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जहां पर कछुआ होता है वहां पर लक्ष्मी अवश्य आती हैं

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गीतिका दुबे

भगवान विष्णु ने कश्यप अवतार लिया था इसलिए जहां पर कछुआ होता है वहां पर लक्ष्मी अवश्य आती हैं। आजकल ज्यादातर लोगों के हाथों में कछुए की अंगूठी दिखाई पड़ती है। ज्योतिष, वास्तु पर शोध करने वाले ज्योतिषी एवं वास्तुशास्त्रियों के अनुसार कछुए का सम्बन्ध भगवान विष्णु के कश्यप अवतार से है और जहां पर विष्णु रहते हैं, वहां पर उनकी सेवा में स्वयं मां लक्ष्मी उपस्थित रहती हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि कछुए की अंगूठी शुक्रवार के दिन अथवा अक्षय तृतीया, दीपावली, धनतेरस आदि पर्व एवं शुभ तिथियों पर पहनने से लक्ष्मी की कृपा व्यक्ति को प्राप्त होती है।

इच्छापूर्ति के लिए

फेंगशुई के अनुसार यदि किसी के मन की मुराद पूरी न हो रही हो तो वह इच्छापूर्ति के लिए एक कोरे कागज पर लाल पेन से अपनी मुराद लिख कर धातु से बने हुए कछुए के अंदर रख कर उत्तर दिशा में रख दें। ऐसा करने से 40 से 60 दिन के अंदर इच्छा पूरी होने की पूर्ण संभावना रहती है।

असाधारण कामयाबी के लिए कछुआ

वास्तु, फेंगशुई के अनुसार भाग्य को प्रकाशित करने के लिए और जीवन में सुख-समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अनेक लाभदायक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है जिन्हें फेंगशुई की भाषा में क्योर्स कहा जाता है। ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई का प्रयोग सही ढंग से करने पर व्यक्ति को असाधारण कामयाबी मिलने लगती है। कामयाबी का अनुपात व्यक्ति की मेहनत, योग्यता के बल पर उपाय की शक्ति पर निर्भर है, अतः इसमें कोई दो राय नहीं है कि उचित कर्म के साथ वास्तु, फेंगशुई के उपाय एवं क्योर्स व्यक्ति के भाग्य का संवर्धन करते हैं। वास्तु, फेंगशुई में धातु से निर्मित कछुए को क्योर्स के रूप में प्रयोग किया जाता है, जिससे अनेक प्रकार के स्थायी लाभ देखने को मिलते हैं। फेंगशुई में छोटे-छोटे उपायों द्वारा हम अपनी समस्याओं को कम कर सकते हैं। इन्हीं क्योर्स एवं उपायों में से एक है, कछुए का प्रयोग।

इसका कवच (खोल) मजबूत व कठोर होता है जो कि बीमारियों व दुर्भाग्य से रक्षा के लिए ढाल के समान कार्य करता है। यह व्यापार/व्यवसाय व नौकरी में आने वाली बाधा, असुरक्षा, अस्थिरता तथा भाग्य की कमी को दूर करता है। यदि किसी कार्य में बार-बार व्यवधान आ रहा हो, जिसके कारण कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा हो तो धातु का कछुआ जिसके नीचे लक्ष्मी यंत्र अंकित हो, को पानी से भरे कटोरे में रखकर उत्तर दिशा में रखना चाहिए। ऐसा करने से असम्भव दिखने वाले कार्य भी सम्पन्न हो जाते हैं।

व्यापार वृद्धि के लिए और करियर को उज्ज्वल बनाने के लिए भी कछुए का प्रयोग किया जाता है। इसकी चाल अत्यन्त धीमी परन्तु निरन्तरता लिए हुए अपनी मंजिल तक पहुँचने का संदेश देती है, अतः घर अथवा कार्यालय में कछुए की उपस्थिति जीवन में उन्नति और निरन्तर गतिशील रहने का एहसास दिलाती है। इसे रखने की सर्वोत्तम दिशा उत्तर मानी गई है।

ज्योतिषाचार्य गुंजन वार्ष्णेय, प्रयागराज

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