अग्नि आलोक

…कौन सा रंग देखोगे!

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(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)*

यह तो विरोधियों की सरासर फेक न्यूज है। कह रहे हैं कि अब तो मोदी जी ने भी कर्नाटक के चुनाव में हार मान ली है। तभी तो चुनाव में अपनी पार्टी के लिए वोट मांगने की जगह, फिल्लम का प्रचार कर रहे हैं। और फिल्लम भी कर्नाटक की होती, तो बात समझ में आती थी। फिल्लम, टीपू सुल्तान की हत्या के पाप से अंगरेजों को मुक्ति दिलाने वाली, फर्जी गौडा वीरों की काल्पनिक कहानी की होती, तब भी कर्नाटक के चुनाव से उसका दूर-दूराज का कोई रिश्ता समझ में आता था। कर्नाटक में बेचारे भक्त कब तक मराठी फर्जी वीर से काम चलाएंगे; जब फर्जी वीर ही बनाना है तो, कम से कम कन्नडिगा तो हो। पर मोदी जी तो ‘द केरल स्टोरी’ का प्रचार कर रहे हैं। यानी प्रचार कर्नाटक में, केरल पर निशाना। यह अगर चुनाव से पहले ही कर्नाटक में हार मान लेना नहीं, तो और क्या है?

पर यह सरासर फेक न्यूज है। माना कि मोदी जी ने फिल्म का प्रचार किया है। कर्नाटक के चुनाव प्रचार के बीच में फिल्म का प्रचार किया है। कर्नाटक के चुनाव प्रचार के बीच में, केरल की स्टोरी होने का दावा करने वाली फिल्म का प्रचार किया है। फिर भी उन्होंनेे केरल का नाम लेने वाली फिल्म का प्रचार भी किया तो, कर्नाटक के चुनाव के लिए ही है। केरल के नाम वाली फिल्म का प्रचार करते हुए भी, मोदी जी की नजरें उसी प्रकार पूरी तरह से कर्नाटक के चुनाव पर ही थीं, जैसे बजरंग बली की जयकार करते हुए। और किसी चीज से भी नजर चाहे हट जाए, मोदी जी की नजर चुनाव से तो तब भी नहीं हटती है, जब चुनाव दूर तक नजर नहीं आ रहे हों, फिर चुनाव प्रचार के बीच से नजर हटने का तो सवाल ही कहां उठता है।

बल्कि बात उल्टी है। कर्नाटक में चुनाव प्रचार से हाथ खींचना तो दूर, मोदी जी इस बार सवाया बल्कि ड्योढ़ा जोर लगा रहे हैं। और बदल-बदलकर अपने सारे दांव आजमा रहे हैं कि किसी में तो कन्नडिगा भी फंसेंगे। दक्षिण वाले मुश्किल से फंसने वाले सही, मोदी जी के पास भी कोई एक दांव थोड़े ही है। तभी तो पहले, मुझे गालियां देते हैं का रोना रो कर दिखाया। फिर बजरंग बली का जैकारा लगवाया। फिर ‘केरल स्टोरी’ दिखवाने लगे और झूठ को सच का सार्टिफिकेट देकर, एक नये बहाने से सांप्रदायिक दांव आजमाने लगे। और एकदम अब, मणिपुर को जलता छोडक़र, रोज-रोज अपनी सवारी निकलवा रहे हैं। घंटों-घंटों का अपना असली फोटो दिखा रहे हैं, गाड़ी से ज्यादा सडक़ों पर फूल फेंकवा रहे हैं। और उन्हीं-उन्हीं भक्तों को अपने रोड शो में बार-बार, मोड़-मोड़ पर दिखाने का जादू कर के दिखा रहे हैं, जिसे मोदी जी की पॉपूलरिटी से जलने वाले, भीड़ का फर्जीवाड़ा बता रहे हैं।

कर्नाटक वालों के लिए मोदी जी की फोटो पर बटन दबाने के लिए बहाने ही बहाने हैं, चुन तो लेें। साहब के लाखों रंग, (कर्नाटक वालो) कौन सा रंग देखोगे! साहब का कोई भी रंग देखना ही नहीं चाहो, तो किसी और फोटो पर बटन दबाओ।                                                             

*(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)*

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