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सिकलसेल अभियान और राशन आपके ग्राम योजना के संकेत को समझिए……?

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एड आराधना भार्गव

15 नवंबर 2021 को पूरे देश ने धरती के भगवान बाबा बिरसा मुंडा की जयंती मनाई आखिर बिरसा मुंडा को धरती के भगवान की उपाधि क्यों दी गई उन्होनें अपना बचपन गरीबी में बिताया जब शोषक ब्रिटिश राज़ मध्य और पूर्वी भारत के घने जंगलों में घुसने लगा था और प्रकृति व प्राकृतिक संसाधनों के साथ ताल मेल बैठाकर रहने वाले आदिवासियों के लिए कई तरह की बाधाऐं पैदा कर रहा था बिरसा ने आदिवासियों के हितों से जुड़े मुद्दों पर आवाज़ उठाना शुरू कर दिया उन्होनें आदिवासियों को धर्म से जुड़े मामलों में एक नई रोशनी दिखाई आदिवासियों के जीवन एवं उनके संस्कृति को चोट पहुँचाने वालों के खिलाफ मजबूती से डटें रहे बिरसा ने जनता के मन में विरोध की चिंगारी जलाई मुंडा, उराओ एवं अन्य आदिवासी और गैर-आदिवासी लोग उनके आवाहन पर उठ खड़े हुए और *उल गुलान* यह विद्रोह में शामिल हो गये मध्य और पूर्वी भारत के आदिवासियों ने पारंपरिक तीर और धनुष के साथ ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रभावी सशस्त्र प्रतिरोध किया बिरसा इस बात को लेकर सचेत थे की सीर्फ असली शोषकों पर ही हमला किया जाए आम लोगों को कोई परेशानी न हो बिरसा जीवटता और देवत्व का प्रतीक बन गये उन्हें ब्रिटिश पुलिस ने पकड़ लिया और जेल में डाल दिया 9 जून 1900 को कैद में उनकी मृत्यु हो गई लेकिन उनका संघर्ष व्यर्थ नही गया ब्रिटिश राज़ को आदिवासियों की दुर्दशा और शोषंण का संज्ञान लेने और आदिवासियों की सुरक्षा के लिए छोटानागपुर कास्त्कारी अधिनियम 1908 लाने पर मजबूर किया इस महत्वपूर्ण अधिनियम ने आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी को हस्तांतरित करने पर रोक लगा दी |
कॉंग्रेस की सरकार छोटा नागपुर कास्तकारी अधिनियम 1908 बदलने का भरसक प्रयास करती रही मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ का अथक प्रयास है की आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों को हस्तांतरित करने का कानून बनाया ज़ावे जब केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी तब 2006 में वन अधिकार अधिनियम बनाया गया किंतु अत्यंत दुख के साथ कहना पड़ रहा है की जिन राज्यों में कॉंग्रेस की सरकार है उन राज्यों में भी वन अधिकार कानून लागू नही करवाया जा रहा है 100 करोड़ से अधिक रुपये खर्च करके जनजाति गौरव दिवस मनाकर भारतीय जनता पार्टी ने बिरसा मुंडा का अपमान किया है भारत का संविधान देश में जब लागू किया जा रहा था उस समय जयपाल सिंह मुंडा जो संविधान बनाने वाली कमेटी के सदस्य थे उन्होनें कहा था की आदिवासी के वजूद की लड़ाई तथा उसके अस्तित्व को बचाने के लिए भारत के संविधान की पाँचवी एवं छठी अनुसूची का उल्लेख है जिसमे बिरसा मुंडा जी के विचारों के अनुकूल आदिवासियों को उनके जल, जंगल, ज़मीन के अधिकार सौपे गये है उसी प्रकार अनुसूचित क्षेत्रों पर पंचायत विस्तार अधिनियम 1996 जिसे पेसा कानून कहा गया जिसमे सामुदायिक जल, जंगल और ज़मीन का प्रचलित रिवाजों के अनुसार संरक्षण सम्बर्धन प्रबंधन बेकार पड़ी भूमि को खेती योग्य बनाने के लिए व्यवस्था करना और बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना आपसी विवादों को परंपरागत तरीके से गाँव में ही सुलझाना कृषि कार्य के उपयोगी हल बखखर बनाने व जालने हेतु लकड़ी, मवेशियों के लिए चारा प्रबंधन करना स्थानीय संस्थाए जैसे स्कूल, स्वास्थ्य उप केन्द्र  औषधालय,आंगनवाड़ी, सहकारी भंडारों,दुकानों व हाट बाजार का प्रबंधन सार्वजनिक संपत्ति और सामुदायिक परिसंपत्ति का परंपरागत रख रख़ाव धर्म,पंथ,जाति अथवा वंश से ऊपर उठकर लोगों के सभी वर्गों में एक जुटता और सोहाद्र को बढ़ावा देने का उल्लेख किया है कोई सरकारी विभाग ग्राम सभा की अनुमति के बिना कोई भी कार्य नही करा सकता ग्राम सभा सम्मेलन की सूचना बैठक के सात दिन पूर्व सरपंच द्वारा दी जायेगी बैठक की जानकारी सार्वजनिक स्थानों पर सूचना देकर या कोटवार के माध्यम से मुनादी कर दी जायेगी ग्राम सभा की बैठक में कुल उपस्थित सदस्यों से एक तिहाई संख्या महिलाओं की होना अनिवार्य है ग्राम सभा की बैठक में अध्यक का चुनाव अनुसूचित जनजाति के किसी येसे सदस्य द्वारा की जायेगी जो सरपंच या उप सरपंच या कोई निर्वाचित सदस्य ना हो |
15 नवंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राशन आपके ग्राम योजना की घोषणा करके यह संकेत दे दिया है की देश में पेसा कानून तथा भारत के संविधान में उल्लेखित पाँचवी एवं छठी अनुसूची लागू नही की जायेगी सिकलसेल अभियान चलाने का संकेत भी प्रधान मंत्री जी ने देकर देश को यह बता दिया है की देश में लव जिहाद जैसे कानून बनाए जायेंगे सिकल सेल मुक्ति आदिवासी को नही मिलेगी भोपाल नबावो का नही यहां पहले गोन्ड साम्राज्य था कहकर आदिवासी और अल्पसँख्यको के बीच बैमान्स्ता बढ़ाने के संकेत दिए है प्रधान मंत्री जी ने हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर कमलापति स्टेशन करने की घोषणा की है हबीब मियाँ ने 1979 में स्टेशन के विस्तार के लिए अपनी ज़मीन दान में दि थी इसके बाद इसका नाम हबीबगंज हुआ जिस व्यक्ति ने अपनी ज़मीन रेलवे स्टेशन के लिए दान की थी उसका नाम हटाकर प्रधान मंत्री जी ने दान दाता तथा रेलवे का अपमान किया है जिन भी लोगो ने सार्वजनिक उपयोग के लिए अपनी संपत्ति दान की है उनके लिए भी प्रधान मंत्री ने संदेश दे दिया की अपनी संपत्ति दान मत करना वर्ना वही हश्र होगा जो हबीबगंज स्टेशन का हुआ है कॉंग्रेस एवं भाजपा की नज़रों में आदिवासी सीर्फ वोट बैंक को वस्तु बनकर रह गई है 
आईये हम सब एक जुट होकर बिरसा  मुंडा जी  के सपनों को साकार करने का प्रयास करें बिरसा मुंडा जी चाहते थे की समाज शराब का नशा ना करें जीव जंतु जल, जंगल, ज़मीन की सेवा करें उन्होने कहा था की सामाज पर मुसीबत आने वाली है संघर्ष के लिए तैयार हो जाओ दुश्मन की पहचान कर  मुकाबला करो आज अगर धरती को बचाना है तो पेसा कानून एवं भारत के संविधान की पाँचवी एवं छठी अनुसूची को लागू किया जाना चाहिए |
एड आराधना भार्गव 

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