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स्वप्नलोक का कट्टर अर्धसत्य?

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शशिकांत गुप्ते

एक व्यक्ति स्वप्नलोक में विचरण कर रहा है।
यह व्यक्ति वास्तविक जीवन में स्वयं को सबसे अलग बताने की चेष्ठा करता है। मराठी भाषा में चेष्ठा का शाब्दिक अर्थ होता है,माजक करना,विनोद करना,मसखरी करना।
स्वप्नलोक के व्यक्ति ने इन्द्रपस्थ के एक मैदान में एक बुजुर्ग के साथ भ्रष्टाचार के विरुद्ध ऐसा ढिंढोरा पीटा मानो भारत में कहीं भी लेश मात्र भी भ्र्ष्टाचार दिखाई नहीं देगा?
स्वयं को सबसे अलग समझना और वास्तव में अलग होने में अंतर होता है।
स्वप्नलोक में विचरण करने वाले लोग भुल जातें हैं कि, सिर्फ स्कूल और अस्पताल की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ मुफ्त में खैरात बांटकर विजय प्राप्त हो सकती है। लेकिन जीवन के साथ जीविका भी अनिवार्य है। यह बात गैर सरकारी संगठन संचालित करने वाले जानते ही नहीं है। कारण अधिकांश गैर सरकारी संगठन संचालित करने वाले दूसरों के अनुदान पर निर्भर रहतें हैं। इनलोगों को विदेशों से भी अनुदान मिलता है?
यह सामान्यज्ञान का तक़ाज़ा है कि,जीवित जन ही स्कूल कॉलेज में पढ़ सकतें हैं। जीवित जन को ही बीमारी होती है। बीमार आदमी ही अस्पताल में इलाज के लिए जाता है।
स्वप्नलोग के व्यक्ति को संयोग से इंद्रप्रस्थ में दो बार राज गद्दी मिल गई।
सम्भवतः स्वप्नलोक और इंद्रलोक एक समान ही होता होगा। स्वप्नलोक में मदिरा के लिए नीति बनती है। इंद्रलोक में मदिरा, सुरा के नाम पर मुक्तहस्त से उपलब्ध होती है?
स्वयं को सबसे अलग कहलाने वाले व्यक्ति की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। प्रशंसा भूरी भूरी करना चाहिए या बुरी बुरी यह प्रत्येक व्यक्ति के स्वविवेक पर निर्भर है।
अब तो सबसे अलग बताने के चक्कर में हद ही हो गई।
इस अलग व्यक्ति ने देश की करंसी पर भी नजर दौड़ाई?
इस व्यक्ति द्वारा देश की मुद्रा पर गांधीजी के साथ श्री गणेश और लक्ष्मीजी की तस्वीर की वकालत की गई है।
स्वप्नलोक के व्यक्ति की वकालत
स्वप्न में ही पूरी हुई। कल्पना की दौड़ में श्री गणेश और लक्ष्मीजी की तस्वीर छपे नोट ले कर कोई व्यक्ति मदिरा खरीदने जाएगा तो शराब की दुकान वाला ही मना कर देगा। शराब विक्रेता कहेगा मैं बाकायदा शासन से लाइसेंस प्राप्त कर शराब बेचता हूँ। धर्म के नाम पर अपना जमीर नहीं बेचता हूँ। इसलिए भगवान की तस्वीर वाले नोट का मैं अपमान नहीं होने दूंगा। जुए के अड्डे वाला भी यही कहेगा। जिस होटल में कैबरे डांस होता है, वहाँ की नर्तकियां भी कहेंगे कि, हमारा भी कोई उसूल हैं।
अब आयकर के द्वारा जब छापे डाले जाएंगे तब कालेधन के रूप में श्री गणेशजी और लक्ष्मीजी की तस्वीर छपे नोट बरामद होंगे? श्रीगणेशजी और लक्ष्मीजी भी नोटो के साथ स्विस बैंक की तफ़री करेंगे?
गांधीजी के साथ चाहे जैसा व्यवहार करो। गांधीजी कभी भी बुरा नहीं मानतें हैं।
स्वप्न अंतः स्वप्न ही रहता है।
यथार्थ नहीं?
अहंकारी कभी भी सच्चाई का सामना नहीं कर सकता है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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