अजय असुर
हर घर तिरंगा तो ठीक है, पर हर घर रोजगार क्योँ नहीं? इस तर्ज पर हर घर रोजगार भी चलाना चाहिये। मैं देशभक्ति के भावना का विरोधी नहीं हूँ पर इसके मंशा पर सवाल उठाना यदि देशद्रोही कहा जाये तो निश्चित ही मैं देशद्रोही हूँ और यह द्रोह बार-बार करूंगा।
तथाकथित आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार अमृत महोत्सव मना रही है। जिसके लिये हर घर तिरंगा अभियान चलाकर जनता के दिलो में राष्ट्रवाद की भावना को पनपाना चाहती है इसीलिए देश के तकरीबन कुल 30 करोड़ घरों में से लगभग 20 करोड़ घरों की छतों पर तिरंगा फहराने की योजना बनाई गयी है। एक झण्डे की कीमत सरकार जो कि 25 रुपए के हिसाब से डाकखाने, राशन कोटे की दुकान और अन्य जगह पर बेच रही है। एक झंडा 25 रूपया और सरकार की योजना के मुताबिक 20 करोड़ घर पर 20 करोड़ झण्डे। तो 25 रुपये के हिसाब से 5 अरब रुपये और ये 5 अरब रुपए जनता के जेब से ही लिए जायेंगे और ये 5 अरब रुपए कोई छोटी-मोटी रकम नहीं है, इस रकम से जनता के लिये कई जनहित की कई योजनाएं चलाई जा सकती हैं। पर जब जनता ही राष्ट्रवाद की घुट्टी पीने से सन्तुष्ट हो जा रही है तो जनहित के प्रोगाम क्यूँ?
“हर घर तिरंगा” जैसे देशभक्ति वाले कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी स्कूलों में किसी-किसी जिला के BSA यानी बेसिक शिक्षा अधिकारी ने लिखित और अधिकतर जिले के BSA ने मौखिक रूप से टीचरों से 40 रुपये प्रति झण्डे के हिसाब से शिक्षकों से वसूली के आदेश दिये गये हैं। इसके एवज में शिक्षक जनता से क्राउड फंडिंग करवा रहें हैं। यानी जनता से वसूली कर रही है।
उत्तर प्रदेश के एक जिला वाराणसी के BSA ने 1 लाख झण्डे के लिये कुल 40 लाख रुपये की धनराशि दिए गए बैंक खाते में अविलम्ब जमा करने के लिए सरकारी स्कूलों को आदेश जारी कर दिया है। सबको गर्व करने का मौका समय समय पर मिलता रहा है और जो बचे हैं मिलता रहेगा। अभी यह गर्व का मौका सरकारी प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को मिला है फिर मेहनतकश जनता की जेब से “राष्ट्र सेवा देशभक्ति” के नाम पर पैसे की वसूली करके आपको गर्व करने का महान अवसर भी सरकार दे रही है।
इसी तरह जम्मूकश्मीर में तो एक तुगलकी फरमान डुगडुगी पिटवाकर लाउडस्पीकर के माध्यम से अनंतनाग में नगर समिति बिजबेहरा शहर के अधिकारी घोषणा कर रहे थे और दुकानदारों को धमकी दे रहे थे कि “यदि वे राशि जमा करने में विफल रहे तो उनके लाइसेंस रद्द हो सकते हैं।” और परेशानी से बचने के लिये आफिस में 20 रुपये जमा कर देशभक्ति का सर्टिफिकेट ले लें। इसी तरह जम्मूकश्मीर के मुख्य शिक्षा अधिकारी बड़गाम ने जोन के सभी स्कूलों को “हर घर तिरंगा” अभियान के लिए प्रति छात्र और स्टाफ सदस्यों के लिए 20 रुपये जमा करने का आदेश जारी किया है। शासक वर्ग सबको मौका दे रही है ना गर्व करने का। जो बचे हैं जल्द ही उनको भी मौका मिलेगा।
सरकारी मास्टरों से अभी क्या-क्या काम लेना है? अभी राष्ट्रसेवा के कौन-कौन से काम बाकी हैं? उसकी लिस्ट बनाकर समय-समय पर जिम्मेदारी देते रहिये। वे लोग बिना एक शब्द बोले किसी भी किस्म की सेवा में तनिक भी कमी नहीं होने देंगे। सेवा करके वेतन का पाई-पाई चुकाएंगे। सरकार व नौकरशाहों को कभी निराश नहीं करेंगे। इन प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने के लिये शिक्षक के पद पर होती है पर इनको बच्चों को शिक्षा देने के अलावा सारे काम दिये जाते हैं और ये शिक्षक बिना किसी विरोध और हीला-हवाली के सारे काम करते हैं। जैसे पोलियो टिका पिलाना, जनगणना कराना, सी ए ए/एन आर सी के लिये घर-घर जाकर डाटा इकट्ठठा करना, किसी भी तरह का सर्वेक्षण हो उस पर इनकी ड्यूटी लगाना अभी हाल ही में मौखिक आदेश दिया गया कि शिक्षा छोड़ कांवरियों की सेवा करना यानी कांवरियों के पैर दबाना। सरकारी आदेशों के खातिर इतनी तपस्या, सेवा भाव, परिश्रम करने के बाद लोगों को सरकारी मास्टरों को गाली देना बंद कर देना चाहिए।
सबको गर्व करने के लिये शासक वर्ग ने सारे इंतजाम कर दिये हैं। सरकार की हर घर तिरंगा योजना की वेबसाइट harghartiranga.com पर जाकर हर घर तिरंगा प्रमाण पत्र डाउनलोड करने की सुविधा भी दिया है। चुप रहिये, खुश रहिये, गर्व करने की बारी का इन्तजार करिये या फिर जनविरोधी नीतियों का विरोध करके ‘देशद्रोही’ होने का सर्टिफिकेट निशुल्क प्राप्त करिये। अब यह आपको तय करना है कि कौन सा सर्टिफिकेट लेना है आपको।
*अजय असुर*
*रास्ट्रीय जनवादी मोर्चा*