एन. रघुरामन
अच्छी बारिश के लिए हम प्रार्थना ही कर सकते हैं। हम पढ़े-लिखे लोग निश्चित तौर पर ऐसा नहीं कर सकते कि इंद्रदेव को खुश करें और कुछ नाबालिग लड़कों की शादी कराएं जैसा पिछले हफ्ते कर्नाटक के चिकबल्लापुर के गांवों में हुआ। पूर्णिमा के दिन जब हम बहनों की रक्षा के लिए राखी मना रहे थे, तभी चिंतामणी तालुका के हिरेकट्टीगेनहल्ली गांव के लोग बेसब्री से देवताओं का आह्वान कर रहे थे। ये ग्रामीण बारिश नहीं होने से मुश्किल में हैं और उन्हें दृढ़ विश्वास है कि अगर वे लड़कों की शादी कराएंगे तो भारी बारिश होगी।
इसलिए इस काम को अंजाम देने के लिए कक्षा पांचवी के दो लड़कों को चुना गया, जिनमें एक दूल्हा बना और एक दुल्हन। शादी और इसकी सारी रस्मों- जिसमें मंगलसूत्र भी बांधा गया- में पूरा गांव शरीक हुआ। बाद में दूल्हे-दुल्हन की आरती उतारी गई और उन्हें तोहफे दिए गए। दोनों लड़कों के साथ केवल एक अच्छी बात हुई कि शादी में वह 1600 रुपए से अमीर हो गए, जो उन्होंने साझा कर लिए और इस अंधविश्वासी शादी का बोझ लिए बिना सामान्य जीवन जीने लगे।
सच ये है कि इस बार का मॉनसून 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए अगस्त में सामान्य से नीचे रहा, सितंबर में अगर भरपाई नहीं हुई तो कई चीजों पर असर पड़ेगा। अगर सितंबर में भारी बारिश भी होती है, तब भी कुल बारिश सामान्य से 93% कम रहने का अनुमान है, जिससे खरीफ की फसल पर खतरा रहेगा।
एफएमसीजी इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि इसका सीधा असर ये होगा कि ग्रामीणों के हाथ में नकदी कम होगी, जिसका उनके खरीदारी पैटर्न और खपत के तरीके पर असर पड़ेगा। अगर स्थिति ऐसी रहती है, मतलब अच्छी बारिश नहीं होती है तो एफएमसीजी बिक्री को रिकवर होने में ज्यादा समय लगेगा। कोविड के बाद पहली बार एफएमसीजी उत्पादों की ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में मांग बढ़ी है। पहले सिर्फ खाद्य उत्पादों की मांग होती थी, पर अब होम व पर्सनल केयर में भी ठीकठाक ग्रोथ दिख रही है, इसका श्रेय ग्रामीण आबादी तक विज्ञापनों की पहुंच है।
हालांकि ग्रामीण की तुलना में शहरी बाजार की ग्रोथ तेज रही है, फिर भी एफएमसीजी कंपनियों की 30-40% कमाई ग्रामीण बाजार से आती है। इस 40% पर कम बारिश कितना असर डालेगी, ये वक्त बताएगा। तब तक फुटकर दुकानदारों को सावधान रहने की जरूरत है। इन साधारण से नियमों का पालन कर सकते हैं।
1. देखें कि आपके ग्राहक कौन हैं और उनका खरीदारी का पैटर्न क्या है।
2. वे कब-कब आते (फ्रीक्वेंसी) हैं और जरूरतें नोट करें।
3. ग्राहक की रोजमर्रा की जरूरतों के बारे में पूछताछ करते रहें और खर्च करने की उनकी क्षमता को लेकर उनकी आवाज की टोन भांपते रहें।
4. याद रखें जब स्टॉक खपता रहता है, तो दिक्कत नहीं। लेकिन जब स्टॉक लंबे समय तक शेल्फ पर पड़ा रहता है, फिर यह पैसा नहीं बनाता। और इससे भी ऊपर अगर स्टॉक के लिए आपने नकद भुगतान किया है, तो फिर आप साधारण ब्याज भी गंवा रहे हैं।
5. यदि आप यह दिखाना चाहते हैं कि आपका स्टोर स्टॉक से भरा है, तो उन उत्पादों को अधिक जगह दें जो लंबी क्रेडिट सुविधाओं पर दिए गए हैं।
अगर विशेषज्ञ अंदेशा जताते हैं कि बारिश ग्रामीण मांग पर असर डालने वाली है, तो रिटेलर्स (खासकर ग्रामीण बाजार के) को अपने स्टॉक व क्रेडिट लाइन पर नजर रखनी होगी। अगर मॉनसून ऊपर-नीचे होने से बिक्री पर असर पड़ता है, तो इससे नकदी का प्रवाह बनाए रखने में मदद मिलेगी, इस बीच सितंबर में बारिश के लिए प्रार्थना करते रहें।
फंडा यह है कि अगर आप ग्रामीण बाजार में रिटेलर हैं, तो स्टॉक की आवाजाही को लेकर सतर्क रहें। तुलनात्मक रूप से स्टॉक कम रखें, लेकिन स्टॉक खत्म न करें और जो भी सामान स्टोर कर रहे हैं तो कोशिश करके इसके लिए सबसे अच्छा क्रेडिट सौदा करें।