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समझिये साइकिक हीलिंग का विज्ञान

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      ~>  अनामिका, प्रयागराज 

    वैश्विक ख्यातिलब्ध चिकित्साविज्ञानी डॉ० माइकल मर्फी की पुस्तक ‘दि साइकिक साइड ऑफ स्पोर्ट’ के अनुसार अध्यात्मोपचार में रोगी का विश्वास और चिकित्सक की मनोवृत्ति का विशेष महत्त्व है। दोनों का विधेयात्मक दृष्टिकोण होने से ऊर्जा का सही संतुलन निभ पाता है और रोगी को आरोग्यलाभ प्राप्त होता है। 

      साइकिक हीलिंग में वस्तुतः मानसिक एवं आत्मिक शक्तियों का- प्राण-ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। संकल्प बल जितना प्रचंड होगा, रोगशमन में उतनी ही अधिक सफलता मिलेगी। 

     संशयी, अविश्वासी लोग साइकिक हीलिंग के बारे में प्रायः यह कहते सुने जाते हैं कि ऐसे किस्सों में वास्तव में व्यक्ति को साइको-सोमेटिक रोग था, जो मन का भ्रम मात्र था, वस्तुतः उसे तो कोई रोग था ही नहीं। लेकिन अनुसंधानकर्ताओं ने इस संशय-निवारण का भी प्रामाणिक उत्तर खोज निकाला है।

    पाश्चात्य जगत में ओलगा वोरल नामक एक वृद्ध महिला अपने अध्यात्मोपचार के लिए विख्यात रही है। उसकी रोगशमन क्रिया का कई ख्यातिलब्ध अनुसंधानकर्ताओं ने परीक्षण भी किया और यह तथ्य पाया कि उस वृद्ध महिला के हाथों से एक प्रकार की विलक्षण ऊर्जा निस्सृत होती थी, जो क्लाउड चैंबर में रखे गए जल के कणों में विशेष प्रकार की ऊर्जा भर देती थी। 

    प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ० एडवर्ड ब्रेइम, जो जल पर इन्फ्रारेड प्रकाशकिरणों के कारण गुण, धर्मों में आने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने में अनुसंधानरत रहे हैं, उन्होंने सीलबंद बोतलों में रखे गए जल पर विशेष अध्ययन किया।

      इस बोतलबंद जल पर मैडम वोरल ने अपना ध्यान केंद्रित किया था। इस जल का प्रयोग पौधे उगाने से लेकर घावपीड़ित व्यक्तियों के उपचार के लिए किया जाता था। देखा गया कि उन पौधों की वृद्धि सामान्य सिंचाई करने की अपेक्षा आठ गुनी अधिक पाई गई और इस जल का सेवन करने से घाव से पीड़ित रोगियों के घाव अधिक तेजी से भरने लगे। 

        इतना ही नहीं, क्लाउड चैंबर के सामने उसके हाथ रखने से मानो उसमें फुलझड़ी के समान फौवारे दृष्टिगोचर होने लगे। इनका हाई वोल्टेज फोटोग्राफी तकनीक के माध्यम से फोटो भी लिया गया और पाया गया कि जल के रासायनिक तत्त्व हाइड्रोजन के ऑक्सीजन के साथ बंधनों के तरीकों में भी परिवर्तन आ गया। 

     उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि इसका उपयोग साइकिक हीलिंग में व्यापक तौर से किया जा सकता है।

    डॉ० रोबर्ट मिलर ने भी इस तथ्य की पुष्टि करने के लिए मैडम ओलगा के साथ ख्यातनाम साइकिक इन्गोस्वान एवं एक अन्य साइकिक की ‘लेइंग ऑफ हैंड’- हाथ रखने के कारण जल पर क्या प्रभाव पड़ता है, विशेष करके सरफेस टेंशन के बारे में परीक्षण किया।

       पाया गया कि ओलगा का कंट्रोल ७.२, इन्गोस्वान का ७.६ और अन्य व्यक्ति का ३.५ सरफेस टेंशन कम पाया गया। इसी प्रकार जड़ पदार्थ कहे जाने वाले स्फटिक पर भी इसी प्रकार की ऊर्जा का प्रभाव देखा गया। तीनों व्यक्तियों के हस्तस्पर्श से उसका वर्ण, जो पहले हरा था, नीले रंग में परिवर्तित हो गया। 

     इन परीक्षणों के बाद किसी प्रकार के संदेह की गुंजाइश नहीं रही। परीक्षणकर्त्ताओं ने स्पष्ट रूप से इस बात की पुष्टि की कि इन तीनों व्यक्तियों के हाथ से एक विशिष्ट प्रकार की ऊर्जा निकलती है, जिसमें हीलिंग पॉवर विद्यमान है।

    निःशुल्क सुलभ हमारे चेतना मिशन के निदेशक डॉ० विकास मानव कहते हैं : “प्रकृति ने इस प्रकार की विलक्षण क्षमता हर व्यक्ति को प्रदान की है. इस क्षमता को उद्घाटित- विकसित करके मनुष्य अपना और दूसरों का कल्याण सकता है। जिस इंसान में रूचि हो, वो मात्र खुद को केवल 24 घंटे के लिए मुझे देकर पूर्णत्व पा सकता है.”

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