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वी मिस यू ब्लॉन्डी.. हिटलर 

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मनीषसिंह

हिटलर के समर्थक तो लाखों करोड़ों थे। सारे उसके लिए जान देने, और जान लेने को तैयार थे। लेकिन हिटलर की नजर में सच्चा भक्त, सिर्फ ब्लॉन्डी भाई थे। 

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इसलिए उसे विशेष प्रेम करते। ब्लॉन्डी भाई हमेशा अपने हृदय सम्राट के आगे पीछे डोलते। पूंछ हिलाते, चाटते, बदन रगड़ते। 

उसके कहने पर उठते, बैठते, कूदते, फांदते। वो कपड़ो से किसी को पहचान कर छू कहते, तो ब्लॉन्डी उसे पाकिस्तान तक दौड़ा देता। 

हिट्टू भाई, ब्लॉन्डी भैया को हमेशा साथ रखते ते।अपने हाथों से दूध रोटी, मांस, हड्डी खिलाते। वो जब भी भौकता प्यार से थपकी देते। प्लेन में साथ लेकर जाते, दौरों पर भी हमराह रखते। 

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दुनिया भर के कुत्ते, ब्लॉन्डी से ईर्ष्या करते। बहुत से नाजी अफसर तो सोचते कि काश मैं ब्लॉन्डी होता, हिटलर का कुत्ता होता।

यहां तक कि हिटलर की प्रेमिका ईवा ब्रॉन भी ब्लॉन्डी से जलती थी।  तो हिटलर का कुत्ता होना कम गर्व की बात नही थी। 

ब्लॉन्डी अक्सर भौक भौक कर कहता- गर्व से कहो, हम कुत्तू हैं। 

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ब्लॉन्डी के 5 बच्चे हुए। एक तो इवा की बहन के ले गयी। तीन, टॉप नाजी अफसर ले गए, जो उन पिल्लों को दिखाकर रोब गांठते- देखो ये हमारे फ़्यूहरर के कुत्ते का पिल्ला है। 

एक खो गया। अफवाह है, कि उसे इंडिया का कोई नाजीवादी ले आया था। पहले मुझे इस अफवाह पर यकीन नही था। 

मगर 2014 के बाद से, मुझे इसमे काफी सचाई लगती है। 

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बहरहाल, जब प्रेम सच्चा हो, तो अच्छे दिन ही नही, बुरे दिन भी साथ काटे जाते हैं।

तो बर्लिन पे रोज बम गिरने लगे, हिटलर ने राएख चांसलरी गार्डन में बने बंकर में शरण ली। ब्लॉन्डी भाई भी उन मुट्ठी भर जर्मन जीवों में शामिल थे, जिनको उस परम सुरक्षित बंकर में जगह मिली। 

वह भी हिटलर के रूम में। हिटलर दिन भर मीटिंगे करता, और ब्लॉन्डी भाई हिटलर के बिस्तर पर पड़े ऊँघते रहते। 

और फिर वो दिन भी आया। 

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हिटलर ने सायनाइड के कैप्सूल मंगाए। एक ईवा को दिया, एक अपने लिए रखा। मगर शक था कि सायनाइड काम करेगा या नही। 

टेस्टिंग के लिए कैंडिडेट सामने था। ब्लॉन्डी भाई को बुलाया, सहलाया। मुंह खुलवाकर कैप्सूल डाला, और मुंह जबरन बन्द कर दिया। 

ब्लॉन्डी भाई को लगा- मटर पनीर है। चररचट्ट चबा लिया। अल्लाह को प्यारे, गॉड के दुलारे हो गए। 

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एक जमाने मे सती प्रथा चलती थी। जीवन साथी के संग प्राणोत्सर्ग कर दिया जाता था। 

ब्लॉन्डी भाई भी हिटलर के साथ “सता” हुए। यह अनुकरणीय कर्म है। विश्व मे किसी भी नेता के अंधभक्त कुत्ते को ब्लॉन्डी से सीखना चाहिए। 

नेता के साथ जीने और मरने की कसम खानी चाहिए। जब वो झोला उठाये, और साथ साथ करोड़ों नफरती कीड़े भी झोला उठा लें।  

तो सचमुच एक नवयुग का आगाज होगा। भारत इस बोझ से मुक्त होकर विश्वगुरु बनने की राह पर दौड़ सकेगा। 

ऐसा होना ही है, ऐसा हमारे भाग्य में लिखा है। सुबह नजदीक है, चमकीली रोशनी दिखाई दे रही है। शनै शनै वह चहुं ओर फैल जानी है। 

टिल देन, वी मिस यू ब्लॉन्डी..

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