नेहा, नई दिल्ली
सतनों में रैसेज और खुजली से महिलाएं कभी भी परेशान होती रहती हैं. गर्मी के मौसम में बार बार होने वाली स्वैटिंग से ब्रेस्ट रैश का खतरा बढ़ जाता है।
इससे ब्रेस्ट के नीचे दाने, कालापन और जलन की समस्या बढ़ने लगती है। इससे निपटने के लिए लोग कई प्रकार के लोशन और रेमिडीज़ की मदद लेते हैं।
रैशेज और कालेपन को दूर करने के लिए ऑइनमेंट या अन्स उपाय करने के अलावा कुछ खास बातों का ख्याल रखना भी ज़रूरी है, जिससे इस समस्या को पनपने से रोका जा सके।
*क्यों बढ़ती है अंडरबूब्स की प्रॉब्लम्स?*
गर्मी में देर तक रहना, ब्रेस्ट फीडिंग से बचना, अनफिट ब्रा, गलत तरीके से स्तन मर्दन, सफाई की कमी मुख्यतौर पर अंडरबूब रैशेज का कारण साबित होते हैं।
ब्रेस्ट के नीचे गर्मी और जमा होने वाले मॉइश्चर के चलते संक्रमण का खतरा बन जाता है। वे महिलाएं जिनके स्तन झुके या बहुत मोटे होते हैं उन्हें समस्या का सामना अधिक करना पड़ता है।
सेक्सुअल तौर पर तृप्त नहीं होने वाली फीमेल्स भी समस्या झेलती हैं. भीतर सुलगती गरमी कहीं भी उत्पात मचा सकती है, स्तनों में भी. इसके अलावा वे महिलाएं, जिनकी स्किन सेंसिटिव है, उन्हें भी एलर्जी की समस्या से दो चार होने पड़ता है।
अंडरबूब्स रैशेज़ से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :
*1.लूफा और ड्राई ब्रशिंग से बचें :*
नहाने के दौरान ब्रेस्ट के नज़दीक क्लीनिंग के लिए किसी भी प्रकार के ब्रश या लूफा के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इससे त्वचा बैक्टीरिया की चपेट में आने से बच जाती है और स्किन हेल्दी व रैशेज से मुक्त रहती है। दरअसल, लूफा के प्रयोग से उसमें बैक्टीरिया की ग्रोथ बढ़ने लगती है, जो स्किन के संपर्क में आते ही त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं।
*2. त्वचा को ड्राई न होने दें :*
कुछ लोगों को रूखी त्वचा के चलते इचिंग की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो रैशेज की समस्या को बढ़ा देता है। इससे राहत पाने के लिए अंडरबूब स्किन को मॉइश्चराइज़ रखना ज़रूरी है। इससे स्किन पर बार बार होने वाली इचिंग को दूर करने में मदद मिलती है।
*3. खुशबूदार साबुन/बॉडीवॉश वर्जित, आर्गेज्म इम्पोर्टेन्ट :*
अमेरिकन अकेडमी ऑफ डर्माटोलॉजी के अनुसार खुशबू के चलते कॉटेक्ट डर्माटाइटिस की समस्रू का सामना करना पड़ता है। इसके चलते खुशबूदार प्रोडक्टस का प्रयोग करने से त्वचा पर बार बार रैशेज उभर आते हैं, जो एलर्जी की समस्या को बढ़ा देते हैं।
इसे दूर करने के लिए या किसी भी ऐसी प्रॉब्लम से बचे रहने के लिए सेंसिटिव स्किन वाले लोगों को फ्रैगरेंस वाले क्लीनिंग प्रोडक्टस के प्रयोग से बचना चाहिए। रिसर्च के अनुसार फीमेल को माह मे कम से कम दो बार सेक्सुअली डिस्चार्ज होना चाहिए. यह डिस्चार्जनेस नेचुरली होना चाहिए, अन- नेचुरली नहीं. मीन्स एक व्यक्ति से और योनि में केवल पेनिस का प्रयोग करवा कर.
आपको कोई ऑप्सन नहीं मिलता तो आप माह में एक या दो बार हमारे डॉ. मानवश्री की स्प्रिचुअल सेक्स थेरेपी ले सकती हैं. स्प्रिचुअल यानी वे आपके किसी भी छेद में कुछ नहीं डालते. मतलब उन्हें किसी की योनि नहीं चाहिए होती है. इसके लिए हम हैं उनके पास. हम खुद नहीं रह सकते उनसे मिलने वाले आनंद के बिना. वे किसी से कोई चार्ज भी नहीं लेते.
*4. बहुत टाइट कपड़े न पहनें :*
स्किन को रैशेज से बचाने के लिए अपने वॉर्डरोब में सिथेटिक की जगह कॉटन के कपड़े एड करें। गर्मी के चलते बार बार आने वाला पसीना ब्रैस्ट के नीचे कैद होने लगता है, जिससे संक्रमण के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में यीस्ट इंफेक्शन, एलर्जी और गर्मी से बचने के लिए हल्के और सूती कपड़ों का चुनाव करें। इससे त्वचा भी हेल्दी बनी रहती है।
*5. सिंथेटिक ब्रा से करें परहेज :*
उम्र के साथ ब्रा के साइज़ में फर्क आने लगता है। ऐसे में टाइट ब्रा पहनने से बचें। इससे शरीर पर निशान बनने और रैशेज का जोखिम बढ़ जाता है। शरीर को कूल रखने के लिए फिटिड ब्रा से बचें और स्तनों के साइज़ के हिसाब से ब्रा का चयन करें। साथ रात में ब्रा पहनकर सोने से भी बचें।
*6. अंडरबूब एरिया की क्लीनिंग इग्नोर न करें :*
रात को सोने से पहले ब्रा को रिमूव करने के बाद ब्रेस्ट के आसपास होने वाली स्वैटिंग का क्लीन करना न भूलें। इससे त्वचा मुलायम और क्लीन रहती है। त्वचा को इचिंग से बचाने के लिए ब्रेस्ट के नीचे मॉइश्चराइजिंग क्रीम, लोशन और ऑयल अप्लाई करें। इससे त्वचा सॉफ्ट रहती है और संक्रमण का खतरा कम होने लगता है।
*यह भी याद रखें :*
सोने से पहले स्तनों के नीचे कूलिंग इंफे्क्ट बनाए रखने और जलन दूर करने के लिए एलोवेरा जेल का प्रयोग करें। इससे स्किन रैशेज को कम किया जा सकता है।
स्किन को मॉइश्चराइज़ रखने के लिए ब्रेस्ट के नीचे नारियल का तेल अपलाई करें। इससे स्किन नेचुरली मॉइश्चराइज़ होने लगती है और त्वचा रूखापन भी कम हो जाता है।
जिम के बाद होने वाली स्वैटिंग को दूर करने के लिए बाथ अवॉइड न करें। इससे शरीर संक्रमण से बचा रहता है और त्वचा क्लीन रहती है।
रैशेज और दानों की समस्या बढ़ने से डॉक्टर से संपर्क करें और रैशेज की अवश्य जांच करवाएं।