डॉ. श्रेया पाण्डेय
तनाव एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जो कई अन्य शारीरिक परेशानियों का कारण बन सकती है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
तनाव की स्थिति में शरीर में कई बदलाव होते हैं, जिससे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और थायराइड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। खासकर तनाव को थायराइड की समस्या से जोड़ा जा रहा है।
तनाव में बॉडी में रिलीज होने वाले हॉर्मोन्स थाइरॉइड हॉर्मोन्स को प्रभावित कर समस्या को और भी गंभीर बना देते हैं। इस बारे में हम सभी को उचित जानकारी होनी चाहिए।
*तनाव और थायराइड ग्लैंड का संबंध :*
तनाव और थायरॉयड ग्लैंड के कार्य विभिन्न तरीकों से आपस में जुड़े हुए हैं। गर्दन में स्थिर बटरफ्लाई के आकार की ग्लैंड बॉडी में एनर्जी प्रोडक्शन, मेटाबॉलिज्म रेगुलेशन, और बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
निष्क्रिय होने पर यह ऐसी स्थितियों को जन्म दे सकता है, जिनमें तनाव भी शामिल है।
*हार्मोनल असंतुलन :*
सभी हार्मोन एक-दूसरे के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं, ऐसे में एक के स्तर में परिवर्तन, दूसरे के उत्पादन में गड़बड़ी का कारण बन सकता है।
थायराइड हार्मोन भी इस तरह के उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील होते हैं.
*ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाएं :*
क्रोनिक स्ट्रेस ऑटोइम्यून थायरॉयड डिजीज जैसे कि हाशिमोटो थायरॉयडिटिस और ग्रेव्स डिजीज के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है।
इस स्थिति में इम्मयून सिस्टम थायरॉयड ग्लैंड पर अटैक कर सकते हैं, जिससे थायरॉयड फंक्शन पर नकारात्मक असर पड़ता है।
*थायरॉयडिटिस की स्थिति :*
स्ट्रेस थायरॉयडिटिस के विकास या तीव्रता में योगदान कर सकते हैं, इस स्थिति में थायरॉयड ग्लैंड में सूजन आ जाता है।
यह सूजन थायराइड हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है और थायराइड फ़ंक्शन में अस्थायी या दीर्घकालिक परिवर्तन ला सकती है।
*हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड पर प्रभाव*
स्ट्रेस हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड को भी प्रभावित कर सकता है, जो थायरॉयड हॉर्मोन्स को रेगुलेट करने में मदद करते हैं।
क्रॉनिक स्ट्रेस थायराइड हार्मोन के प्रोडक्शन और रेगुलेशन को प्रभावित कर सकता है।
तनाव और थायरॉइड फ़ंक्शन के बीच एक जटिल संबंध है और यह प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न हो सकता है। हालांकि, तनाव थायराइड की समस्या में योगदान दे सकता है, लेकिन यह एकमात्र कारक नहीं है, और अन्य आनुवंशिक, पर्यावरणीय और जीवनशैली कारक भी थायराइड स्वास्थ्य को बिगाड़ने में भूमिका निभाते हैं।
*कैसे करना है बचाव :*
तमाम प्रकार की बीमारियों पर नियंत्रण पाने का एक सबसे सरल उपचार है, अपने मानसिक तनाव पर नियंत्रण पाना। यदि आप अपने मेंटल हेल्थ को स्थापित कर लेती हैं, तो विभिन्न प्रकार की समस्याओं से मुक्त हो सकती हैं।
इसके लिए मेडिटेशन, योग आदि में भाग लेने के साथ ही हैप्पी हारमोंस को रिलीज करने वाली एक्टिविटीज में भाग लें। साथ ही साथ जितना हो सके उतना नेगेटिव चीजों से दूरी बनाए रखें।
थायराइड को स्थिर रखने के लिए टाइट पर ध्यान देना बेहद महत्वपूर्ण है। लो आयोडीन युक्त फूड्स को डाइट में शामिल करें इसके अलावा प्रोबायोटिक्स जैसे कि योगर्ट आदि इन्हें नियंत्रित रखने में मदद करेंगे।
साथ ही साथ ग्लूटेन फ्री और शुगर फ्री डाइट भी थाइरॉएड हार्मोस को मैनेज करने में मदद करती हैं।