनकी सेवाभावना और निश्छलता के कारण। इतने साल मुख्यमंत्री पद पर रहने के बावजूद उन पर अन्यों की तरह राजनीति हावी नही हुई, फिर ऐसे में देश के ऐसे एकमात्र मुख्यमंत्री को एन चुनाव के समय भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उनकी गिरफ्तारी करना, आला राजनेताओं के दिमाग का दिवालियापन ही कहा जाएगा। केजरीवाल को गिरफ्तार कर आखिर देश की सरकार संदेश क्या देना चाहते है, क्या देश के अन्य भाजपाई या गैर भाजपाई मुख्यमंत्रीगण केजरीवाल से बेहतर ईमानदारी से कार्य कर रहे है? या ये मान लिया जाए कि केजरीवाल जैसे नेताओं की आज की राजनीति में जरूरत ही नही है, यह सही है कि भाजपा की केन्द्र सरकार की एकदम आंख के नीचे गैर भाजपाई सरकार किरकिरी बन कर खटक रही थी, किंतु क्या ‘आंखों की किरकिरी’ हटाने का यह तरीका सही है?
भाजपा के मोदी जी सहित दिग्गज नेता यह क्यों नही समझते कि भारतीय राजनीति में केजरीवाल की अपनी अलग पहचान बन गई है और देश के लोग उनके जैसे नेता अपने प्रदेशों में भी खोज रहे हे, ऐसी स्थिति में केजरीवाल की गिरफ्तारी किसके पैरों पर ‘कुल्हाड़ी’ सिद्ध होगी? इसका उत्तर किसी से भी छुपा नही है, आज कई दृष्टि से ‘आप’ शासित दिल्ली और पंजाब राज्य अन्य राज्यों के लिए प्रशासनिक मिसाल बने हुए है, ऐसे में ‘आप’ को तिरस्कृत कर राजनीति करना, किसके लिए श्रेयस्कर होगा? इतनी छोटी सी बात हमारे महान राजनेताओं के दिमाग में क्यांे नही आ पा रही?
….फिर सबसे बड़ी बात यह कि केजरीवाल तो इतने समय से मुख्यमंत्री है और जिस मामले में गिरफ्तारी की गई, वह भी चार साल पुराना है, तो अब भाजपा के महान दिग्गज व विद्वान नेताओं को इस समय यह ‘आत्मघाती’ कदम उठाने की जरूरत क्यों आ पड़ी?