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फिर नई मुसीबत लेकर आ गया वेलेंटाइन डे!

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सुसंस्कृति परिहार

जी हां वेलेंटाइन वीक शुरू हो चुका है ।रोज डे से वैलेंटाइन वीक की शुरुआत होती है। यह सात फरवरी से 14 फरवरी तक चलता है जिसमें प्रपोज डे, चॉकलेट डे, टेडी डे, प्रॉमिस डे, हग डे, किस डे फिर वैलेंटाइन्स डे आता है।जब प्रेम करने वाले लोग सार्वजनिक तौर पर इसका इज़हार करते हैं।छै चरणों से गुजरता यह प्रेम किस तरह परवान चढ़ता है यह खुलासा वेलेंटाइन वीक करता है। आजकल हमारे यहां भी वेलेंटाइन वीक मनाया जाने लगा है पहले यह सिर्फ वैलेंटाइन डे 14फरवरी तक सीमित था।


याद कीजिए जब इस डे की देश में शुरूआत हुई तो प्रेमी-प्रेमिका के जोड़े खुलकर पार्कों , सिनेमाघरों में जाते खाते-पीते खुशगवार नज़र आए वे इस तरह सार्वजनिक तौर पर घूमें यह संघ के कुछ अनुषांगिक संगठनों को नागवार गुजरा  और प्रथमत: उन्होंने ये फैसला लिया कि ऐसे जोड़ों को पकड़ कर उनसे एक दूसरे को राखी बंधवाई जाए। कहीं कहीं ऐसी घटनाएं भी सामने भी आईं फलस्वरूप प्रेम पर पहरे ने इसकी रफ्तार में कमी ला दी क्योंकि हमारे संस्कारवान लोग प्रेम को छुपा छुपव्वल वाला खेल मानते हैं। मगर वेलेंटाइन डे मनाने वाले कमजोर तबके के लोगों को छोड़कर प्रायः सभी इसे बराबर मना रहे हैं।रोज डे से यह शुरु हो चुका है।
इसके बाद इस डे को भारतीय संस्कृति के कथित दीवानों ने मातृ-पितृ पूजन दिवस का स्वरूप देने की पुरजोर कोशिश की किंतु न्यू ईयर की तरह वैलेंटाइन डे का खुमार  जब कम नहीं हुआ तो उन्हीं संस्कार वाहकों ने अबकी बार इसे काऊ हग डे मनाने की घोषणा कर डाली। बड़ी विचित्र बात है कि मझौले गांवों में जब इस कथित काऊ हग डे की खबर पहुंची तो उन्होंने इसका आशय काऊ गोबर डे ले लिया और चर्चाएं शुरू हो गई गोबर के पूजन की जबकि भोपाल सांसद साध्वी महोदया गोबर खाने के फायदे बहुत पहले गिना चुकीं हैं।गोबर का खाद वैसे भी आजकल संकट ग्रस्त है बहुत मुश्किल से मिल पाता है उसके उपले भी ईंधन का काम करते हैं गौमूत्र तो आजकल बहुमूल्य औषधि बन गया है।गिर गाय के उत्सर्जन में तो स्वर्ण मिलने की ख़बर ने उसे गुजरात से दरबदर कर दिया। काऊ हग डे बहरहाल लोग जैसा समझे सर आंखों पर। जबकि संस्कारी लोगों ने इस बार प्रेमियों से काऊ को हग करने या गले लगाने का निवेदन किया है।गाय हमारी माता है और उसे गले लगाना ही चाहिए यह उसके प्रति हम सब की जिम्मेदारी बनती ही है।
अब बड़ी मुसीबत ये आ पड़ी है कि गांव में तो गाय माता कहीं कहीं नज़र आ जायेगी पर शहर के संस्कारवादी गाय माता कहां पायेंगे?उनका प्रबंधन बेहद ज़रूरी है।लगता है सरकार ने बहुत सोच-समझकर पिछले सालों में अनेक गौसेवा केंद्र इसलिए बनवाकर रखें हैं ताकि यह समस्या हल हो सके।तो प्रेम करने वालों गौ सेवा केन्द्रों का रुख करो गौमाता के लिए चारा दाना पानी ज़रुर लेते जाना क्योंकि भूख की मारी गौमाता के लिए आप खाली हाथ जायेंगे तो वह आपके गले कैसे लग पायेगी हो सकता है वह आपको उठा कर ही फेंक दें।डरने की ज़रूरत नहीं अपनी मां के लिए भले फूलमाला ना ले जाएं,, खाना पीना ले जाना ज़रुरी है। संभव है कुछ लोग इस दिन गौ सेवा केन्द्रों के इर्द-गिर्द।  फूलमालाओं और चारा वगैरह की दूकान भी सजा लें। यहां भीड़ से बचने के लिए बुकिंग करवा लेना भी आवश्यक है।हो सकता है यहीं आपको अपना या अपनी वैलेंटाइन भी मिल जाए।घूमना भी हो जाएगा। ध्यान रखें इस हरकत को छुप छुप ही करना होगा। जब काऊ को हग करें तो सावधान रहें क्योंकि वह एक जानवर ही है वह इसे नहीं समझ पाएगी।उसको खिलाएं उसकी गर्दन की झालर को सहलाने तब जाके हग की स्थिति निर्मित होंगी।लड़के लड़की की तरह उसे भी पुटियाना (मनाना )होगा।इसके बाद किस होगा तब जाके वेलेंटाइन का सुख मिल पायेगा।

कायदे से लगभग पूरा वीक इस हग के लिए जरूरी है।पहला साल है काउ हग डे का इसलिए सावधानियां ज़रुरी हैं।अगले साल पता नहीं यह दिवस आए या ना आए संभावना है  फिर कोई अलग किस्म की नई मुसीबत वैलेंटाइन डे की आ पहुंचे। बहरहाल आगत की चिंता छोड़कर इस काऊ हग डे की तैयारी करें। वसुधैव कुटुंबकम् की परम्परा को जीवंत करें। अनंत शुभकामनाएं।

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