भारत जैन
खेल पर बनी मशहूर फिल्म ‘ चक दे इंडिया ‘ में शाहरुख खान भारतीय महिला हॉकी टीम के व्यवहार से नाराज़ होकर कोच का पद त्याग कर जाने को होते हैं। विदाई से पहले एक रेस्टोरेंट में पार्टी का आयोजन करते हैं।
रेस्टोरेंट में एक मनचला टीम की एक उत्तरी पूर्व की लड़की को छेड़ता है और उसके बाद लड़कियों और उस लड़के और उसके साथियों के बीच में घमासान मारपीट होती है। लड़कियां उन लड़कों को अच्छा खासा सबक सिखा देती हैं।
तभी शाहरुख खान कोचिंग टीम की साथी महिला से कहते हैं – ‘ अब टीम बन गई है। टीम को बनाने के लिए ताकत की नहीं नीयत की ज़रूरत होती है। ‘
आपस में मेलजोल से ना रहने वाली लड़कियां एक – दूसरे के लिए लड़ाई करके एक टीम बन गई।
1996 में वनडे वर्ल्ड कप से कुछ महीने पहले श्रीलंका की टीम ऑस्ट्रेलिया में थी। मुथैया मुरलीधरन उभरते हुए स्पिन गेंदबाज थे । अंपायर डेरेल हेयर ने कई बार मुरलीधरन के अजीब एक्शन से फेंकी हुई गेंद को नो बॉल करार दिया। कप्तान अर्जुन रणतुंगा अड़े रहे । कई बार नो बॉल कहे जाने के बाद भी उनसे बॉलिंग कराते रहे।
वर्ल्ड कप के लिए जब टीम चुनी जा रही थी तब सिलेक्शन कमेटी ने इस डर से कि मुरलीधरन की गेंद को नो बॉल ना कहा जाए टीम में उनका जगह न देने की सोची। परन्तु रनतुंगा अड़ गए कि उनके बगैर वह कप्तानी नहीं करेंगे। उस समय श्रीलंका में सिंहली और तमिल भाषा को लेकर गृह युद्ध की स्थिति थी और मुरलीधरन एकमात्र तमिल भाषी खिलाड़ी भी थे ।
कप्तान की खिलाड़ी के प्रति निष्ठा की भावना को देखकर श्रीलंका की टीम में भी ज़बरदस्त एकता की भावना विकसित हुई ।
इंग्लैंड के विरुद्ध क्वार्टर फाइनल मैच में कप्तान रणतुंगा रोशन महानामा की जगह उपुल चंदाना को टीम में स्थान देना चाहते थे मगर स्वयं चंदाना ने टीम मीटिंग में कहा कि जो टीम कंबिनेशन जीत रहा है उसको बदलना ठीक नहीं है। चंदाना की टीम भावना का कप्तान रणतुंगा को आदर करना पड़ा। और अंत में उस मैच में टीम की जीत में रोशन माहनामा ने एक बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा किया ।
सेमी फाइनल में ईडन गार्डन्स में भारतीय दर्शक अपनी टीम के प्रदर्शन से नाराज़ होकर उधम पर उतर आए और बाउंड्री लाइन पर खड़े श्रीलंकाई खिलाड़ियों पर कुछ कुछ फैंकने लगे। यह देखकर उपुल चंदाना ने कप्तान रनतुंगा से कहा कि बजाय अरविंद डी सिल्वा को बाउंड्री लाइन पर खड़ा होने के स्वयं उसे लगाया जाए ताकि अरविंद डि सिल्वा सुरक्षित रहें जो टीम के लिए बहुत ज़रूरी था।
अंत में यही टीम उस वर्ल्ड कप में विश्व विजेता बनी और फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच बने अरविन्द डी सिल्वा । और उपुल चंदाना जिन्होंने एक भी मैच नहीं खेला एक चैम्पियन टीम के खिलाड़ी ज़रूर कहलाये।