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विवेकानंद पहले विचारक है ; जिन्होंने आरक्षण की वकालत की थी

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उमेश प्रसाद सिंह,पटना

अगला भारत शूद्रों का होगा? यह उक्ति 1892  में लंदन में स्वामी जी की है ; जिसपर समाजवादी ऑदोलन के सबसे तेजस्वी अध्येता और चिंतक किशन पटनायक ने एक अपना शोधपत्र ही लिख दिया ; जो बचे कुचे समाजवादी अपनी ड़गर चल रहे हैं? 

            लन्दन में स्वामी जी ने लेनिन से भी बड़ा संगठनकर्ता और रूसी अराजकवादी  विचारक प्रिंस क्रोपाटकिन से ” समाजवाद” पर लम्बे विचार – विमर्श के उपरांत एक वक्तव्य दिया था ; जिसे CAST  CULTURE AND SOCIALISM ” नाम से छापा गया था। दुनिया में जाति से वर्ग और वर्ग से जाति में मनुष्य जाति का भ्रमण ही आधुनिक मनुष्य का इतिहास है। इस रूप में मैं भारत में सबसे पहला ” समाजवादी” स्वामी विवेकानन्द जी को मानता हूॅ। 

              यह भी मैं कहना चाहता हूॅ कि वे पहले आदमी या विचारक है ; जिन्होंने आरक्षण की वकालत की थी। यह भी ” समान अवसर नहीं विशेष – अवसर” । ” EQUAL OPPORTUNITY नहीं ” SPECIAL OPPORTUNITY” शब्द का उपयोग करते हुये उन्होंने कहा था कि “भारत हरिजन और गिरिजन चलते- फिरते श्मशान ” की तरह हैं ; इन्हें समान अवसर देने से ये समाज की मुख्य धारा में नहीं आ पायेंगे ; इन्हें “विशेष अवसर ” अवसर देकर आगे बढ़ाना होगा। जिसे डाक्टर राम मनोहर लोहिया ने सामाजिक क्रांति का दायरा पिछड़ी जातियों तक बढ़ाकर 60 सैकड़ा विशेष अवसर की लड़ाई आगे बढ़ाया और हमारे जैसे ऊॅच्ची जातियों के लाखों युवा इस ऑदोलन में कूदकर  इस जड़वत समाज को मथ कर उसके भीतर से नेतृत्व उभारने का प्रयास किये। 

               जब आदरणीय कर्पूरी ठाकुर जी ने बिहार में आरक्षण लागू किया तो देश में भूकम्प हो गया। प्रतिगामी शक्तियाॅ कर्पूरी जी के जान के दुश्मन ही नहीं ; सरकार गिराने का षड़यंत्र शुरू हो गया। उस समय स्वामी विवेकानंद की पुस्तिका ” CAST ,CULTURE AND SOCIALISM”  उपलब्ध कर मैंने पहुॅचाई। उसे पढ़कर उनकी ऑखें छलछला गयीं ; उनके शब्द थे ” बेईमान सब- पूजा करेगा और ऐसे महापुरूषों के वचन पर चलो तो गाली देगा”। उन्होंने वह पुस्तिका रख ली । 

               काश! हम भारतवासी स्वामी जी के मार्ग का अनुसरण कर पाते।नमन।

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