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*स्याह सियासत में व्हाट्सऐप्प यूनिवर्सिटी का खेल*

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व्हाट्सऐप्प विश्वविद्यालय जब तक बंद नहीं होगा तब तक भक्तों को तथ्य समझाना भारी मुसीबत है। ‘विकास’ का एक आंकड़ा मुझे मेरे एक मित्र ने भेजा है। इसमें पहला है सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी। मोटे तौर पर कुल उत्पादन या काम।

     कहने की जरूरत नहीं है कि जैसे-जैसे आबादी बढ़ेगी, काम बढ़ेगा। यही नहीं, कार्यकुशलता, दक्षता, बिजली और संसाधनों की उपलब्धता और सरकारी नीतियों के कारण उत्पादन बढ़ता या घटता है। यहां 2014 से पहले और पिछले नौ साल का आंकड़ा है। दोनों में वृद्धि को तुलनात्मक रूप से रखा गया है जबकि औसत वृद्धि देखी जानी चाहिए और वृद्धि तो होनी ही थी।

      यह सामान्य से कम है या ज्यादा इसकी बात होनी चाहिए और उससे भी महत्वपूर्ण कि कम है तो क्यों और ज्यादा है तो क्यों। रिकार्ड के लिए इस मामले में सांख्यिकी एवं प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के आंकड़ों के हवाले से ट्रेडिंग इकनोमिक्स डॉट कॉम ने अंग्रेजी में जो कहा है उसका अनुवाद पेश है :

       “2023 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में साल-दर-साल 6.1% की वृद्धि हुई, जो कि 2022 की चौथी तिमाही में संशोधित 4.5% से अधिक है और 5% के बाजार पूर्वानुमान से काफी ऊपर है। विस्तार में वृद्धि का मुख्य कारण निजी खपत, सेवा निर्यात और विनिर्माण में वृद्धि है जो इनपुट लागत दबाव कम होने से भी हुआ है। इसके अलावा, सेवाएँ (सर्विस) एक मुख्य चालक के रूप में उभरी हैं, जिनका सकल घरेलू उत्पाद में आधे से अधिक योगदान है। (इसका मतलब और कारण भक्तों को समझाना मुश्किल है इसलिए यहां उसकी चर्चा नहीं कर रहा हूं)। निजी खर्च 2022 की चौथी तिमाही में 2.2% के मुकाबले, 2.8% की तेजी से बढ़ा है। सार्वजनिक व्यय में उछाल आया (-0.6% के मुकाबले 2.3%), जीएफसीएफ (ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन) तेजी से बढ़ा (8% के मुकाबले 8.9%), शेयरों में सुधार हुआ (-0.1% के मुकाबले 5.9% बनाम) और निर्यात (11.1% के मुकाबले 11.9%) आयात (4.9% बनाम 10.7%) के मुकाबले काफी बढ़ गया। उत्पादन की बात करूं तो विनिर्माण क्षेत्र तीन तिमाहियों में पहली बार बढ़ा (4.5% बनाम -1.4%) और कृषि क्षेत्र (5.5% बनाम 4.7%), निर्माण (10.4% बनाम 8.3%) के लिए तेजी से वृद्धि दर्ज की गई। वित्तीय और रियल एस्टेट (7.1% बनाम 5.7%), और सार्वजनिक प्रशासन (3.1% बनाम 2%)। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को 7% से बढ़ाकर 7.2% कर दिया गया।“ 

कहने का मतलब है कि ये आंकड़े इस तरह तुलना करने योग्य नहीं हैं और इसीलिए सरकारी स्तर पर या अधिकृत तौर पर इस तरह प्रस्तुत नहीं किया जाता है। हालांकि, मोटे तौर पर यह अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन का बनाने के दावे की तरह ही है। आपको याद होग कि तब पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने संसद में आंकड़े देते हुए कहा था कि कैसे अर्थव्यवस्था दूनी होती रही है और फिर होगी। कोई भी कर्ज देने वाला और लेने वाला जाता है। पहले पांच साल में बैंक में धनराशि दूनी हो जाती थी।

      यह अलग बात है कि बाद में लोग इसे भूल गए और अब तो मोदी जी भी अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन का करने की बात नहीं करते हैं। तथ्य यह है कि जो अपने आप हो जाना था वह मोदी जी के कारण नहीं हुआ या होगा। लेकिन प्रचारकों का दिल है कि मानता ही नहीं है। इसमें बाकी के उदाहरण ऐसे ही हैं और उसपर विस्तार से जाने से बेहतर यह बताना होगा कि ट्रेडिंग इकनोमिक्स डॉट कॉम के अनुसार, भारत में पूरे साल का जीडीपी विकास 2006 से 2023 औसतन 6.21 प्रतिशत था जो 2022 में सबसे ज्यादा 9.10 प्रतिशत और सबसे कम 2021 में -5.80 प्रतिशत था।

      जहां तक इस प्रचार की बात है, इसमें यह नहीं लिखा है कि आंकड़े किसके हैं, कहां से लिये गए हैं और इनके सही होने की संभावना कितनी है। 

     यहां यह उल्लेखनीय है कि दिल्ली में प्रधानमंत्री के खिलाफ पोस्टर लगे तो दिल्ली पुलिस ने हटा दिए (जो उसका काम नहीं है) और उसपर मुद्रक का नाम नहीं होने के कारण कार्रवाई की गई। लेकिन इस तरह के प्रचार और सरकार के विरोधियों के खिलाफ कुछ भी फैलता-फैलाया जाता रहता है और यही हाल सांप्रदायिक मामलों में भी है।

 कुल मिलाकर स्थिति यह है कि सरकार के पक्ष में और विरोधियों के खिलाफ कुछ भी घूमता रहता है और सरकार चाहती है कि उसे सोशल मीडिया पर ऐसा नियंत्रण हासिल हो जाए कि वह जिसे चाहे हटवा सके और जिसे चाहे प्रचारित करती रह सके। बात इतनी ही नहीं है।

      इस अनजाने प्रचार में मेट्रो शहर बढ़ जाने का विकास भी गिनाया गया है लेकिन स्मार्ट सिटी का क्या हुआ उसका जिक्र नहीं है। हवाई अड्डों की संख्या 74 से 152 हो जाने का दावा किया गया है। इनमें एक दरभंगा भी होगा उसके बारे में मैंने पढ़ा है, इसका निर्माण 1940 में  दरभंगा महाराज ने करवाया था।

      1947 में स्वतंत्रता के बाद, भारतीय वायु सेना ने इसपर कब्जा कर लिया। 1962 में, भारत सरकार ने दरभंगा हवाई अड्डे को नागरिक हवाई अड्डे में बदलने का फैसला किया और निर्माण कार्य शुरू हुआ। 2008 में, बिहार सरकार ने दरभंगा हवाई अड्डे को पुनर्जीवित करने और इसे एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में उन्नत करने का निर्णय लिया।

     नवंबर 2020 में, दरभंगा हवाई अड्डे को अंततः नागरिक उपयोग के लिए फिर से खोल दिया गया, जिसमें पहली व्यावसायिक उड़ान दिल्ली के लिए रवाना हुई। इसकी मौजूदा क्षमता 300 यात्री की है। अब आप दावों को समझते रहिये।

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