….प्रणव बजाज....
राजस्थान के अलवर से भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का अलवर के रामगढ़ से लेकर महाराष्ट्र तक राजनीतिक जलवा देखने को मिला है। यादव महाराष्ट्र में भाजपा के चुनाव प्रभारी है। यादव जब महाराष्ट्र के चुनाव में व्यस्त थे, तभी उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र अलवर के रामगढ़ के उपचुनाव के लिए भी रामगढ़ आना पड़ा। यानी यादव ने अपने रामगढ़ से लेकर महाराष्ट्र तक में सफल रणनीति बनाई। यादव को भाजपा में चुनावी राजनीति का अनुभवी नेता माना जाता है।
इससे पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश में भी यादव प्रभारी की भूमिका निभा चुके हैं। इस बार जब महाराष्ट्र में यादव को प्रभारी बनाया गया तो उनके सामने शरद पवार, उद्धव ठाकरे जैसे प्रभावशाली नेता थे। भले ही महाराष्ट्र में कांग्रेस का कोई दम न हो, लेकिन महा अघाड़ी की चुनौतियां बहुत थी। यह सही है कि महाराष्ट्र में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति भी रही, लेकिन भूपेंद्र यादव ने शांत तरीके से विधानसभा स्तर पर रणनीति बनाई। आमतौर पर भूपेंद्र यादव मीडिया से दूर रहते हैं, इसलिए राजनीति में उनकी चर्चा कम होती है। मीडिया में आने के बजाए भूपेंद्र यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के निकट ज्यादा रहते हैं। भाजपा में राष्ट्रपति चुनाव तक में भूपेंद्र यादव की सक्रिय भूमिका होती है। 288 में से 231 सीटें महायुति को मिलना बताता है कि महाराष्ट्र में भूपेंद्र यादव ने कितनी मेहनत की है। एक ओर जहां महाराष्ट्र जैसे प्रदेश की रणनीति बनाई वहीं यादव ने अपने संसदीय क्षेत्र के रामगढ़ के उपचुनाव को जीतने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। रामगढ़ से वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जुबेर खान ने 17 हजार मतों से जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव में स्वयं भूपेंद्र यादव रामगढ़ से 2 हजार मतों से पीछे रहे, लेकिन इसके बावजूद उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार खुशवंत सिंह ने 14 हजार मतों से जीत दर्ज की। जबकि कांग्रेस ने दिवंगत विधायक जुबेर खान के पुत्र आर्यन खान को उम्मीदवार बनाया था।
यादव ने जो रणनीति बनाई उसी में उन खुशवंत सिंह को उम्मीदवार बनाया जिन्होंने गत बार बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। तब खुशवंत को 40 हजार से भी ज्यादा वोट मिले। भूपेंद्र यादव का आकलन रहा कि जब खुशवंत सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 40 हजार वोट प्राप्त कर सकते हैं तो भाजपा का उम्मीदवार बनने पर जीत पक्की हो जाएगी। इसे भूपेंद्र यादव का प्रभाव ही कहा जाएगा कि बागी खुशवंत सिंह को उप चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा में कोई विरोध नहीं हुआ। कुछ लोगों ने शुरुआत दौर में विरोध का प्रयास किया तो भूपेंद्र यादव ने समझाइश कर शांत कर दिया। यादव की रणनीति से ही कांग्रेस की परंपरागत सीट पर भाजपा को जीत मिली है। अब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चयन में भी यादव की सक्रिय भूमिका है। भूपेंद्र यादव को सब पता है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन बनेगा?