@ गोपाल राठी
हिन्दू समाज मे विवाह के समय पति-पत्नी अग्नि को साक्षी मानकर एक-दूसरे को सात वचन देते हैं जिनका दांपत्य जीवन में काफी महत्व होता है। आदर्श दंपत्ति इसका मन कर्म और वचन से इसका पालन करना अपना धर्म समझते है ।
हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी का शुभ विवाह 1 अप्रैल 1968 को सौ. जसोदा बेन के साथ संपन्न हुआ था । उन्होंने अग्नि को साक्षी मानकर अपनी पत्नी को सात वचन ( गारंटी ) दिए थे । इन सात वचनों में से पहला वचन इस प्रकार है —
तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!।
अर्थ : यहां कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना। कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।
किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्यों की पूर्णता हेतु पति के साथ पत्नी का होना अनिवार्य माना गया है। पत्नी द्वारा इस वचन के माध्यम से धार्मिक कार्यों में पत्नी की सहभागिता व महत्व को स्पष्ट किया गया है।
जमाने भर को मोदी की गारंटी देने वाले श्रीयुत नरेंद्र मोदी ने अपनी इस गारंटी ( वचन ) का अभी तक पालन नहीं किया है। राम मंदिर का शिलान्यास ( 5 अगस्त 2020 ) नरेंद्र मोदी जी के करकमलों द्वारा सम्पन्न हुआ था । इस शुभावसर पर हुए अनुष्ठान में उनकी धर्मपत्नी उनके साथ नहीं थी । अब 22 जनवरी 2024 को नवनिर्मित मंदिर में राम लला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी मोदी जी के साथ उनकी पत्नी नहीं होंगी । अनेकों धर्माचायों ने इस पर एतराज जताते हुए याद दिलाया कि भगवान श्री राम ने यज्ञ वेदी पर सीता माता की मूर्ति के साथ बैठकर अनुष्ठान पूर्ण किया था । एक विवाहित और गृहस्थ व्यक्ति अगर अपनी पत्नी को अलग करके कोई धार्मिक क्रिया कलाप करता है तो वह पत्नी को दिए गए सात वचनो का सरासर उल्लंघन है । ऐसी स्थिति में अनुष्ठान और पूजा पाठ अपूर्ण माना जाता है । यह अनिष्ट और अमंगलकारी सिद्ध होता है ।
नरेंद्र भाई मोदी और जसोदा बेन का दाम्पत्य जीवन कुल मिलाकर तीन वर्ष का रहा है । तीन वर्ष बाद से ही मोदी जी बिंना तलाक दिए जसोदा बेन से अलग है और आज तक उनसे नहीं मिले । जसोदाबेन सेवा निवृत्त शिक्षिका है उन्हें कांग्रेस सरकार की पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिल रहा है । उनके सारे सरकारी रिकार्ड में पति के रूप में श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी का नाम दर्ज है । मोदी जी शादीशुदा है या नहीं यह 2014 तक किसी को मालूम नही था क्योकि मोदी जी ने गुजरात विधानसभा के लिए दाखिल किए गए अपने सारे नामांकन पत्र में वैवाहिक स्थिति / पत्नी के नाम वाला कॉलम खाली छोड़ दिया था । 2014 में जब मोदी जी बड़ोदरा और बनारस से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े तो विपक्षी नेताओं द्वारा मोदी जी की वैवाहिक स्थिति और उनकी पत्नी का मुद्दा जोर शोर से उठाया गया । फलस्वरुप लोकसभा चुनाव के लिए जमा किये गए नामांकन पत्र में मोदी जी ने पहली बार स्वीकार किया कि वे विवाहित है और उनकी धर्मापत्नी का नाम जसोदा बेन है । अर्थात यह सिद्ध हुआ कि वे अभी भी एक दूसरे को पति पत्नि मानते है । लेकिन बिना सम्बंध विच्छेद ( तलाक ) दिए मोदी जी उनसे दूर रहते है । जब 2014 में नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तब जसोदाबेन ने शपथ ग्रहण समारोह में आने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन उन्हें नहीं बुलाया गया । जब नरेंद्र मोदी की पूज्य माताजी हीराबेन का निधन हुआ तब भी जसोदाबेन अपनी सासू मां के अंतिम दर्शन करने बड़नगर आना चाहती थी लेकिन उन्हें उनके ही घर मे नज़रबंद करके आने से रोका गया । सबसे मजेदार बात यह है कि श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही जसोदाबेन की सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात कर दिए गए जो हर कदम पर उनके साथ रहते है ।
मोदी जी की वैवाहिक स्थिति और उनके दाम्पत्य जीवन जैसे निहायत व्यक्तिगत मसले पर यह सब लिखने का उद्देश्य यह है कि इसमें उनका झूठ छिपा हुआ है । उनके द्वारा दिए गए वचन ( गारंटी ) को भंग करने जैसा अक्षम्य अपराध छिपा है । वे विधानसभा चुनावों के नामांकन पत्र में अपनी पत्नी का नाम छिपाए रहे और लोकसभा चुनावों के नामांकन में पत्नी का नाम उजागर कर दिया । यह तो धोखाधड़ी है ।