रिया यादव
किशोरावस्था यानी टीनएज जीवन में बदलाव के साथ कुछ चुनौतियां भी लेकर आती है। देखने और सुनने में लगता है कि यही जीवन के वो दिन हैं जब वाकई कोई इंसान खुलकर जी पाता है।
मगर वास्तव में ऐसा नहीं है। दरअसल, किशोरावस्था उम्र का वह पड़ाव है, जिसमें व्यक्ति फ्रीडम तो चाहता है।
मगर साथ ही माता-पिता की एक्सपेक्टेंशस कुछ अचीव करने का प्रेशर और भावनात्मक उथल-पुथल का भी सामना कर रहा होता है।
यही वजह है कि ज्यादातर पेरेंट्स अपने किशोर बच्चों के व्यवहार से परेशान होते हैं। उन्हें लगता है कि उनका टीनएज बच्चा बदतमीज और बात न मानने वाला हो गया है।
अगर आप भी अपने परिवार में इस समस्या का सामना कर रही हैं, तो जानिए कि टीनएज बच्चों के एटीट्यूड और बिहेवियर के साथ कैसे डील करना है।
*क्यों एटीट्यूड दिखाने लगते हैं टीनएज में बच्चे?*
दरअसल, इस उम्र तक पहुंचते हुए शरीर को कई शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तनों से गुज़रना पड़ता हैं, जिसका असर युवाओं के व्यवहार पर दिखने लगता है।
ऐसे में पेरेंटस और सिबलिंग्स यानि छोटे भाई बहनों के साथ तालमेल बिठाने में उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि कैसे टीनएज एटीट्यूड को मैनेज किया जा सकता है।
टीनएज में पहुंचने के बाद बच्चे जीवन में स्वतंत्रता चाहते हैं। वे बिना किसी रोक टोक के अपने मन मुताबिक कार्य करना चाहते है। मगर वहीं माता पिता उनके हर कार्य में दखलअंदाज़ी करने लगते हैं। ऐसे में परिवार के सदस्यों को समझना होगा की इस उम्र में पहुंचने तक बच्चे कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक बदलाव का सामना कर चुके है।
इसका असर उनके व्यवहार पर भी दिखने लगता है। बच्चे को हेल्दी एनवायरमेंट देने के लिए न केवल कुछ सीमाएं तय करें बल्कि बच्चों को थोड़ा स्पेस भी दें।
बच्चे के निर्णय और विकल्पों को चुनने की शैली की सराहना करें। हर मुश्किल वक्त में बच्चे का साथ देना चाहिए और गलत राह पर बढ़ने से भी रोकना चाहिए।
इन टिप्स की मदद से पेरेंटस टीनएज एटीट्यूड को हैंडल कर सकते हैं :
*1. समझिए कि प्राइवेंसी उनका हक है :*
हर रिश्ते में कुछ सीमाएं तय की जाती है। फिर चाहे पति पत्नी का हो या बच्चों और माता पिता का। छोटे बच्चों को माता पिता हाथ पकड़कर चलना सिखाते हैं, मगर बड़े होकर बच्चे माता पिता के लिए मज़बूत कंधा बन जाते हैं।
टीनएच में पहुंचकर उन्हें अपने जीवन के फैसलें खुद लेने की आज़ादी दें और उनकी प्राइवेसी को बना रहने दें। बच्चे के हर दोस्त के बारे में जानकारी एकत्रित करना और उसका पीछा करने से बच्चे के व्यवहार में नकारात्मकता बढ़ने लगती है।
*2. ऑर्डर नहीं, सलाह दें :*
बच्चों में उम्र के साथ कई प्रकार की भावानाओं का विस्तार होने लगता है। हर काम के लिए ऑर्डर देने से बच्चे मन ही मन परेशान और चिंतित रहने लगते हैं और अपनी बात खुलकर नहीं बता पाते हैं। अपने फैसले में बच्चे की मर्जी को शामिन करने से बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ने लगता है और बच्चा माता पिता को अपना दोस्त मानने लगता है। ऐसे व्यवहार के चलते बच्चे धीरे धीरे माता पिता से दूरी बना लेते है। अपने बच्चे से अच्छी बॉन्डिंग बनाए रखने के लिए उनके साथ वक्त बिताएं और उन्हें अपनी राय दें।
*3. भावनाओं को समझें और उनका सम्मान करें :*
पेरेंटस हर उम्र में बच्चों को छोटा और कम समझदार आंकने की गलती करते है। इससे बच्चे अपनी फीलिग्ंस को पेरेंटस से शेयर नहीं कर पाते और अपनी भावनाओं और विचारों को जाहिर करने से हिचकिचाते हैं।
अगर वो किसी टॉर्चर का शिकार है या किसी को पसंद करते है, तो पेरेंटस उनकी बातों को अहमियत नहीं देते है। इसके चलते बच्चे जीवन में अपनी मर्जी करने के लिए कोई भी गलत कदम उठाने से नहीं डरते हैं।
दरअसल, टीनएज में पहुंचकर बच्चे खुद को बड़ा महसूस करते है और जीवन में अपने अनुसार चलना चाहते हैं। ऐसे में बच्चे को बुरी आदतों से बचाना आवश्यक है।
मगर साथ ही उनकी बात को समझे और वो जैसा चाहते है, उनके विचारों का सम्मान करते हुए जीवन में उसके अनुरूप चलने का प्रयास करें।
*4. भाषा और व्यवहार का ध्यान रखें :*
हर पल बच्चे की जासूसी करना उसके व्यवहार में कटुता का कारण बनने लगता है। ऐसे में माता-पिता को बच्चे के पीछे दौड़ने की जगह उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की आवश्यकता होती है। उसको समझें और उसे जीवन में अपने फैसले लेने का अधिकार दें।
बच्चे पर अपना विश्वास जताने से और उसे कुछ स्पेस देने से रिश्तों में नज़दीकी और व्यवहार में सौम्यता बनी रहती है।
*5. अनावश्यक रोक- टोक से बचें :*
माता पिता अपनी दिनभर की भड़ास बच्चों पर निकाल देते है। उन्हें गलत साबित करना और बात बात पर टोकना टीनएजर्स के व्यवहार को क्रोधित बना देता है।
परिवार के सदस्यों को बच्चों से प्यार से पेश आना चाहिए और किसी अन्य व्यक्ति के सामने बच्चे की कमिया खोजने की जगह उसे प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे टीनएजर्स जीवन में आने वाले संघर्षों को आसानी से पार कर लेता है।
*6. तनाव से लड़ना सिखाएं :*
मन ही मन कई तरह की चिंताओं से जूझ रहे टीनएजर्स को जीवन में कई कारणों से तनाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में माता पिता छोटी सी बात भी बच्चे के लिए तनाव का कारण बन सकती है। चाहे टीनएज लड़की हो सा लड़का उनकी मेंटल हेल्थ का ख्याल रखते हुए चिंता और एंग्ज़ाइटी से दूर रखें। बच्चों की परेशानी को समझते हुए उनके साथ किसी भी प्रकार के विवाद से बचें और बच्चों का शांत रखने का प्रयास करें। उन्हें अच्छा श्रोता बनने की शिक्षा दें।