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शशिकांत गुप्ते

फिल्मों की कहानी पूर्ण तया scripted होती है।
पटकथा लेखक जैसी कहानी लिखता है,उसी कहानी के अनुरूप कलाकारों का चयन होता है। संवाद लेखक भी कहानी के अनुसार ही संवाद लिखता है।
फिल्म का Director मतलब निर्देशक अभिनेताओं को अभिनय करने के लिए निर्देश देता है।
फिल्मों निर्मिति के लिए मुख्य भूमिका होती है,Financer मतलब वित्तीय सहयोग देने वाला व्यक्ति की?
इस मुद्दे पर सीतारामजी का कहना है कि, इनदिनो राजनीति और फिल्म में अंतरंगता स्पष्ट दिखाई दे रही है।
जिस तरह फिल्मों की सफलता फिल्म के प्रचार पर निर्भर होती है, ठीक इसी तरह राजनीति में भी प्रचार माध्यमों की अहम भूमिका होती है।
जिस फिल्म का जितना अधिक विरोध होता है,या किया जाता है,वही फिल्म सुपर डुपर हिट होती है। ठीक राजनीति की तरह?
फिल्मों में और राजनीति में वित्तीय सहयोग देने वाले धनकुबेर जो वित्तीय निवेश करते हैं,यह वित्त किस रंग का होता है,दर्शकों और आमजन को यह जानना जरूरी नहीं है।
वित्त शाम रंग होने के बावजूद भी,राजनेताओं और फिल्मी कलाकारों की छबि धवल ही होती है,यह अटल सत्य है।
फिल्मों में राजनीति पर जो व्यंग्य दर्शाया जाता है,वह व्यंग्य असल में राजनीति के लिए प्रेरणादायी होता है।
फिल्मों में खलनायक का अभिनय करने वाले कलाकार और उसके मातहत कार्यरत कर्मियों का अभिनय करने वालों के द्वारा विभिन्न तरह के गैर कानूनी कार्यों का बेखौफ होकर किस तरह अंजाम दिया जाता है, यह बखूबी फिल्माया जाता है।
पिछले चार दशकों से फिल्मों में हिंसा का प्रदर्शन दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है?
फिल्मों की एक बहुत महत्वपूर्ण सच्चाई है।
फिल्में और राजनीति दोनो में एक बहुत बड़ी साम्यता है, दोनों ही भगवान की कृपा पर निर्भर होते हैं।
फिल्में और राजनीति धार्मिक स्थानों पर विराजित भगवान के प्रतीक मंदिरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा या होता है,इस बात से दोनो ही आश्वश्त होते हैं।
उपर्युक्त मुद्दों का बावजूद फिल्मों में इस तरह गीत गाए जाते हैं
कसमें वादे प्यार वफा, सब बातें हैं बातों का क्या
कोई किसी का नहीं है झूठे नाते हैं नातों का क्या
फिल्मों और राजनीति की अंतरंगता का एक सटीक उदाहरण फिल्मी के नाम स्पष्ट होता है।
हम है कमल के हम से बढ़कर कौन श्रीमान चार सौ बीस शहंशाह असली नकली डॉन एक से बढ़कर एक ऐसे अनेक नाम है।
एक नाम बहुत ही रहस्यमय है।
अनाड़ी इस नाम का रहस्य यह है कि सिर्फ नाम अनाडी है लेकिन स्वभाव से शातिर होता है।
मराठी भाषा में अनाड़ी को
अडाणी कहते हैं।
इन दिनों फिल्मों में रिमिक्स का प्रचलन भी बहुत है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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