पुष्पा गुप्ता
_माहे रमजान चल रहा है। मस्जिदों में रोजेदारों- जायरीनों का नमाज अदा करने के लिए आना-जाना लगा हुआ है। फिजाओं में भी बरकत वाले इस महीने की खुशबू को महसूस किया जा सकता है। अन्य मस्जिदों की तरह, आजकल राजधानी के डिप्लोमैटिक एनक्लेव चाणक्यपुरी के शांतिपथ में अफ्रीकी देश सूडान के दूतावास की मस्जिद में भी हलचल रहती है। यहां पर इस्लामिक देशों के डिप्लोमेट और दूसरा स्टाफ नमाज अदा करने के लिए पहुंचता है। इनमें राजदूत भी होते हैं।_
गुजरे काफी समय से रमजान के महीने में सूडान दूतावास की मस्जिद अतिरिक्त रूप से गुलजार हो जाती है। इधर राजधानी में स्थित 50 से अधिक इस्लामिक देशों में काम करने वाले नमाज अदा करने के लिए आते हैं। यहां की मस्जिद खासी बुलंद और विशाल है।
जाहिर है, कोरोना काल के कारण यहां रमजान पर भी रोजेदार नहीं आ रहे थे। सब अपने घरों में ही इबादत कर रहे थे। चाणक्यपुरी में अमेरिका, चीन, जापान, कनाडा, ब्रिटेन और पाकिस्तान जैसे अति महत्वपूर्ण देशों के दूतावासों या उच्चायोगों की इमारतें हैं। उनके बीच में सूडान जैसे नन्हे से देश का दूतावास का होना हैरान अवश्य करता है।
कहते हैं, सूडान के दूतावास के लिए इतनी खास जगह पर लैंड पंडित जवाहर लाल नेहरु के सीधे हस्तक्षेप के बाद आवंटित हुआ था। भारत- सूडान संबंध नेहरु जी के प्रधानमंत्रित्व काल से ही बहुत मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। वे 50 के दशक में सूडान की सरकारी यात्रा पर गए भी थे। बहरहाल, आपको शांतिपथ पर सूडान को छोड़कर संभवत: किसी भी अन्य अफ्रीकी देश का दूतावास नहीं मिलेगा।
दिल्ली में मुस्लिम देशों जैसे इंडोनेशिया, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरत, सऊदी अरब, बांग्लादेश,पाकिस्तान, ईरान के दूतावासों के कैंपस के अंदर भी मस्जिदें हैं। इनमें जुमे के रोज उन देशों के डिप्लोमेट और इनके भारतीय मुलाजिम नमाज अदा करते हैं।
पाकिस्तानी उच्चायोग कैंपस में मस्जिद इसकी पिछली तरफ यानी नेहरु पार्क की ओर है। वहां पर ही उच्चाय़ोग का स्टाफ नमाज अदा करता है। हालांकि आजकल तो यहां पर काफी कम स्टाफ है।
जैसे-जैसे भारत-पाकिस्तान रिश्ते तल्ख होते गए, वैसे-वैसे यहां से और इस्लामाबाद से स्टाफ घटता गया।
इस बीच, पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश सचिव सोहल महमूद ने 2019 में ईद की नमाज जामा मस्जिद में अदा की थी। वे तब यहां अपने निजी दौरे पर थे। सोहल महमूद भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त भी रह चुके थे। वे ईद पर जामा मस्जिद ही जाया करते थे।
खैर, केन्द्र में मोदी सरकार के आने के बाद पाकिस्तान उच्चायोग के कश्मीर के पृथकतावादी नेताओं को ईद पर दावत देने के कार्यक्रम भी रूक गए। वर्ना वहां ईद पर लंबे समय तक सैयद अली गिलानी, मीरवाइज, उमर फारूक, यासीन मलिक वगैरह पहुंचा करते थे।
चंद्रगुप्त मौर्या मार्ग पर संयुक्त अरब अमीरत दूतावास में नमाज अदा करने के लिए एक छोटा सा स्पेस है। राजधानी में अधिकतर इस्लामिक देशों के कैंपस में अलग से मस्जिद तो नहीं है। हां, नमाज के लिए स्पेस सब में है। अगर बात खाड़ी के देशों जैसे ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात वगैरह की करें तो इनके आला अफसर रमजान के दौरान अपने देश में ही चले जाते हैं। ये ईद के बाद ही वापस आते हैं।
रमजान के दौरान इस्लामिक देशों के दूतावासों में दिन में एक बजे तक ही कामकाज होता है। ईद से पहले और उसके बाद में करीब आठ दिनों का अवकाश भी रहता है।
इस बीच, आपको कुछ डिप्लोमेट रमजान के समय संसद मार्ग की जामा मस्जिद या फिर कस्तूरबा गांधी मार्ग की गोल मस्जिद में भी नमाज अदा करते हुए मिल जाएँगे।
(चेतना विकास मिशन)