(यह लेख न्यूयार्क टाइम में पब्लिश डॉ. मानवश्री के आर्टिकल का भाषिक रूपांतर है. जिनको मूल वर्जन चाहिए, हमारे व्हाट्सप्प से ले सकते हैं.)
~ अनामिका, प्रयागराज
आजकल लेस्बियनशिप बढ रही है. स्त्री समाज पुरुष को नकार रहा है. स्त्री अपनी बॉडी पार्टनर स्त्री की कमर मे पेनिस युक्त सेक्सटॉय बांधकर सेक्स करवा रही है. कुत्ते जैसे पशुओं की तो किस्मत ही चमक उठी है. गाय नहीं पाली जा सकती, लेकिन भारी-भरकम खर्च उठा करके कुत्ते पाले जा रहे हैं.
आख़िर स्त्री ऐसा क्यों कर रही है? इसलिए की पुरुष उसे संतुष्ट करने मे अ-क्षम होता जा रहा है. हैंडप्रैक्टिस करके, नशे करके और सेक्स पॉवर की दवाएं ठूस करके वह नामर्द बन रहा है. कोविड वैक्सीन उसके कोढ मेँ खाज सावित हुई है.
पुरुष की तुलना मेँ आठ गुना अधिक सेक्सऊर्जा से युक्त स्त्री करे तो क्या करे. वह बेडरूम मेँ आठ पुरुषो को नहीं ले सकती. ऐसी प्रकृति, ऐसी मनोदशा उसकी नहीं है. ऐसी होने मेँ उसे सैकड़ों साल लगेंगे.
_”World, 99% men do not last even 15 minutes. Meaning so many men are impotent. Not many women get complete sexual pleasure.”_
-Medical Report.
रेप, गैंगरेप, फीमेल मर्डर की बाढ़ क्यों आई हुई है? क्या करे बेचारा मर्द. घर मेँ खाना मिलता नहीं, बाहर होटल की उसकी औकात नहीं. औकात है तो खतरों का डर. वह विक्षिप्त हो गया है. दूसरे के घर की बूढी- बच्ची, अपने घर की बेटी-बहन माँ तक को दबोच लेता है. जैविक जरूरत है जी.
स्त्री नामर्द का बोझ ढोने, उसकी धौन्स सहने से मना कर रही है. ऐसा सिर्फ़ वो स्त्री नहीं कर रही है जो पुरुष के टुकड़ों पर पलती है. मतलब जो आत्मनिर्भर नहीं है. आजकल लड़कियों को फट से जॉब मिल जाती है, लडको को नहीं मिलती.
वह स्त्री भी नामर्द पुरुष को झेल लेती है जो ल्यूकोरिया, एनीमिया, योनि रोग आदि की शिकार है. उसकी सेक्स इच्छा मर जाती है. गरमी खत्म-सी हो जाती है. वह भीतर से ठंडी, मुर्दा यानी जिंदालास बन जाती है. उसके लिए तो नामर्द भी ज्यादा है. बाकी सारी स्त्रियां अब नामर्द को टाटा करने की तरफ आगे बढ रही हैं.
क्या स्त्री पुरुष को नकार कर सही कर रही है? हम इसे सही नहीं कह सकते. माना कि ममता जगने पर या वारिस के मुद्दे पर वह बच्चा गोद ले लेगी. लेकिन सेक्स के लिए वह पुरुष को नकार कर जो कर रही है : वह अपने पैर पर नहीं, गले पर कुल्हाड़ी मारना है.
जो भी अन नेचुरल है वह गरल है. गरल मतलब जहर. स्त्री मन तन से रोगी बनेगी. योनि सेंस्टिविटी खोकर वज्र बन जाएगी. यानी सड़कर मर जाएगी.
रास्ता यह है कि अपने नामर्द का इलाज़ करा लिया जाये. आज इसके लिए मेडिकल साइंस सक्षम है. पेनिस तक प्रत्यारोपित हो रहा है. लड़की को लड़का, लड़का को लड़की तक बनाया जा रहा है. अगर इलाज कराने के नाम पर पुरुष का अहंकार डाउन होता है, वह खुद को नामर्द नहीं मानकर उलटे आप पर लांछन लगाता है; तब आप निर्दोष हो.
तब भी आपको लेस्बियनशिप नहीं लेनी है. सेक्सटॉय, पशु नहीं लेना है. निराश होकर, हालात के आगे सरेन्डर करके ठंडी भी नहीं बनना है. आप हमारे मिशन की थेरेपी लें.
ऐसा डिवाइन और सुपर आर्गेज्मिक आनंद लें जो दुनिया का कोई सेक्स नहीं दे सकता. आपकी योनि, मुँह, गुदा मेँ कुछ भी डाला नहीं जाना है. आप कहोगी फिर कैसे? तो यार, आम से मतलब रखो, गुठली क्या गिनना. (चेतना-स्टेमिना विकास मिशन).