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 किस कलंक का इंतजार…?

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• अंकुर जायसवाल

आप सबने देखा होगा न वो वीडियो, जिसमें नशे में धुत युवती सड़क पर गिर जाती है। सहेली भी नशे में धुत। वो संभालने का असफल प्रयास करती है। नजारा शहर के चकाचौंध वाले इलाके विजयनगर क्षेत्र का है। बगल की सड़क से सरपट ट्रैफिक के साथ शहर भी गुजर रहा है। अनदेखा कर। नशा करने वाली युवती को रत्तीभर भी होश नहीं। न शरीर का। न कपड़ों का। रात का समय। ऐसे में उस लड़की के साथ अनहोनी में कितनी देर लगती? बस उसे किसी अंधेरे हिस्से तक ही तो खींचकर ले जाना था। फिर वो रहती। रात रहती और रहता रातभर का खौफनाक सिलसिला। जो कभी दिल्ली में हुआ तो कभी तेलंगाना में। या देश के अन्य हिस्सों में हो रहा है। देश के सबसे स्वच्छ शहर के माथे पर कलंक लग जाता।

एक अन्य वीडियो में नशे में धुत युवतियों और युवकों का राह चलते सड़क पर अश्लीलता परोसता डांस हो रहा है। ये ‘नौनिहाल’ भी क्लब, पब से ही बाहर आए थे। अश्लील डांस में अश्लील हरकत भी होती है। वहीं उसी सड़क पर। सबके सामने। बेहयाई से। बेशर्मी से। युवती कम वस्त्रों में खिलखिला रही है।

एक और वीडियो है, जिसमें पब के अंदर जमकर लात-घूंसे चल रहे हैं। कारण किसी नशेबाज युवक द्वारा नशा करने आई लड़की के कमर पर हाथ फेरने का था। लात-घूंसों का ये विवाद हथियारों तक पहुंचने से पहले थम गया। अन्यथा खून बहना तय था।

शहर का जो हिस्सा रात गहराने के साथ ही जितना रोशन है, उसके पीछे के स्याह अंधेरे किसी को नजर क्यों नहीं आ रहे हैं? बाहर से लकदक करते ये पब-बार जिस इलाके में हैं, वो रोशनी से नहाया रहता है, लेकिन इसके पीछे का अंधेरा किसी को नजर नहीं आ रहा। आए दिन हो रही हरकतें और घटनाएं किसी दिन कोई बड़ी घटना का सबब बनना तय है। क्या पब-बार क्लब वालों के साथ बैठकें ही इसका समाधान हैं? वो तो कल फिर कर ली गई। इसके पहले हुई बैठकों और उसमें जारी हुए फरमानों का क्या हश्र हुआ? क्या उनका पालन इन नशा परोसने वाली दुकानों ने किया? अगर किया तो फिर ये पब क्लब और बार के बाहर के वीडियो कैसे सामने आ रहे हैं?

शहर की सड़कों पर ये नजारें क्या कह रहे हैं? कभी सुनने की कोशिश तो कीजिए हुक्मरानों? कभी तो समझने की कोशिश कीजिए कि ये पब-बार क्लब में रात गहराते ही क्या होता है? कभी दिमाग तो खपाओ कि शहर में अश्लीलता का ये नंगा नाच थमने के बजाय बढ़ता ही क्यों जा रहा है? 

क्या सरकार के लिए राजस्व ही सबकुछ है? कार्रवाई करने वालों के लिए ‘हफ्ता-बंदी’ ही सबकुछ है? पब-बार वालों के लिए क्या कमाई ही सबकुछ है? इस शहर के प्रति कोई जवाबदेही है कि नहीं? शहर के कल्चर के प्रति कोई शर्म है? या किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार है? जबकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि मध्यप्रदेश में हर तीन घंटे में एक बच्ची से दुष्कर्म हो रहा है। मां अहिल्या के नाम वाले इस शहर में बहन-बेटियों के साथ किसी बड़े कांड का क्या इंतजार हो रहा है? क्या तंत्र इंदौर के माथे पर किसी बड़े कलंक की बाट जोह रहा है? 

सदैव आपका

अंकुर जायसवाल

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