दिव्यांशी मिश्रा
पिछले साल दिव्य भास्कर ने यह खबर छापी थी कि गुजरात के 11 विश्व विद्यालयों के वाइस चांसलर ऐसे हैं जो UGC की गाइडलाइन के अनुसार योग्य ही नहीं है।
इनमें से एक है गुजरात यूनिवर्सिटी जहां से प्रधानमंत्री ने स्नातक की पढ़ाई की है।
इसके वाइस चांसलर की नियुक्ति UGC की गाइड लाइन के अनुसार नहीं हुई है। ऐसा पिछले साल के दिव्य भास्कर की खबर में बताया गया था।
अमृतकाल और विश्व गुरु का झांसा देने वाले बता दें ज़रा कि ये 11 वाइसचांसलर कैसे नियुक्त कर लिए गए? वाइस चांसलर को दो लाख तक की तनख्वाह तो मिलती ही होगी।
धर्म और राष्ट्रवाद की राजनीति से क्या नैतिकता का कोई विकास ही नहीं होता है? क्या आपको मालूम है कि सरदार पटेल ने अपने जीवन काल में जिस सरदार पटेल यूनवर्सिटी की आधारशिला रखी थी उसके वाइस चांसलर के सेवा विस्तार को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
पिछले साल की बात है। कहा था कि वाइस चांसलर शिरीष कुलकर्णी की नियुक्ति ही अवैध है। इन्हें तीन बार सेवा विस्तार दिया गया था।सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उनकी नियुक्ति UGC के नियमों के खिलाफ हुई है।
प्रधानमंत्री यही बता दें कि इस आदमी में ऐसी क्या खूबी थी कि निम बदल कर इसे तीन बार का सेवा विस्तार दिया गया। इस पद पर ऐसे लोग कैसे पहुंच जाते हैं और वर्षों बने रहते हैं।
कोर्ट ने तो यह भी कहा था कि वाइस चासंलर बनने से पहले प्रोफेसर के तौर पर दस साल का पढ़ाने का अनुभव होना चाहिए जो कि कुलकर्णी का नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस बात को लेकर नाराज़गी जताई कि गुजरात सरकार ने वाइस चांसलर की नियुक्ति में UGC के नियमों का पालन नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद गुजरात के 11 राज्य विश्वविद्लायों के वाइस चांसलर की नियुक्ति पर सवाल उठ गए हैं। क्योंकि उनकी नियुक्ति तो इन्हीं नियमों के तहत हुई थी। आगे क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है।
चारों तरफ फर्ज़ीवाड़ा इतना फैला हुआ है कि सही बात करने वाला ही विलेन बन जाता है।
ये वो लोग है जो जाने कैसे सिस्टम से एडजस्ट होकर ऐश कर रहे होते हैं।
(चेतना विकास मिशन).