अशोक मधुप
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रथम और दूसरे दौर का चुनाव प्रचार पूरे जोरों पर हैं। पहले चरण का दस फरवरी और दूसरे चरण का 14 फरवरी को मतदान होना है। नेताओं ने दौरे चल रहे हैं।जनसंपर्क जारी है किंतु इनसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुद्दे गायब हैं।पश्चिम उत्तर प्रदेश के विकास की बात गायब है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना की मांग काफी पुरानी है।पश्चिम उत्तर प्रदेश के वकील इस मांग को लेकर आंदोलनरत रहे हैं।राजनैतिक दल वकीलों के बीच आकर उनकी मांग का समर्थन करतें रहे हैं।इस बार के चुनाव की महत्वपूर्ण बात यह है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के वकीलों की यह मांग चुनाव प्रचार से गायब है।पश्चिम के जिले हाईकोर्ट की इलाहाबाद की इलाहाबाद पीठ से संबद्ध है। जबकि इसी हाईकोर्ट की एक पीठ लखनऊ में कार्यरत है। लखनऊ पीठ पश्चिम उत्तर प्रदेश के नजदीक है, किंतु किसी ने भी कोशिश नही की कि पश्चिम उत्तर प्रदेश को लखनऊ पीठ से संबद्ध कर दिया जाए।
लंबे समय से पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग उठती रही है। रालोद के नेता अजित सिंह भी पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग करते रहे हैं।बसपा ने तो पश्चिम उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटने का प्रस्ताव कर केंद्र को अपनी सररकार में भेज दिया था। भाजपा सदा छोटे प्रदेश की पक्षधर रही है।आंदोलन के समर्थकों का कहना रहा है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के आय स्त्रोत से पूरब का विकास होता रहा है। पश्चिम के विकास के लिए उसका अलग राज्य बनना जरूरी है।इतना महत्वपूर्ण होने पर भी पश्चिम उत्तर प्रदेश का यह मुद्दा चुनाव प्रचार से गायब है।दलों के एजेंडों में इसका जिक्र नहीं। नेताओं के भाषण में इसपर कोई चर्चा नहीं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान कार्यरत हैं। एक रायबरेली में दूसरा गोरखपुर में। पश्चिम उत्तर प्रदेश में कोई अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नहीं है। न ही इस स्तर का कोई प्रतिष्ठान। देश भर की तरह जिलों में मैडिकल काँलेज स्थापित किए जा रहें हैं किंतु पश्चिम में इस स्तर के किसी अस्पताल की स्थापना की और किसी का ध्यान नही हैं।
प्रदेश में अयोध्या और काशी का ही विकास हो रहा है। अभी मथुरा की मांग शुरू हुई हैं किंतु हस्तिनापुर, शुक्रताल और विदुरकुटी के विकास की कोई बात नहीं हो रही। जबकि ये भी उतने ही प्रसिद्ध हैं। हरिद्वार के बाद गंगा बिजनौर में आती है। सपा सरकार में ऋषिकेश के एक सम्मेलन में तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री शिवपाल यादव ने घोषणा की थी कि हरिद्वार की तरह उत्तर प्रदेश के उस नगर का विकास किया जाएगा, जहां उत्तरांचल के बाद सर्व प्रथम गंगा आती है। उत्तराचंल के बाद गंगा बिजनौर में आजी है। यहां के विकास का किसी काे ध्यान नही
किंतु कुछ नही हुआ।कोई नेता इसके मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं।
अब तक पूर्व के विकास पर जोर रहा है।विकास का केंद्र वर्तमान सरकार में गोरखपुर रहा। रक्षा कैरिडोर झांसी में बन रहा है। लखनऊ के आसपास कल कारखाने लग रहे हैं। दिल्ली के आसपास गाजियाबाद −नोयडा का विकास हो रहा है, किंतु पश्चिम के कई जिले विकास की धारा से बहुत दूर हैं। इस चुनाव में न इनकी बात हो रही है, न इनकी चर्चा।
अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)