Site icon अग्नि आलोक

योग क्या है,और हमें इसे क्यों करना चाहिए ? एक समीक्षा  

Share

निर्मल कुमार शर्मा

योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज ’ से हुई है,जिसका अर्थ जुड़ना होता है। योग शब्द के मूल रूप से दो अर्थ होते हैं,प्रथम – जुड़ना और दूसरा – एकाग्रचित्त होकर समाधिस्त होना । इसका तात्पर्य है हम ध्यानमग्न होकर जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ पाते,तब तक समाधि के स्तर को प्राप्त करना बहुत मुश्किल काम होता है,यहां समाधि से मतलब केवल आंख बंद कर कुछ रटे-रटाए और पाखंडभरे मंत्रों को धीरे-धीरे बुदबुदाते रहने का ढोंग करना नहीं हैं,अपितु एकाग्रचित्त होकर अपने मन-वचन और कर्मों में पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से ऐक्य स्थापित करके अपने जनहितकारी,मानवीय और इंसानियत भरे कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता से है ।
योग केवल व्यायाम करने भर नहीं है, अपितु यह विज्ञान पर आधारित एक ऐसी शारीरिक क्रिया है,जिसमें हम अपने मस्तिष्क, हृदय और अपने संपूर्ण शरीर को एक-दूसरे से तादात्म्य स्थापित करने का सद् प्रयास करते हैं ! यह एक वैज्ञानिक तौर पर की गई एक सुनियोजित और प्रतिबद्धता पूर्ण प्रयास है। इसके साथ ही मानव और प्रकृति के बीच एक ईमानदार,करूणामयी और जनकल्याणकारी सामंजस्य भी बनता है। यह जीवन को सहअस्तित्व,मिलजुलकर और शांतिपूर्वक तरीके से जीने का एक मार्ग भी है !
इस दुनिया के दो महानायकों के विचारानुसार योग का मतलब निम्न लिखित होता है । भारतवर्ष के सबसे बड़े दार्शनिक और भौतिकविद योगीराज श्रीकृष्ण ने स्पष्टता और दृढ़तापूर्वक कहा था कि ” योग : कर्मसु कौशलम् ” मतलब अपने कार्य को दक्षतापूर्वक करना ही योग है ! ” और दूसरा आधुनिक समय के सबसे सुप्रतिष्ठित,निर्भीक,निष्पक्ष और न्यायोचित वाणी बोलने वाले सुप्रसिद्ध दार्शनिक आचार्य रजनीश का कहना है कि “योग को धर्म,आस्था और अंधविश्वास के दायरे में बांधना ही गलत है। योग एक विशुद्ध विज्ञान है,जो हमें बेहतरीन ढंग से जीवन जीने की कला सिखाता है। इसके साथ ही यह संपूर्ण चिकित्सा पद्धति भी है। एक तरफ जहां धर्म हमें जड़,मंदबुद्धि और मूर्ख बनाता है,दूसरे शब्दों में हमें एक मूर्खतापूर्ण और अंधविश्वासी जकड़नों रूपी एक खूंटे से बांधता है,वहीं योग सभी तरह के बंधनों से हमें मुक्ति का मार्ग बताता है !”
यह वास्तविकता और वैज्ञानिक सम्मत बात है कि हमारे पास अकूत धन,संपत्ति और विलासितापूर्ण जीवन जीने के संसाधनों के होने के बावजूद भी अगर हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं,तो यकीन मानिए हम अपनी ज़िंदगी को जैसे-तैसे मुश्किल से ढो रहे हैं ! बेहतरीन जीवन जीने के लिए पैसों के साथ तन-मन और मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ्य रहना अत्यंत जरूरी है ! वैसे कटु सच्चाई यह है कि आजकल के गलाकाट प्रतियोगिता की भागम-भाग करती इस दुनिया में हर व्यक्ति त्रस्त,परेशान और मानसिक तनाव से ग्रस्त है ! कोई शारीरिक रूप से बीमार है,तो कोई बेहद तनाव भरी अपनी जिंदगी जी रहा है । इस दु :स्थिति से बचने का एकमात्र उपाय वैज्ञानिक सम्मत योग ही है ! कई वैज्ञानिक शोधों से भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि बेहतर शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग करना एक बेहतर विकल्प है। योग तन, मन और मस्तिष्क को संतुष्ट रखने में मदद करता है। एक योग करने वाला व्यक्ति योग न करने वाले व्यक्ति की तुलना में ज्यादा स्वस्थ,सकारात्मक सोच वाल और खुश रहता है। योग करने से आंतरिक खुशी मिलती है,स्वयं आनंद की अनुभूति होती है और मन प्रसन्न रहता है। योग के दौरान ध्यान लगाया जाता है,जो शरीर और मस्तिष्क को एकाकार करने में हमारी मदद करता है।

योग के फायदे और महत्व Benefits and Importance of Yoga
________

           नियमित रूप से योग करने से शरीर, मन,हृदय और मस्तिष्क आदि सभी कुछ संतुलित रहते हैं By doing yoga everything remains balanced in the Body, Mind,Heart and Brain। आजकल ऑफिस, घर और रिश्तों की वजह से इस दुनिया के ज्यादेतर लोग बहुत ही परेशान रहते हैं,वे बेहद तनावग्रस्त रहते हैं जिससे वे धीरे-धीरे मानसिक बीमारियों से भी घिर जाते हैं। लेकिन ऐसे में योग का महत्व समझा जा सकता है,योग करने से आप सभी चीजों में संतुलन बनाने में सक्षम हो सकते हैं। मन को शांत रखने के लिए योग से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
      योग करने से निम्नवर्णित होने वाले फायदों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता !

  ऊर्जावान और तरोताजा रखे Energetic and Fresh

            प्रतिदिन उषाकाल में सुबह-सुबह के समय योग करना बेहद फायदेमंद होता है। सुबह योग करने से आप पूरे दिन ऊर्जावान बने रह सकते हैं। यह शरीर से आलस्य को दूर कर आपको तरो-ताजा रखने में भी लाभ पहुंचाता है। योग करने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यधिक सक्रिय तथा तनावमुक्त रहता है और हमेशा खुश नजर आता है। योग उस व्यक्ति विशेष को प्रकृति के पास ले जाता है।

मन और दिमाग शांत रहे Yoga for Mind

        योग या योगासन करके हम अपने मन और मस्तिष्क को शांत रख सकने में सफल रहते हैं। इससे हम मानसिक रूप से एकदम स्वस्थ रह सकते हैं। वास्तव में योग करने से हमें काफी अच्छी नींद आती है जिससे मन-मस्तिष्क और चित्त आदि सभी उ शांत रहते हैं। जिम या एक्सरसाइज से हम शारीरिक रूप से तो फिट रह सकते हैं,लेकिन योग और ध्यान करने से वह हमें  मानसिक सुकून भी देता है। इसलिए स्वस्थ मन और मस्तिष्क को बनाए रखने के लिए नित्य योग का अभ्यास करना परमावश्यक है 

बीमारियों से करे बचाव Protect Against Diseases

      योग शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। नियमित रूप से योग करने से बीमारियां आस-पास नहीं भटकतीं । योग करने वाला व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है। योगाभ्यास रोगों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। योग गंभीर से गंभीर बीमारियों से हमारा बचाव करने में मददगार होता है। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति गंभीर बीमारी से पीड़ित है,तो योग उससे भी लड़ने की उसे प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करता  है।

हमारे शरीर को लचीला बनाता है,Make makes our body flexible

       अगर हम प्रतिदिन नियमित रूप से योग, प्राणायाम या व्यायाम करते हैं,तो इससे हमारा शरीर लचीला बन सकता है। योग पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं। एक फ्लैक्सिबल बॉडी पाने की चाहत हर कोई रखता है,ऐसे में योग हमारी बहुत मदद कर सकता है।

फिट रहने में मददगार Help to Stay Fit

        वर्तमान समय में इस दुनिया के अधिकांश लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रह पाते हैं, जिससे वे कई तरह की शारीरिक व मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। इसमें मोटापा,हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन और डायबिटीज बेहद सामान्य बीमारियां हैं। अगर हम इन बीमारियों से बचना चाहते हैं,तो निश्चित रूप से हमें योग को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल कर लेना चाहिए। यह खराब जीवनशैली से होने वाली बीमारियों से हमें बचाव करने में हमारी भरपूर मदद करता है। इतना ही नहीं अगर हम इन बीमारियों से भयंकरतम् रूप से पीड़ित भी हैं,तब भी योग करने से हम काफी हद तक इन्हें नियंत्रण में रख सकते हैं।

 तनाव कम करने में सहायक,Helpful in Reducing Stress

          योग करने से हमारी मांसपेशियों को बहुत आराम मिलता है,जिससे हमें बहुत अच्छी नींद आती है, इससे हमारे दिलोदिमाग से तनाव  कम होता है। साथ ही यह व्यक्ति को बीमारियों से दूर रखता है,जिससे तनाव और अवसाद खुद ही कम हो जाता है। अगर हम योग का नियमितरूप से अभ्यास करते हैं, तो इससे धीरे-धीरे हम तनावमुक्त हो सकते हैं।

योगाभ्यास के आंतरिक स्वास्थ्य लाभ, Internal Health Benefits of Yoga  
      __________


   हृदय रोगों से बचाव,prevention of heart diseases

   हृदय हमारे शरीर का सबसे कोमल लेकिन सबसे महत्वपूर्ण आंतरिक अवयव है। हमारे गलत खानपान,असंतुलित दिनचर्या और तनाव का सीधा असर हृदय पर पड़ता है ! यही असंतुलित आदतें और दिनचर्याएं आगे चलकर हमारे इस बेहद महत्वपूर्ण अवयव में हृदय में कई भयंकरतम् बीमारियों की बीजारोपण कर देतीं हैं। इससे बचने का बेहतरीन तरीका योग ही है। नियमित योग और स्वास्थ्य वर्धक खानपान से हमारा हृदय मजबूत रहता है। 

  संतुलित रक्तचाप balanced blood pressure

        मानव अपने गलत खानपान और अनियमित जीवनशैली की वजह से भयानकरूप से रक्तचाप की समस्या से जूझ रहा है। अगर हमें भी रक्तचाप से जुड़ी कोई परेशानी है,तो आज से ही हमें किसी योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में योगाभ्यास करना शुरू कर देना चाहिए। योग और प्राणायाम करने से हमें फेफड़ों के जरिए हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन के रूप में ऊर्जा मिलती है और तंत्रिकाओं की कार्यप्रणाली बेहतर होती है,इससे हमारे शरीर का रक्तचाप संतुलित और सामान्य रहता है, संतुलित और सामान्य रक्तचाप का सीधा संबंध हमारे स्वस्थ्य हृदय से है !    

रक्त प्रवाह,Blood Circulation

      नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन या  National Center for Biotechnology Information या एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक  अध्ययन के अनुसार योग करने से हमारे पूरे शरीर में रक्त संचार में सुधार होता है। यही नहीं हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के स्तर के भी बढ़ोतरी के लक्षण मिल रहे हैं। इससे हृदय संबंधी रोग और खराब लिवर की परेशानी भी कम होने के साथ ही मस्तिष्क को खूब स्वस्थ्य रखने  में मदद मिलती है। इसके अलावा, योग करने से शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सकती है । यह वैज्ञानिक सम्मत बात है कि जब हमारे शरीर में रक्त का संचार बढ़िया और सुव्यवस्थित ढंग से होता है,तो हमारे शरीर के सभी अंग भी बेहतरीन तरीके से काम करते हैं। 

बेहतर श्वसन प्रणाली, Better Respiratory System

     वैज्ञानिक प्रयोगों और  तथ्यों के आधार पर यह पूर्णतया सिद्ध हो चुका है कि हमारे शरीर को जीवित और स्वस्थ्य रखने के लिए प्रकृतिप्रदत्त आक्सीजन की अत्यंत आवश्यकता है,इसके लिए हमारे शरीर में श्वसन प्रणाली बनी है,जिसमें हमारी नासिका छिद्र,सांस नली और हमारे फेफड़े बने हैं, इनमें आया कोई भी विकार हमें बीमार करने के लिए पर्याप्त हैं। ऐसे में योग हमें बताता है कि जीवन में आक्सीजन युक्त भरपूऊ सांस लेने का क्या महत्व है,क्योंकि हर योगासन सांसों पर ही आधारित है ! जब हम योग करते हैं,तो हमारे फेफड़े पूरी क्षमता के साथ काम करने लगते हैं, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है,यह महत्वपूर्ण तथ्य भी हमें याद रखना चाहिए कि भरपूर आक्सीजन युक्त हवा से ही हमारा रक्त शुद्ध होता है, जिससे हमारे सभी महत्वपूर्ण अवयव मसलन मस्तिष्क,हृदय,लीवर आदि सभी अंगों के साथ हमारा संपूर्ण शरीर ही बेहतर ढंग से स्वस्थ्य रह सकता है !

अपच से राहत,Relief from Indigestion

     अच्छे पाचन के संबंध में एक भारतीय कहावत बहुत सटीक है कि पेट ठीक तो सबकुछ ठीक ! लेकिन आजकल हम अपनी जीभ के स्वाद के वशीभूत होकर अत्यधिक तेलीय पदार्थों से बने चाट-पकौंडों,समोसों,ब्रेड पकौड़ों और आलू की टिक्कियों को खाने से अपने को रोक नहीं पाते ! इसीलिए भारत में अधिकांश लोग खट्टी डकार,उल्टी-दस्त, पेचिश और अपच से बेहद परेशान और त्रस्त हैं ! अगर हम अपनी जीभ पर नियंत्रण रखकर योग करना प्रारंभ कर दें तो उक्त वर्णित व्याधियों से हमें छुटकारा पाना भी संभव है। गैस की समस्या किसी को भी हो सकती है।  योग पाचन तंत्र को बेहतर करता है,जिससे कब्ज,गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं जड़ से खत्म हो जातीं हैं।

प्रतिरोधक क्षमता,Better Immunity System

     हमारे शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का बेहतर होना जरूरी है। हमारे शरीर में बेहतरीन रोग प्रतिरोधक प्रणाली के कमजोर होने से हमारा शरीर विभिन्न भयावह रोगों का आसानी से शिकार बन जाता है। हम चाहे स्वस्थ हैं या नहीं हैं,दोनों ही स्थितियों में हमें योग करना चाहिए,योग से फायदा ही होगा ! योग करने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता  बेहतर होती है, जिससे हमारा जीवन स्वस्थ्य और प्रसन्नचित्त तथा दीर्घायु बनता है !

   सकारात्मक उर्जा , Positive Energy 

     हमें अपने जीवन को सकारात्मक ढंग से जीने और काम करने के लिए शरीर में ऊर्जा का बना रहना अत्यंत जरूरी है। इसमें योग हमारी बहुत मदद करता है। योग को करने से हमें शारीरिक थकावट दूर होती है और शरीर नई ऊर्जा से भर उठता है !

बेहतरीन मेटाबॉलिज्म, Better Metabolism

     हमारे शरीर के लिए मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया का दुरुस्त रहना अत्यंत जरूरी है। इस प्रक्रिया के सुचारु रूप से संपन्न होने से ही हमारे शरीर को भोजन के जरिए ऊर्जा मिलती है,जिससे हम अपने दिन भर के लिए काम और श्रम को कर पाते हैं। जब पाचन तंत्र,फेफड़े,हृदय,लिवर और किडनी आदि हमारे शारीरिक अंग अच्छी तरह से काम करते हैं,तभी हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म सिस्टम भी ठीक से काम कर सकता है। इस अवस्था में योग का लाभ इसलिए है,क्योंकि योग के जरिए हम अपने शरीर की श्वसन,रक्त संचार,पाचन आदि को बेहतर करके और अपने मेटाबॉलिज्म सिस्टम को भी बेहतर कर सकते हैं।

भरपूर गाढ़ी नींद,Deep Sleep

 यह वैज्ञानिक तथ्य है कि जैसे शरीर के अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार लेना परमावश्यक है,उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क को पूर्ण स्वस्थ्य रहने के लिए  7-8घंटे भरपूर गाढ़ी नींद लेना बहुत जरूरी है ! इसके अलावा एक सुप्रसिद्ध लोकोक्ति है कि " दुनिया का वह व्यक्ति सबसे अभागा व्यक्ति है,जब रात में सारी दुनिया गाढ़ी नींद में खर्राटे लेकर सोती है,तब वह जगता रहता है ! "      दिनभर काम करने के बाद रात को अच्छी नींद लेना बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। इससे शरीर को अगले दिन फिर से काम करने के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। पर्याप्त नींद न लेने पर दिनभर बेचैनी,सिरदर्द,आंखों में जलन और तनाव रहता है। चेहरे पर भी रौनक नजर नहींं रहती। वहीं अगर हम नियमितरूप से योग करते हैं,तो हमारा मन बिल्कुल शांत रहता है और तनाव से भी हमें छुटकारा मिलता है,जिससे रात को हमें अच्छी नींद लेने में मदद मिलती है।

संतुलित कोलेस्ट्रॉल,Balanced Cholesterol

        ज्ञातव्य है कि योग करने से हमारे शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इससे नसों में रक्त का थक्के नहीं बन पाते और अतिरिक्त चर्बी भी साफ हो जाती है। यही कारण है कि योग करने सज कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है। जाहिर है योग एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, जबकि एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को खत्म करता है। 

नियंत्रित सोडियम ,Controlled Sodium

          हम कई बार अपना स्वाद बदलने के लिए बाजार से तली-भुनी या फिर जंक फूड खा लेते हैं। प्रायः ऐसे बाजार के खाद्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ये खाद्य पदार्थ हमारे शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ा देतीं हैं, इससे हमें हृदय या फिर गुर्दे की बीमारी हो सकती है। इससे बचने के लिए सबसे पहले तो हमें इस तरह के बाजारू खाद्य पदार्थों को लेना बिल्कुल बंद कर देना चाहिए। साथ ही नियमित रूप से योग करना प्रारंभ कर देना चाहिए। योग में सोडियम की मात्रा को संतुलित करने की क्षमता होती है !

ट्राइग्लिसराइड्स में कमी,Decrease in Triglycerides

   ट्राइग्लिसराइड्स हमारे रक्त में पाया जाने वाला एक तरह का फैट है,जो हृदय रोग व हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। इसे कम करने के लिए हमें नियमिततौर पर योग करना जरूरी है। योग करने से हृदय की गति थोड़ा सा बढ़ जाती है, जिस कारण ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने जैसी स्थिति से दूर जा सकता है।

लाल रक्त कोशिकाओं में वृद्धि, Increase in Red Blood Cells

      हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का अहम योगदान होता है। इनका मुख्य कार्य फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के सारे और प्रत्येक अंगों तक पहुंचाना और उन सभी अंगों से कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर पुर्नशुद्धिकरण के  लिए फेफड़ों तक पहुंचाना होता है। लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से एनीमिया तक हो सकता है। योग करनेने से शरीर में इन लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है।

           अस्थमा,Asthma

अस्थमा रोगी में रोगी की श्वास नली सिकुड़ जाती है, जिससे सांस लेने में उन्हें बेहद परेशानी होने लगती है उनका दम फूलने लगता है ! जरा-सी भी धूल-मिट्टी में भी हमारा दम घुटने लगता है। अगर हम इस अवस्था में भी योग करते हैं, तो हमारे फेफड़ों पर जोर पड़ता है और वह अधिक क्षमता के साथ काम करने लगते हैं और अस्थमा के रोगियों को दम फूलने से थोड़ी राहत महसूस होने लगती है !

       अर्थराइटिस,Arthritis

           अर्थराइटिस यानी गठिया होने पर जोड़ों में सूजन और दर्द शुरू हो जाती है। इस अवस्था में इसके रोगियों को अपने रोजमर्रा का काम करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उस रोगी को योग करना उनके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। किसी योग्य योग प्रशिक्षक के निरीक्षण में योग करने से जोड़ों में आई सूजन और दर्द कम होने लगता है और धीरे-धीरे काम करने लगते हैं।

        ब्रोंकाइटिस,Bronchitis

         जन्तु विज्ञान की भाषा में मुंह,नाक और फेफड़ों को बीच हवा मार्ग को श्वास नली कहते हैं। इसी श्वास नली में जब सूजन आ जाती है,तब उस व्यक्ति को सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। चिकित्सीय भाषा में इस अवस्था को ब्रोंकाइटिस कहा जाता है। योग इस सूजन को दूर कर सांस लेने में हमारी मदद करता है। योग के जरिए फेफड़ों से ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में होती है। साथ ही फेफड़ों में नई ऊर्जा का संचार होता है।

      माइग्रेन,Migraine

       माइग्रेन एक ऐसा रोग है जिसमें इसके रोगी को लगातार सिरदर्द होता रहता है,अगर इस योग से ग्रसित रोगी भी नियमित रूप से योग करता है,तो उसे सिर में होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। योग मांसपेशियों में आए खिंचाव को कम करता है, जिससे सिर तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है, जिससे माइग्रेन में राहत मिलती है !

बांझपन व रजोनिवृत्ति, Infertility and Menopause

      अगर कोई औरत या पुरुष अपनी प्रजनन क्षमता को बेहतर करना चाहती /चाहता है,तो इसके लिए उन्हें भी योग करना लाभकारी हो सकता है,योग के जरिए पुरूषों में शुक्राणु कम बनने की समस्या,यौन संबंधी कोई समस्या,औरतों में फैलोपियन ट्यूब में आई कोई रुकावट या फिर पालीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, Polycystic Ovary Syndrome या पीसीओडी  समस्या को भी योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, रजोनिवृत्ति से पहले और उस दौरान नजर आने वाले नकारात्मक लक्षणों को भी योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

साइनस व अन्य एलर्जी,Sinus and Other Allergies

        साइनस रोग में नाक के आसपास की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है। इससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इस समस्या के लिए भी योग हर लिहाज से अच्छा है। साइनस में सांस संबंधी योग यानी प्राणायाम करने से नाक व गले की नलियां में आई रुकावट दूर हो जाती है और सांस लेना आसान हो जाता है। इसके अलावा,अन्य प्रकार की एलर्जी को भी योग करके उन्हें भी ठीक किया जा सकता है।

         कमर दर्द ,Back Pain

       आज के कम्प्यूटर के युग में इस दुनिया के सभी लोगों को बहुत लंबा समय बैठने की मजबूरी होती है, इस वजह से अधिकांश लोगों की पीठ और कमर में दर्द की शिकायत आम बात हो गई है । अगर हम किसी योग्य प्रशिक्षक की निगरानी में योग करें,तो हमारी रीढ़ की हड्डी में लचक आती है,जिससे उसमें होनेवाले दर्द से हमें छुटकारा मिल सकता है वैसे योग से किसी भी तरह के शारीरिक दर्द दूर किया जा सकता है।

               कैंसर ,Cancer

           यह वैज्ञानिक तथ्य के आधार पर अभी  यह कहना मुश्किल है कि योग करने से कैंसर पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है या नहीं। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि योग के जरिए कैंसर जैसी बीमारी से उबरने में मदद मिलती है। योग करने से कैंसर के मरीज में मौजूद विषैले जीवाणु खत्म हो सकते हैं। साथ ही मांसपेशियों में आया खिंचाव कम होता है और रक्त का संचार बेहतर होता है और तनाव व थकान भी कम होती है। इसके अलावा योग के माध्यम से कीमियो थेरेपी के दौरान होने वाली मतली व उल्टी जैसी समस्या से भी निपटा जा सकता है।
         मानसिक रोगियों के समुचित इलाज के लिए योगाभ्यास बहुत कारगर साबित हो सकता है। वैसे यह सच है कि हम भारतीय लोग मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से कभी भी लेते ही नहीं हैं। कितनी विडंबना है कि इस दुनिया के कम आय वाले दो-तिहाई देशों ने तो अपने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को शामिल ही नहीं किया है ! ज्यादातर एलोपैथिक चिकित्सकों ने मरीजों की मानसिक स्थिति और योग को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। क्या ऐसा इसलिए कि योग का उद्योग असंगठित है ? बेशक, अगर सेहतमंद रहना है, तो योग के आधिकारिक अध्ययन व क्रियान्वयन को बढ़ाना ही होगा।

योग बनाम आम जनता की मूलभूत समस्याएं !
इस तथ्य और वास्तविक सच्चाई को बताना हम अपना परम् कर्तव्य समझते हैं कि एक भारतीय कहावत है “भूखे भजन न होंहि गोपाला ! ” इसलिए केवल और केवल योग करने से होनेवाले उक्त वर्णित तमाम लाभों को गिनाने से इस देश के युवाओं,बेरोजगारों,किसानों,मजदूरों और आमजन को कोई फायदा नहीं होने वाला है,जब तक इस देश के अरबों आम गरीब लोगों को भूखमरी,बेरोज़गारी,अशिक्षा,स्वास्थ्य,भीषण मंहगाई,भ्रष्टाचार,रिश्वतखोरी,भाई-भतीजावाद आदि की बदतर हालात में जीने को अभिशापित होना पड़ रहा है ! वर्तमान समय की सरकार के कर्णधारों को योग,चारधाम सड़क योजना,दुनिया में सबसे ऊंची मूर्ति,बुलेट ट्रेन,स्मार्ट सिटी,कुंभ मेला,कांवड़ यात्रा आदि व्यर्थ की चोंचलेबाजियों में अरबों रूपयों को व्यर्थ में खर्च करके अपने वोट बटोरने के लालच से ऊपर उठकर उक्त वर्णित जनता की मूलभूत आवश्यकताओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए अब संजीदगी दिखानी चाहिए ! हकीकत और ईमानदारी की बात यह है कि कथित सबसे काबिल प्रधानमंत्री श्रीयुत् श्रीमान नरेंद्र दास दामोदरदास मोदी जी का पिछला 8वर्ष का शासन इस देश की मूल समस्याओं को सुलझाने में नहीं,अपितु व्यर्थ की चोंचलेबाजी,फिजूलखर्ची और व्यर्थ की विलासितापूर्ण चीजों को बनाने में खर्च हुआ है !

         -निर्मल कुमार शर्मा 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के सुप्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक,सामाजिक, राजनैतिक,पर्यावरण आदि विषयों पर स्वतंत्र, निष्पक्ष,बेखौफ, आमजनहितैषी,न्यायोचित व समसामयिक लेखन,संपर्क-9910629632, ईमेल
Exit mobile version