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ईडी की तारीफ का सबब क्या है जी?

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सुसंस्कृति परिहार 

आमतौर पर यह कहा जाता है कि जब किसी की असलियत सामने आने लगती है तो वह घबराकर अंट शंट बड़बड़ाने लगता है तथा निरंतर जाल में उलझता जाता है। पिछले दिनों ऐसी ही घबराहट, साहिब  की बातचीत में सामने आई। ईडी के ज़रिए विपक्ष के नेताओं तथा उनके सहयोगियों को जिस तरह फंसाया गया,जेल भेजा गया उसे सबने देखा है इतना ही नहीं इलेक्टोरल बांड खरीदने ईडी ने जो छापे डाले ,चंदा लिया और मामले रफ़ा दफ़ा हो गए। कितने विपक्षी नेताओं को छापे डालकर डराया ईडी ने और फिर सीधे भाजपा में शामिल किया गया। जो इस जाल में नहीं फंसे उन्हें जेल भेज दिया गया वे आज भी जमानत को तरस रहे हैं इनमें दो राज्यों के विपक्षी मुख्यमंत्री भी है।

ईडी और सीबीआई ने भारत-सरकार के इशारे पर इतने बड़े षडयंत्र को किया।आज उसी ईडी की साहिब ने ऐसी तारीफ कर दी कि यह ज़ाहिर हो गया कि यह सब उनके इशारे पर ही हुआ है। अभी ईडी के ख़िलाफ़ इतना सब होते हुए मामला दर्ज नहीं हुआ है पर चोर की दाढ़ी में तिनका। साहिब ने कह दिया वह भी बड़े ही अनुराग भरे लहज़े में कि ईडी के काम में रोक नहीं लगाना चाहिए वह ईमानदारी से अपना कार्य कर रही है वे बड़े भोले अंदाज़ में कहते हैं यदि ट्रेन में कोई टिकट चेकर आता है तो उसे क्या कोई रोकता है। विपक्ष कह रहा है कि ईडी उनके लोगों पर ही एक्शन ले रहा है वे हंसते हुए कहते हैं ईडी के छापों में राजनैतिक लोग सिर्फ 3%हैं 95% अन्य लोग हैं। वे ये भी स्वीकारते हैं  कि ये ईडी मैंने नहीं कांग्रेस ने बनाई है।उनकी  सभी दलीलें खोखली है। उन्हें अच्छे से समझ आ गया है कि वे और ईडी वगैरह बुरी तरह फंस चुके हैं।

इस बेतुकी तारीफ का सबब चुनाव के दौरान अपने को ईडी कार्रवाई से अलग थलग करना ही लगता है। गोदी मीडिया के एक चेनल के मुताबिक विगत 18 सालों में ईडी ने 147 प्रमुख राजनेताओं की जांच की।वहीं पिछले 9 सालों में 95 प्रतिशत से ज्यादा विपक्षी नेताओं पर ईडी, और सीबीआई का शिंकजा कसा गया है। बीते कुछ समय से विपक्ष का एक बड़ा तबका बार-बार ये दोहराता आया है मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष को ‘काबू’ करने के लिए कर रही है। ये इल्जाम कोई नया नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एक टिप्पणी की थी सीबीआई सरकार का तोता है।तब देश में यूपीए की सरकार थी।अब इस तोते में वर्तमान सरकार की जान अटकी है।इंडियन एक्सप्रेस में छपी 2022 की रिपोर्ट ये बताती है कि 18 सालों में ईडी ने 147 प्रमुख राजनेताओं की जांच की थी, जिनमें से पिछले 9 सालों में 95 प्रतिशत से ज्यादा विपक्षी नेता थे यानी 2014 के बाद से नेताओं के खिलाफ ईडी के इस्तेमाल में चार गुना बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान 121 राजनेता जांच के दायरे में आए जिनमें 115 से ज्यादा विपक्षी नेता हैं। यह यथार्थ है।

 3 जुलाई 2022 को महाराष्ट्र में नया गठबंधन बना और विपक्ष की ओर से “ईडी, ईडी” के नारे लगाए गए। ये नारे इन आरोपों को हवा देने की एक कोशिश माने गए कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डर से बीजेपी से हाथ मिला लिया। 21 अगस्त को बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि केंद्र ने ईडी को टीएमसी नेताओं के खिलाफ अलग-अलग मामलों की जांच के लिए भेजा था। 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के खिलाफ शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर 2014 और 2015 में सीबीआई और ईडी ने जांच की थी. सीबीआई ने 2014 में उनके घर और कार्यालय पर छापा मारा था और उनसे पूछताछ भी की थी. उन पर शारदा मामले के प्रमुख आरोपी सुदीप्त सेन के साथ वित्तीय लेनदेन करने का आरोप लगाया गया था किंतु 2016 में असम चुनावों से सरमा बीजेपी में शामिल गए. उसके बाद मामले में कोई सुनवाई नहीं की गई है। ये कुछ एक बानगी है ईडी की कार्रवाई की। लगभग सभी विपक्षी पार्टी के नेताओं को ईडी का भय दिखाया गया। खासतौर से कांग्रेस,आप पार्टी और इंडिया गठबंधन के नेता इनके निशाने पर हैं।

इधर चर्चित चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले शीर्ष 5 दानदाताओं में 3 ऐसे हैं, जिन्हें ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है जबकि 14 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसी के छापों के बाद करीब 4,000 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। कुछ कंपनियों ने काम मिलने से पहले चुनावी बॉन्ड खरीदे।इस तरह तकरीबन सौ कंपनियों से ईडी इलेक्टोरल बांड खरीदवाए गए और उन्होंने आमजनता से मनमानी लूट की।यह मामला सुको के विचाराधीन है तथा इलेक्टोरल बांड खरीदारी पर रोक लगी हुई है।

तो यह है वह सब सच जिसके आने के बाद सरकार का पसीना छूटने लगा है इसीलिए साहिब शोर मचाकर ईडी की तारीफ के पुल बांधे जा रहे है। वह दिन दूर नहीं जब स्वतंत्र जांच एजेंसी ईडी सीबीआई के अधिकारी भी भारत सरकार के इशारों पर नाचने के लिए जेल जाने बाध्य होंगे। भारत सरकार प्रमुख तो डूबेगा ही साथ ही सबको ले डूबेगा।

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