भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में इस वक्त अस्थिरता का माहौल है। बीते दिनों हिंसक आरक्षण आंदोलन के चलते शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ गया। पूर्व प्रधानमंत्री देश छोड़कर भारत में रुकी हुई हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच देश भर में हिंदुओं, उनकी दुकानों और मंदिरों को निशाना बनाए जाने की तस्वीरें आईं। हालांकि, पिछले दिनों इन्हीं हमलों को लेकर अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की एक ऐसी रिपोर्ट आई जिसकी हर ओर आलोचना होने लगी। विवाद बढ़ता देख अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बदलाव कर दिया। यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह के मामलों में पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टिंग पर सवाल उठे हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हुई हालिया घटनाओं पर अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में अखबार ने शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हुई हिंदू विरोधी हिंसा को बदला लेने वाला हमला बताया। इसके बाद पश्चिमी मीडिया की काफी आलोचना हो रही है।
आइये जानते हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ क्या हो रहा है? इस पर न्यूयॉर्क टाइम्स ने क्या रिपोर्ट दी थी? NYT की रिपोर्ट पर विवाद क्या हुआ? विवाद से बाद NYT ने क्या कदम उठाया? क्या पहले भी पश्चिमी मीडिया के पूर्वाग्रह से ग्रसित रिपोर्ट्स सामने आई हैं?
बांग्लादेश में हिंदुओं पर न्यूयॉर्क टाइम्स ने क्या रिपोर्ट दी थी?
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हुई हालिया घटनाओं पर अमेरिकी अखबार ने गुरुवार (8 अगस्त) को एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में अखबार ने बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हुई हिंदू विरोधी हिंसा को बदला लेने वाला हमला बताया। अखबार ने खबर के शीर्षक में लिखा, ‘प्रधानमंत्री के जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर बदला लेने के लिए हमले’। अंग्रेजी में शीर्षक था- ‘Hindus in Bangladesh Face Revenge Attacks After Prime Minister’s Exit’
इस खबर की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना की गई और इसे हिंदू विरोधी करार दिया गया। कई लोगों ने कहा कि खबर के शीर्षक से ऐसा लगता है कि हिंदू किसी तरह अपराधी हैं और उन पर हमला होना चाहिए।
लेखक संजीव सान्याल ने खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ‘इसलिए NYT का सुझाव है कि हिंदुओं पर हिंसा ‘बदला’ है… दूसरे शब्दों में उन्होंने ऐसा कुछ बुरा किया होगा जिसका बदला लिया जाना चाहिए।’
जेएनयू के प्रोफेसर और लेखक हैप्पीमोन जैकब खबर की आलोचना करते हुए लिखा, ‘कभी-कभी घृणा क्रांति का ढोंग करती है।’
ऐसे ही तमाम सोशल मीडिया यूजर्स ने अमेरिकी अखबार की आलोचना की और खबर के लिए माफी और स्पष्टीकरण देने की मांग की।
विवाद के बाद NYT ने क्या कदम उठाया?
सोशल मीडिया पर आलोचना झेलने के कई घंटों बाद आखिरकार अखबार ने विवादित शीर्षक को बदल दिया। अमेरिकी प्रकाशन ने शीर्षक से रिवेंज (बदला) शब्द को हटाते हुए लिखा, ‘प्रधानमंत्री के जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले।’ अंग्रेजी में शीर्षक दिया गया – ‘Hindus in Bangladesh Face Attacks After Prime Minister’s Exit’
क्या पहले भी पश्चिमी मीडिया के पूर्वाग्रह से ग्रसित रिपोर्ट्स सामने आई हैं?
हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब पश्चिमी मीडिया पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर रिपोर्टिंग करने के आरोप लगे हैं। 13 जुलाई को ही पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास के बाद NYT समेत कई मीडिया स्त्रोतों ने पक्षपाती रिपोर्टिंग के आरोप लगे थे। घटना के तत्काल बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, ‘गोलीबारी के बाद ट्रंप घायल, लेकिन सुरक्षित’।
सीएनएन ने शीर्षक दिया, ‘रैली में ट्रंप के गिरने के बाद सीक्रेट सर्विस ने उन्हें स्टेज से उतारा’।
एसोसिएटेड प्रेस ने लिखा, ‘डोनाल्ड ट्रंप को एक रैली के दौरान भीड़ में तेज आवाजें आने के बाद मंच से उतार दिया गया’।
जबकि जिस वक्त ट्रंप पर हमला हुआ उव वक्त लाइव प्रसारण हो रहा था। टीवी में दिखाए गए दृश्यों से पता चल रहा था कि ट्रंप के कान के पास से गोली गुजरी थी। इससे पहले कि वह बचने के लिए नीचे झुकते, गोलियों की आवाज सुनी जा सकती थी। गोली लगने के लगभग एक मिनट बाद सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने उन्हें खड़ा किया। ट्रंप के कान में चोट लगने के कारण उनके चेहरे पर खून फैल गया था, जो दूर से भी साफ दिखाई दे रहा था। फिर भी, सीएनएन ने शुरू में रिपोर्ट दी थी कि पूर्व राष्ट्रपति गिर गए थे?
भारत के अभिन्न हिस्सा जम्मू कश्मीर को लेकर भी अमेरिकी अखबार की रिपोर्टिंग सवालों के घेरे में रही है। पिछले साल मार्च में अमेरिकी अखबार ने कश्मीर में सूचना तंत्रों पर कथित प्रतिबंधों पर एक लेख प्रकाशित किया था। इसके जवाब में तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि न्यूयॉर्क टाइम्स भारत के बारे में झूठ फैला रहा है। अनुराग ठाकुर ने एक्स पर कहा था, ‘न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत के बारे में कुछ भी प्रकाशित करते समय तटस्थता के सभी दिखावे बहुत पहले ही छोड़ दिए थे। कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता पर NYT का तथाकथित विचार काल्पनिक है। लेख को भारत और उसके लोकतांत्रिक संस्थानों और मूल्यों के बारे में दुष्प्रचार फैलाने के एकमात्र उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है।
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ क्या हो रहा है?
पड़ोसी बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर जारी छात्र आंदोलन के बीच 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री देश छोड़कर भारत आ गईं। उधर सरकार बदलने के साथ ही देश भर में कई जिलों में अल्पसंख्यकों के घरों, दुकानों और पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की गई। बांग्लादेश के प्रमुख अखबार डेली स्टार ने रिपोर्ट दी कि 5 अगस्त को ही कम से कम 27 जिलों में हिंदुओं के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर भीड़ ने हमला किया और उनके कीमती सामान भी लूट लिए गए।
राजधानी ढाका की धानमंडी में 5 अगस्त को बैंड जोलर गान के फ्रंटमैन राहुल आनंदा के घर में आग लगा दी गई और वह पूरी तरह जल गया। द डेली स्टार अखबार के अनुसार, यह घर लगभग 140 वर्ष पुराना था। राहुल और उनका परिवार सुरक्षित स्थान पर भागने में सफल रहे। 5 अगस्त के बाद भी हिंदुओं के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला जारी रहे और अनेक स्थानों से परेशान करने वाली तस्वीरें सामने आईं।