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चाचा पारस ने जे डी यू के साथ चिराग को चपेटा

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सुसंस्कृति परिहार

 राजनीति में कब कौन कहां कैसे डूब जाए और कब किसका सितारा चमका उठे कुछ कहा नहीं जा सकता इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद लोकजन शक्ति को जिस तरह भाजपा ने सपोर्ट किया वह आश्चर्यजनक था ।चिराग मोदी के हनुमान थे।बात दरअसल यह थी कि भाजपा को जे डी यू यानि नीतीशकुमार की बढ़ती ताकत को विराम देना था ताकि वह कद्दावर ना बन पाए इसलिए चिराग का भरपूर इस्तेमाल किया गया जे डी यू के प्रत्याशियों को रोकने सभी जे डी यू सीटों पर लोकजनशक्ति के उम्मीदवार खड़े किए गए।इसने नीतीश को झटका दिया।तभी से चिराग नीतीशकुमार को खटक रहे थे। इससे परिणाम प्रभावित हुए 2015मेंजहां उसे 71सीट पर विजय मिली थी वह सिकुड़ कर 43रह गईं। लोकजनशक्ति को सिर्फ एक सीट मिली लेकिन भाजपा अपने मंसूबे में कामयाब रही । 

  हाल ही में लोकजनशक्ति पार्टी में जो उथल-पुथल हुई है उसमें जदयू की महत्त्वपूर्ण भूमिका स्पष्ट है । चिराग ने विभाजन के लिए जेडीयू को दोषी ठहराते हुए, उन्होंने इस घटनाक्रम में बीजेपी की भूमिका के बारे में सवालों से किनारा कर लिया और कहा कि जो हुआ है वह एक आंतरिक मामला है, जिसके लिए वह दूसरों को निशाना नहीं बनाएंगे. उन्होंने कहा कि हनुमान को अगर राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर वह हनुमान काहे के और वह राम काहे के। मालूम हो कि बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान चिराग पासवान ने खुद को हनुमान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम कहा था । 

चिराग ने कहा लोजपा में फूट के मास्टमांइड नीतीश कुमार हैं जिन्होंने पटना से बैठ कर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और उनका सारा काम उनके विश्वस्त लल्लन सिंह ने दिल्ली में अंजाम दिया. उन्होंने ही इन सभी सांसदों से मुलाकात कर लोजपा में फूट डलवाया, उनके साथ बीजेपी भी बराबर की हिस्सेदार बनी. चिराग ने यह भी कहा कि यह नीतीश कुमार की नीति थी कि उन्होंने बिहार में दलित और महादलित में विभाजन कर दिया।बिहार में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के टूटने के साथ ही चाचा-भतीजा के रिश्ते में दरार आ गई। पशुपति कुमार पारस ने पार्टी के बाकी नेताओं को तोड़ते हुए चिराग के पिता रामविलास पासवान की पार्टी पर अपना कब्जा जमा लिया। एलजेपी के छह सांसदों में पांच सांसदों ने बगावत कर चिराग की जगह पशुपति कुमार पारस  को संसदीय दल का नया नेता नियुक्त किया है.सूरजभान को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया है।

चिराग पासवान ने इसके जवाब में पटना में मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर इन सभी असंतुष्ट नेताओं को पार्टी से निकाल दिया है और इस गठन को चुनौती भी देने की घोषणा की है।

अब देखना यह है चिराग का सम्मोहन भाजपा और जदयू से पूरी तरह कब टूटता है ऐसा समझा जा रहा है चाचा पशुपति कुमार पारस को केंद्र में होने वाले विस्तार में मंत्री बनाकर लोकजनशक्ति को एक बार फिर एन डी ए में मजबूती से जोड़ा जा सकता है जदयू से भी पूर्ववत सम्बंध तब जुड़ जाएंगे । रामविलास के एक दामाद पहले से ही जदयू में शामिल हो चुके हैं।चिराग को हटाने के पीछे और भी कई कारण हैं जिनमें उनका  कई कम्पनियों का मालिक होना भी शामिल हैं। भाजपा ने चिराग का भरपूर इस्तेमाल कर जे डी यू को तो सबक सिखा ही दिया और एक युवा नेता की छवि धूमिल कर दीचिराग आगे क्या स्टेंड लेते हैं अभी तय नहीं है लेकिन तेजस्वी यादव के साथ उनके जुड़ने की संभावनाएं तो बनती ही हैं।

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