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क्या करें जब बच्चे को बिगाड़ रहा हो सोशल मीडिया

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             पुष्पा गुप्ता 

सभी पेरेंटस चाहते हैं कि उनके बच्चों को अच्छे संस्कार मिलें और वो अच्छा व्यवहार करें। मगर गलतियों की शुरूआत घर से होने लगती है, जिसके चलते बच्चे धीरे धीरे निगेटिव माहौल का हिस्सा बन जाते हैं। बात बात पर बच्चों को डांटना, उनकी हर बात को काटना, गलत ठहराना और लालच देना बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने लगता है।

     इसके चलते बच्चा घर में धीरे धीरे खुश रहना कम हो जाता है और बाहर की दुनिया को सब कुछ मानने लगता है। दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताना उसे अच्छा लगने लगता है, जिससे वो गलत संगति का शिकार हो जाता है। तनाव और डिप्रेशन से घिरे कई बच्चों में सयुसाइड के मामले भी देखने को मिलते हैं।

     दिनों दिन बढ़ रहे सोशल मीडिया क्रेज, नशीले पदार्थों का सेवन और सुसाइडल अटैम्प्ट से बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ने लगा है, जिससे दिनों दिन बच्चों के गलत सोसायटी को अपनाने का जाखिम बढ़ गया है। इसके चलते बढ़ते बच्चों के माता पिता में डर का माहौल बना रहता है।

     दरअसल, वे अपने बच्चों को अच्छी सोसायटी और संस्कारों से जोड़ना चाहते हैं। ऐसे में बच्चों में बढ़ने वाले बैड बिहेवियर को दूर करके अच्छी आदतों को इनकलकेट करने के लिए 5 पी को फॉलो करना ज़रूरी है।

*1. पीयर ग्रुप :*

    बच्चों पर अपने आस पास के ग्रुप और सोसायटी का प्रभाव सबसे ज्यादा देखने का मिलता है। एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों के पीसर ग्रुप में अगर कुछ लोग गलत भाषा या शब्दों को बोलते हैं, तो बच्चे सभी वेदों और मंत्रों को भूलकर उसी भाषा को अपनाने लगते हैं।

     दरअसल, बच्चे धीरे धीरे निगेटीविटी की ओर इंफ्लूएंस होने लगता है। इससे बचने के लिए बच्चे के पीयर ग्रुप से मज़बूत रिश्ता कायम करें, ताकि आप बच्चे को आ रही समस्या को पहचान सकें।

     बच्चों के लिए फिजिकल फ्रेंडस नहीं होते है बल्कि डिजीटल फ्रेंडल सर्कल भी बनने लगता है। गेमिंग के दौरान अन्य लोगों के साथ खेलना इसके अलावा सोशल मीडिया के ज़रिए अन्य लोगों के साथ कनैक्ट होने लगते हैं।

    इसके चलते बच्चे कई बार एज एपरोप्रिएट कंटेट देखने लगते हैं। इससे राहत पाने के लिए पेरेंटस फैमिली एप को डाउनलोड कर सकते हैं, ताकि बच्चे उसमें मन मुताबिक विडियो नहीं देख सकते है। इसके अलावा टाइमर भी सेट कर सकते हैं, ताकि एक घंटे बाद टीवी खुद ब खुद बंद हो जाए।

*2. पॉजिटिव सजेशन :*

      बच्चों को बचपन से ही कोई न कोई काम करपवाने के लिए डराया जाता है। इससे बच्चा कार्य तो कर लेता है, मगर डर की भावना उसके मन में बैठ जाती है। अब वे अपनी किसी भी बात को शेयर करने से डरने लगता है।

     देखते ही देखते बच्चा निगेटिव विचारधारा के बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगता है। इससे बचने के लिए माता पिता को बच्चों के सामने डराने धमकाने या लालच व प्रलोभन से दूर हटकर बच्चों को सकारात्मक उदाहरण दें और जीवन के मूल्य को समझाने का प्रयत्न करें।

*3. प्रोफेशनल डेवलपमेंट :

   बच्चों को समय का उपयोग करना सिखाएं और उन्हें पैसा कमाना भी सिखाएं। अन्यथा बच्चे जैसे जैसे बड़े होंगे उन्हें पैसे खर्च करने के नए बहाने मिल जाएंगे और दोस्त उन्हें पैसा खर्च करना सिखाने लगेंगे।

     इससे बेहतर है कि बच्चे को इस प्रकार के उदाहरण दें, जिससे उसे पैसों की अहमियत मालूस हो सके। इसके अलावा बच्चों से बातचीत करें और उन्हें अपने प्रोफेशन या अपने पार्टनर की प्रोफेशनल जर्नी के बारे में जानकारी दें। इससे बच्चे में कमर्शियल या प्रोफेशनल थिंकिग डेवलप करने में मदद मिलती है।

*4. पैशन ऑफ लाइफ :*

सबसे पहले जानें कि ऐसा कौन सा कार्य है, जिसे करते वक्त बच्चा बेहद खुश महससू करता है और उस वक्त पर इतना मसरूफ हो जाता है कि वो खुद को भी भूल जाता है। इसके लिए बच्चे के पैशन के बारे में जानकारी एकत्रित करें और उससे उस क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद करें।

     इससे बच्चा आपके करीब आने लगता है और उसी क्षेत्र में अपने जीवन लक्ष्य को पाने के लिए तैयार हो जाता है।

*5. प्राउड फील :*

बच्चे को सुबह उठाने से लेकर तैयार करने तक उसे प्यार से उठाएं और तैयार करें। उसके किए कार्यों की प्रशंसा करें और उसे मोटिवेट करने का प्रयास करें। इससे बच्चा खुद ब खुद सकारात्मक होने लगता है और नकारात्मकता को त्यागने लगता है।

     इससे बच्चा न केवल आपकी बातों को सुनने लगता है बल्कि आप जो भी कहेंगे उसे स्वीकार होता चला जाता है। इससे बच्चे माता पिता के नज़दीक आ जाते हैं और बुरी संगत से दूर होने लगते हैं।

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