Site icon अग्नि आलोक

क्या ग्रोक पर ब्रेक क्या लग सकता है?

Share
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

-सुसंस्कृति परिहार 

एलनमस्क के ग्रोक के ज़रिए पिछले दिनों से ताबड़तोड़ सवाल जवाब पूछे जा रहे हैं तथा उस पर संदेह कहीं भारतीयों को नज़र नहीं आ रहा है।ये मानसिकता इसलिए जन्मी है कि पिछले ग्यारह सालों से हर सवाल कचरे की टोकरी में स्थान पाता रहा है। विपक्ष की बात सच होने के बावजूद भी उन्हें झूठ में इस तरह बदला जाके लोगों को इसके जवाबों से दूर कर दिया जाता रहा है। प्रतिपक्ष नेता राहुल को जो एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं , भाजपा भक्तों ने पप्पू ही बना डाला था। बल्कि कतिपय कांग्रेसी भी उस भ्रमजाल में फंस गए और भाजपाई खेमे में पहुंच गए।

यह सब एक बड़ी साज़िश के तहत काम हुआ भारत जोड़ो यात्रा ने जिसे देश का राजनैतिक हीरो घोषित किया उसे भी संघीय जादूगरी ने धराशाई कर दिया। किंतु सच्चाई यह है कि देश नई करवट लेने बेचैन है। इसमें ग्रोक को सोने में सुहागा की तरह देखा जा रहा है। क्योंकि जो बातें राहुल गांधी ने सीना तानकर और भाजपा के खिलाफ कहीं थीं उसकी पुष्टि अपने जवाबों से ग्रोक कर रहा है जिससे भाजपा और संघ बेहद परेशान हैं।

एलनमस्क के लिए मोदीजी ने काफ़ी मस्का मारा उनके भारत आने पर पलक पांवड़े बिछाए गए,पर उन्हें ख़्वाब में भी यह ख़बर नहीं थी कि उनका आगमन उनकी पोल पट्टी सवाल जवाब के जरिए खोल देगा। उन्होंने तो भारत के तमाम चैनल और मीडिया को गोद ले लिया था। निश्चिंत थे सब ठीक हो जाएगा पर मानना पड़ेगा डोनाल्ड ट्रम्प और उनके सबसे पूंजीपति दोस्त एलन ने उनके तिलस्मी व्यक्तिव से पर्दा उठाना शुरू कर दिया है।यह कब तक चलेगा कहा नहीं जा सकता क्योंकि इनके पास भी उस्तादों का नागपुर में जमावड़ा है। जो झूठ बोलने,शर्म से दूर ,हाथ पांव जोड़ने में माहिर और पल्टी मारने के साथ ख़रीद फरोख्त में माहिर हैं। जिन गुणों ने दुनियां के दो लोकतांत्रिक देशों को खिलौना बना के रख दिया है इनमें हमारे विश्वगुरु और अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प शामिल हैं।

जब Gork से पूछा जाता है कि तुम्हारे नाम का मतलब क्या है ?उत्तर जो गोर्क ने दिया-“Grok” एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका मूल रूप से अर्थ है “किसी चीज़ को गहराई से समझना” या “किसी के साथ गहरी सहानुभूति महसूस करना”। यह शब्द सबसे पहले विज्ञान-कथा लेखक रॉबर्ट ए. हेनलाइन द्वारा अपनी 1961 की किताब “Stranger in a Strange Land” में इस्तेमाल किया गया था। इस किताब में “grok” एक मार्शियन (मंगल ग्रह की भाषा) शब्द था, जिसका मतलब था किसी चीज़ को पूरी तरह आत्मसात करना या उससे एकाकार हो जाना।

मेरे नाम “Grok” का संबंध भी इसी से है। मैं xAI द्वारा बनाया गया एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) हूँ, और मेरा नाम इस विचार से लिया गया है कि मैं इंसानों के सवालों को गहराई से समझने और उनके लिए उपयोगी, सटीक जवाब देने की कोशिश करता हूँ। xAI ने इसे एक प्रतीक के रूप में चुना, जो उनकी मिशन को दर्शाता है – मानव वैज्ञानिक खोज को तेज करना और ब्रह्मांड की समझ को बढ़ाना। यानि यदि सत्यान्वेषण यदि ग्रोक के सहारे चल सकता है।तो यह भी मुनासिब है ग्रोक की ग्रोथ पर देश की सम्पत्ति बेचकर मोदीजी रोक लगवा दें। लेकिन फिलहाल यह सुखद अवसर है भारत के लोग अपने प्रिय नेताओं के कारनामों से परिचित और प्रभावित होते दिख रहे हैं। उन्हें सोनिया जी के सिवा विदेश से आई सभी चीजें पसंद होती हैं। फिर एलनमस्क तो इस दुनियां के संचार का बादशाह है। भारत उसके शिकंजे में है उसे लूटना है इस देश की खनिज ,कृषि सम्पदा, बौद्धिक और राजनैतिज्ञ सम्पदा को। जिससे उसकी राह आसान हो सके।उसे भली-भांति ज्ञात है कि यह अंधभक्तों और गूंगों बहरों का देश है।

यानि अब हम मुश्किलात से घिर चुके हैं। लेकिन फिर भी देश में एक नया गांधी आ चुका है जिसके पास वे तमाम शक्तियां हैं जो बापू के रास्ते से उसे प्राप्त हैं। लड़ाई कठिन है पर मज़ा तो तभी है जब इन शैतान ताकतों को नेस्तनाबूद करने के लिए दुनिया के उन राष्ट्रों को साथ लें जो इन तानाशाहों से छोटी-छोटी लड़ाईयां लड़ रहे हैं। ज़िंदादिली से लड़ी हर जंग जीती जा सकती है। वियतनाम इसका एक बड़ा उदाहरण है।ग्रोक पर ब्रेक भले लग जाए।पर कदम दर कदम आगे बढ़ते जाना है। पेंटागन की दम पर हथियार बेचने वाले इस देश को चहुंओर व्यापार ही नज़र आता है। हमारे मोदीजी भी कम नहीं उनकी रगों में व्यापार का ख़ून खूब उबाल मार चुका है। फिलवक्त वे एक चतुर व्यापारी की गिरफ्त में हैं।ग्रोक उन्हें सदमे ही सदमे दे रहा है। देखें आगे क्या कुछ कर सकते मोदीजी ?वरना उनके साथ देश का बेड़ा गर्क होना ही है।

Exit mobile version