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पहली बार…..अन सुलझी पहेलियां?

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शशिकांत गुप्ते

पूर्व में बच्चें अपने छूटपन में कागज के खिलौने बनाकर खेलतें थे। गगन में उड़ने वाले विमान और कागज के ही पानी पर चलने वली नाव और जहाज़ बनाकर खेलतें थे।
बारिश के दिनों में सड़कों पर बहते पानी में कागज़ की बनी नाव और जहाज़ छोड़ कर देखतें रहतें थे, जबतक वह नाव या जहाज़ आँखों से ओझल न हो जाए।
जब बारिश तेज होती तब कागज के बने खिलौने पानी में डूब जातें थे।
बचपन के दिनों की याद यकायक ताजा हो गई। निम्न खबर समाचारपत्रों में पढ़कर और टीवी चैनलों पर देख सुनकर!
पानी पर चलने वाले विशालकाय जहाज़ निर्मित करने वाली कंपनी ने जहाज तो निर्मित नहीं किए लेकिन तकरीबन बीस+आठ बैकों से वित्तीय सहायता प्राप्त कर ली?
वर्तमान में अपने देश की पहली बार हरतरह से सक्षम सरकार,पूर्व की सभी सरकारों से एकदम भिन्न सरकार,निहायत ही ईमानदार सरकार है।
ऐसे पहली बार वाली सरकार के समक्ष ऐसी बहुत सी पहेलियां उपस्थित हो गई है,जो अनसुलझी हैं?
लड़ाकू विमान रॉफेल की खरीद फरोख्त की प्रक्रिया पर जो गम्भीर आरोप हैं? वे आरोप भी एक अनसुलझी पहेली है?
जब कोई पहेली पूछी जाती है,तो पहेली का उत्तर जानने के लिए कहा जाता है बूझो तो जाने?
बूझना मतलब जानना,समझना या गूढ़ बात को जानना।
जलमार्ग के माध्यम से आयात निर्यात को बढ़ावा देने की संकल्पना को साकार करने के लिए जहाज़ निर्मित करने वाली कंपनी को बैंकों से करोडो रुपयों आर्थिक की सहायता प्रदान की गई।
जहाज़ तो निर्मित हुए नहीं लेकिन बैंकों की स्थिति डूबते जहाज़ जैसी हो गई। यह भी एक अन सुलझी पहेली है।
जहाज निर्मित करने वाली कंपनी के निर्देशक ने सम्भवतः इस कहावत को चरितार्थ करने की कोशिश की होगी? हम डूबेंगे सनम तुम्हे ले डूबेंगे।
पुलवामा में हमारे चालीस अधिक बहादुर सैनिक शहीद हुए। किसी अज्ञात कार में तादाद में विस्फोटक रसायन रखा था।
विस्फोटक रसायन के विस्फोट के कारण सैनिकों का वाहन क्षतिग्रस्त हुआ। यह हादसा कैसे,क्यों, हुआ यह भी एक
अनसुलझी पहेली ही है।
इस अनसुलझी पहेली के कारण कितने घरों के चिराग बुझ गए होंगे यह भी एक कठिन और हृदयविदारक पहेली है। इस घटना की सबसे महत्वपूर्ण पहेली तो यह है कि, कार में विस्फोटक सामग्री का वजन तकरीबन दो सौ पचास से तीन सौ पचास किलो के लगभग था। सम्भवतः इसीलिए पहली अनसुलझी रह गई होगी? यदि पाँच ग्राम विस्फोटक होता तो शायद गुनाहगार जेल में होता?
उत्तरप्रदेश में एक युवती के साथ कुकर्म होने पर जाँच के दौरान युवती अंत हो जाता है। उदारमना शासकीय व्यवस्था अर्धरात्रि युवती की अंतक्रिया सम्पन्न कर देती है। देश की जनता,विपक्ष और सजगप्रहरियो के समक्ष यह दुर्घटना भी एक अनसुलझी पहेली ही है।
एक असामाजिक तत्व पुलिसकर्मियों की निर्दयतापूर्वक हत्या कर देता है। ऐसे जघन्य अपराधी का एनकाउंटर क्यों किया जाता है। यह भी एक अन सुलझी पहेली है।
ऐसी बहुत से पहेलियां हैं जो अन सुलझी है?
तकरीबन चार पांच दशक पूर्व एक दूसरें से पहेलियां पूछना भी एक खेल होता था। यह खेल सिर्फ टाइमपास करने के लिए नहीं होता था,इस खेल में सम्मिलित होने वालों का मनोरंजन भी होता था,और साथ में सामान्यज्ञान में भी वृध्दि होती थी।
पहली बार का राग अलापने वाली इस नई व्यवस्था के कार्यकाल में जो पहेलियां उपस्थित हो रही है।वे जागरूक नागरिकों के दिलों दिमाग़ को झकझोर रही है।
पहली बार देश के समक्ष ऐसी पहेलियों को बूझने की कोशिश में देश की अर्थव्यवस्था बुझ रही है।
यह बहुत ही महत्वपूर्ण पहेली है।
बूझो तो जाने के चक्कर में पता नहीं कितने घरों के चिराग बूझेंगे?
जलमार्ग पर चलने वाले जहाज निर्मित तो हुए नहीं,लेकिन आर्थिक घोटालों की सूची में वृद्धि हो गई है? ऐसा विपक्ष का आरोप है?
यह भी बहुत ही अजब तरह की पहेली है? जहाज निर्मित होकर किसी तूफान में डूबता तो वह हादसा प्राकृतिक आपदा कहलाता? सवाल यह है कि, जहाज तो निर्मित हुए ही नहीं,लेकिन देश की वित्तीय संस्थाओं को डूबने की नोबत आ गई? यह कोई सवाल नहीं है? पहली बार वाली व्यवस्था के समक्ष उपस्थित की गई
अनसुलझी पहेली ही है?
पहली बार का शोर कबतक सुनाई देगा?
जहाज़ निर्मित कंपनी के इस हादसे का परिणाम शेअर बाजार पर दृष्टिगोचर हो रहा है।
शेअर बाजार के औंधे मुंह गिरने के कारण कितने लोगों की आर्थिक स्थिति धराशाही हो सकती है,यह भी एक अन सुलझी पहेली ही है?

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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