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पुरानी पेंशन पर BJP एवं सरकार की क्रोनोलाजी समझिए

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बात बिल्कुल संक्षेप में करूगां, दिसम्बर 2003 में जब एक तरफ *शाइनिंग इंडिया* का प्रचार अटल जी के नेतृत्व में चल रही सरकार द्वारा चलाया जा रहा था दूसरी तरफ खजाने पर बोझ बताकर पुरानी पेंशन को समाप्त कर NPS स्वीकार कर लिया गया । खूब प्रचार किया गया कि NPS में Ops से भी ज्यादा पेंशन मिलेगी, देश व प्रदेश के संगठनों के नेतृत्वकर्ता जो कि विचारधारा से सरकार समर्थक थे ऐसी जानलेवा व्यवस्था को बिना जांचे समझे स्वीकार कर लिया एवं कर्मचारियों को इसके लाभ घूम – घूम बताते रहे किन्तु NPS के दायरे में आये शिक्षकों / कर्मचारियों ने जब इसका गहराई से अध्यन किया और Ops से तुलना की तो अपने आप को ठगा महसूस किया और फिर शुरू हुई पुरानी पेंशन बहाली की मांग ।_

           *2014 से पूर्व जब BJP विपक्ष में थी तो इसके नेता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तथा विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग भी की किन्तु जैसे ही BJP सत्ता में लौटी सब कुछ बदल गया । चूंकि राष्ट्रवाद एवं हिंदुवाद की आड़ में इन्हें सभी सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करना ही है तो उसके लिए निजी उद्योगपतियों के पास धन भी चाहिए । NPS से दोहरा लाभ है एक तो सरकार एवं कर्मचारियों का अंशदान SBI,UTI एवं LIC से लोन के माध्यम से बड़े बड़े धन्ना सेठों को उपलब्ध हो रही है दूसरी तरफ धन्ना सेठों के लोन थोक के भाव बैकडोर से बट्टे खाते में डाले भी जा रहे हैं ।*

              _चूंकि देश में पुरानी पेंशन बहाली का आंदोलन के बढ़ते प्रभाव एवं कर्मचारियों तथा उनके परिवारों की संख्या कराडों में है जो पूरे देश में सत्ता को परिवर्तित करने की ताकत रखते हैं का अनुमान लगाकर विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लपक लिया है एवं पुरानी पेंशन बहाल करके दिखा भी दिया है अतः अब BJP चारो तरफ से घिर चुकी है उसके पास मात्र एक ही विकल्प है कि किसी प्रकार से आम जनता को पुरानी पेंशन बहाली के खिलाफ खड़ा किया जाय और इसीलिए सरकार समर्थक अर्थशात्रियों, बुद्धिजीवियों, बड़े पत्रकारों से बड़े – बड़े समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं टीवी चैनलों के माध्यम से प्रोपेगेण्डा खड़ा किया जा रहा है कि पुरानी पेंशन देश को ले डूबेगा । किन्तु इसका कोई सकारात्मक प्रभाव न देख अब खुद BJP के बड़े – बड़े नेता मैदान में उतरने लगें हैं ताकि किसी प्रकार जनता में ये प्रोपेगेंडा फैला दिया जाय कि कर्मचारियों की माँग नाजायद है, इससे देश का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा, आगे आने वाले समय में हो सकता है सरकार बकायदा विज्ञापन भी जारी करे, जगह – जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस हो और लोगों को पुरानी पेंशन बहाली के दुष्परिणाम के नाम पर एक बड़ा प्रोपेगेंडा खड़ा कर दिया जाय ।_

*निष्कर्ष : -*

          *देश के कर्मचारियों , शिक्षकों, अर्धसैनिक बलों, पुलिस जवानों, सफाई कर्मचारियों एवं सभी राज्य एवं केन्द्रीय कर्मचारियों को आगामी खतरे के लिए तैयार रहना चाहिए , उनकी लड़ाई विश्व की सबसे ताकतवर पार्टी से है जिसके पीछे विश्व का सबसे बड़ा संगठन RSS खड़ा है । NPS की सच्चाई जन – जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एक -एक शिक्षक / कर्मचारी को उठानी पड़ेगी कि किस प्रकार सरकार एवं कर्मचारियों के अंशदान का रुपया जो लाखों करोड़ में है पिछले दरवाजे से बंदरबाट कर इस देश को खोखला किया जा रहा है । किस प्रकार सरकार एवं उनसके मंत्री राजशाही जीवन गुजार रहे हैं वो भी मुफ्त में , किस प्रकार ये ज्ञान देने वाले नेता बिना एक रुपये टैक्स भरे फ्री यात्रा, फ्री टेलीफोन, फ्री हवाई जहाज यात्रा, फ्री बिजली, फ्री लक्जरी गाड़ी, मोटा वेतन एवं भत्ता के साथ साथ तीन – तीन पेंशन भी ले रहे हैं । आशा है आम जनता तक पहुँच रखने वाले एक – एक कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी निभायेगा क्योंकि ये बुढ़ापे के साथ – साथ भारत के खजाने को लुटने से बचाने की भी लड़ाई है ।*

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