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गर्भाशय का योनि से बाहर निकलना : कारण और समाधान

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डॉ. प्रिया

गर्भाशय का बाहर निकलना या प्रोलैप्सड यूटरस के कई कारण हो सकते हैं। इनके लक्षणों को पहचानना और इसका ट्रीटमेंट जरूरी है।
मांसपेशियां या कनेक्टिव टिश्यू कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो गर्भाशय योनि से बाहर की ओर निकलता है। इसे प्रोलैप्स के नाम से जाना जाता है।
महिलाओं में रिप्रोडक्टिव ऑर्गन संबंधी कई समस्या होती है. कभी-कभी मेनोपॉज़ और अन्य पीरियड संबंधी समस्या हो सकती है। इसका प्रभाव गर्भाशय या यूटरस पर भी पड़ सकता है।
यूटरस प्रभावित होने पर महिलाओं की डेली रूटीन प्रभावित हो जाती है। इसके कारण उन्हें सामान्य काम करने में भी दिक्क्त होने लगती है। ऐसी ही एक समस्या है गर्भाशय का बाहर निकलना। इसे प्रोलैप्सड यूटरस कहते हैं।
गर्भाशय का बाहर निकलना या प्रोलैप्सड यूटरस क्या है? इस समस्या का उपचार और बचाव के साधन उपलब्ध हैं या नहीं। इस लेख का सब्जेक्ट यही है.

क्या है प्रोलैप्सड यूटरस?
गर्भाशय या यूटरस (Womb) फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन का एक अंग है। इसका आकार उल्टे नाशपाती जैसा होता है। यह पेल्विस के अंदर स्थित होता है।
गर्भाशय, यूरिनरी ब्लैडर और इंटेस्टाइन को टेलबोन (coccyx) और पेल्विस के भीतर प्यूबिक बॉन के बीच स्थित मांसपेशियों द्वारा सहारा दिया जाता है।
इन मांसपेशियों को पेल्विक फ्लोर या लेवेटर मांसपेशियों के रूप में जाना जाता है। लिगामेंट और कनेक्टिव टिश्यू गर्भाशय और पेल्विक अंगों को अपनी जगह पर सेट रखते हैं। यदि ये मांसपेशियां या कनेक्टिव टिश्यू कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो गर्भाशय योनि से बाहर की ओर निकल सकता है। इसे प्रोलैप्स के नाम से जाना जाता है।
क्या हैं कारण?
गर्भाशय का बाहर निकलना या प्रोलैप्सड यूटरस के सामान्य कारणों में प्रसव, मोटापा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस या अस्थमा जैसी स्थितियों से जुड़ी गंभीर खांसी, कब्ज की समस्या, फाइब्रॉएड, दुर्लभ मामलों में पेल्विक ट्यूमर भी कारण हो सकता है।
मेनोपॉज के बाद हार्मोनल परिवर्तन शामिल हैं। ये पेल्विक अंग को मदद करने वाली संरचनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पेल्विक फ्लोर और कनेक्टिव टिश्यू का कई तरीकों से कमजोर या क्षतिग्रस्त होना हो सकता है।
गर्भावस्था, विशेष रूप से ट्विन्स या तीन बच्चे एक साथ होना भी हो सकता है। योनि से प्रसव, विशेष रूप से यदि बच्चा बड़ा या जल्दी प्रसव हुआ हो।
लक्षण :
• योनि में भारीपन और दबाव की अनुभूति

मांसपेशियों को आराम देने की कोशिश :
आप इन व्यायामों को लेटकर, बैठकर या खड़े होकर कर सकती हैं। हर दिन पांच या छह सत्र करने का लक्ष्य रखें। व्यायाम कैसे करना है इसकी समझ होने के बाद प्रत्येक दिन तीन सत्र पर्याप्त हैं।
•शुरू करने से पहले, अपना ध्यान अपनी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों पर केंद्रित करें। अपने पेट की मांसपेशियों, हिप्स और पैरों की मांसपेशियों को आराम देने की कोशिश करें। नीचे न झुकें या अपनी सांस न रोकें।

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