अग्नि आलोक

क्या है एल्गार परिषद ? कौन लोग है फादर स्टेन स्वामी के हत्यारे ?

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dr. suresh khernar

क्या है एल्गार परिषद ? 2018 की पहली जनवरी को पुणे से पच्चीस किलोमिटर की दूरी पर भीमा कोरेगाव नाम का एक गाँव है ! जहाँ पर दो सौ साल पहले पुणे के ब्राह्मण पेशवा और अंग्रेजों की लडाई हुई और अंग्रेजी फौज की महार रेजिमेंट के एक हजार से भी कम सैनिकों मे महार,कुणबी, मराठा तथा अन्य जातियों के भी सैनिक थे ! लेकिन महार (डॉ बाबा साहब अंबेडकर की जन्मना जात) के सैनिकों की संख्या ज्यादा थी ! और इधर पेशवाओकी सैनिकों की संख्या ज्यादा थी कोई कहता है कि बीस हजार ! खैर संख्या कोई विवाद का विषय नहीं है ! लेकिन उस 203 साल पहले की लडाई मे पेशवा ओकी हार हुई और अंग्रेजों की जीत हुई ! और शनिवार वाडा पर जो पेशवा के किले की प्राचीर पर पेशवा ओकी हार के कारण हमेशा के लिए ब्राह्मणों की सत्ता खत्म हुई !

इसमें मेरे जैसे स्वतंत्रता सेनानी के बेटे को भी धुलिया से पुणे बससे जाते समय आजसे पचास साल पहले ! भीमा कोरेगाव का विजय स्तंभ देखकर अक्सर गुस्सा आता था ! (15-16 साल की उम्र में !) लेकिन डॉ बाबा साहब अंबेडकर ने जब से भीमा कोरेगाव शौर्य दिन मनाने की शुरूआत की है और राष्ट्र सेवा दल के शिबिरो और अभ्यास मंडल के कारण मेरी भारत की जाती व्यवस्था की समझ बदलने के कारण मुझे उम्र के शुरुआती दौर में आने वाले गुस्से की जगह गौरव महसूस होने लगा !

तो ब्राह्मणवादी मानसिकता के कारण 2018 में तत्कालीन सत्ता धारियों को भीमा कोरेगाव शौर्य दिन मनाने की कल्पना से ही नफरत थी और उस कारण शौर्य दिन मनाने के लिए वह भी दो सौ साल के उपलक्ष्यके शौर्य दिन मनाने की समिति का गठन साल भर पहले से ही किया गया था जिसमें राष्ट्र सेवा दल से लेकर महाराष्ट्र के ज्यादातर सामाजिक परिवर्तन करने वाले संगठन शायद दो सौ से भी ज्यादा मिलकर एल्गार परिषद की स्थापना की गई थी ! पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और हमारे देश के प्रेस कौन्सिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष पी बी सामंत एल्गार परिषद के अध्यक्ष बने थे और मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी जी कोळसे पाटील से लेकर मै राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष के नाते एल्गार परिषद के सदस्यों मे से एक रहा हूँ और यह कमिटी भीमा कोरेगाव शौर्य दिन मनाने के लिए स्थापित की गई परिषद थी क्योंकि भीमा कोरेगाव की लडाई का 2018 दो सौ साल पूरे होने पर यह आयोजन किया गया था और पुणे के शनिवार वाडा की 31 दिसंबर 2017 के दिन न्यायमूर्ति पी बी सामंत की अध्यक्षता में वह सभा जिसमें न्यायमुर्ति बी जी कोळसे पाटील से लेकर काफी वक्ता शामिल थे !

और एक जनवरी 2018 के दिन भीमा कोरेगाव के विजय स्तंभ के पास देश भर से दलित और जाति-धर्मनिरपेक्ष समाज के लिए काम करने वाले हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे ! लेकिन तत्कालीन ब्राह्मणवादी सरकार और उनके छत्र छाया में पाले हुए मनोहर भीडे और एकबोटे संभाजी के नाम पर गत बीस-पच्चीस सालो से पस्चिम महाराष्ट्र के बहुजन समाज के युवाओं को शिवाजी महाराज ने बनाये किले के दर्शन के नाम पर जातिवाद का जहर उन युवाओं को शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के नाम पर पिलाने का काम कर रहे हैं और एक जनवरी की भीमा कोरेगाव के दंगे को अंजाम देने का काम किया है !

मै यह इतने आत्म विश्वास के साथ इसलिये लिख रहा हूँ कि एक हप्ते के भीतर आठ जनवरी 2018 के संपूर्ण दिन मेरी अध्यक्षता में जाँच कमिटी ने भीमा कोरेगाव, वढू बुद्रुक इत्यादि दंगाग्रस्त इलाके का दौरा किया है और स्थानीय लोगों से लेकर पुलिस-प्रशासन से बातचीत करने के बाद ही हमने राष्ट्र सेवा दल के तरफ से रिपोर्ट मराठी, हिंदी और अंग्रेजी मे बनाकर रिलीज़ की है और वह रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने अपने डिसेंट जज्मेंट मे भी संपूर्ण रिपोर्ट कोट की है और पुणे के सेशन कोर्ट तथा मुंबई हाईकोर्ट में भी भीडे-एकबोटे के बेल के खिलाफ इस्तेमाल करने की बात है और मुख्य बात पूर्व न्यायाधीश जे एन पटेल कमिशन जो तत्कालीन महाराष्ट्र कि सरकार ने भीमा कोरेगाव चौकसी आयोग गठित किया है तो उस आयोग के सामने भी राष्ट्र सेवा दल के रिपोर्ट को मैंने खुद पुणे में जमा की है !

फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी एल्गार परिषद के नाम पर हुई थी ! जहाँ तक मुझे मालूम है कि एल्गार परिषद, 2017 से महाराष्ट्र के जातिनिर्मूलन आंदोलन से संबंधित दो सौ से भी ज्यादा संगठन मिलकर , एक जनवरी 2018 को भीमा कोरेगाव शौर्य दिवस को दो सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में , एक भव्य समारोह का आयोजन भीमा कोरेगाव मे ! और उसके एक दिन पहले पुणे के शनिवार वाडा के सामने बडी सभा और उसके लिए लोग आने चाहिए और उनकी व्यवस्था के लिए एक कमिटी का गठन किया गया था जिसका नाम एल्गार परिषद रखा गया था !

आज फादर स्टेन स्वामी के अलावा और भी लोग जेल मे उसके संबंध में है और ज्यादा तर लोगों को मै खुद काफी सालो से जानता हूँ ! हमारे वैचारिक मतभेद जरूर है लेकिन इनमे से एक भी नहीं होगा जो की भारत की एकता-अखंडता के साथ खिलवाड़ करता होगा उल्टा भारत के दलित, आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यक समुदाय के सवालों को लेकर बरसों से काम कर ने की कोशिश कर रहे हैं और मेरा संबंध आने की वजह भी यह सवाल है जिसे लेकर राष्ट्र सेवा दल के स्थापना के समय से ही यह सवालों को लेकर हम लोग कुछ मुद्दों पर मिलकर समय-समय पर अलग-अलग प्रक्रियाओं को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं और इनके उपर वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री की हत्या का षडयंत्र तो बहुत ही अतिरंजित और बचकानापन का आरोप लगाया गया है !

फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के समय वह अस्सी साल पार कर चुके थे ! झारखंड में रहने वाले अस्सी साल के स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी एल्गार परिषद के नाम पर ! बहुत ही हैरानीकी बात है ! और जबसे उन्हें गिरफ्तार किया गया तभी से उनके तबीयत ठीक नहीं है यह न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के बावजूद हमारे देश के न्यायालय ने पर्याप्त मात्रा में ध्यान नहीं दिया है ! हालांकि कुछ-कुछ केसेसमे न्यायालय ने सरकार के खिलाफ निर्णय दिया है ! लेकिन एल्गार परिषद के नाम पर गिरफ्तार किए गए सभीको फिर वरवरा राव जैसे उम्र दराज तेलगु कवि, प्रोफेसर साईबाबा (जन्मसेही अपाहिज है !) और अन्य लोगों के भी मामले हेतु न्यायालय सिर्फ सरकारी पक्ष की बात सुनकर इन सभी लोगों को आज तीन साल हो रहे हैं और सुनवाई नहीं हो रही है ! और कल इसी समय फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु होने के लिए सरकार, प्रशासन और न्यायपालिका भी जिम्मेदार है और सबसे हैरानीकी बात आज फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु के बाद हमारे देश के लेखक, कवि और कुछ सामाजिक सरोकार वाले लोगों के लेख और प्रतिक्रिया देखकर लगता है कि अभी भी कुछ-कुछ बाकी है !

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