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साहिब! जो आग लगाए उसे कौन बुझाए 

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सुसंस्कृति परिहार

पिछले आठ से अधिक साल से इस मुल्क का हाल बेहाल है।झूठे ख्वाबों का भंडाफोड़ हो चुका है। दौंदा बड़ा कि लबरा का खेल बराबर चल रहा है।एक ओर सरकार अपने मीडिया और भक्तों के बल पर झूठ का बाजार गर्म करती है तो दूसरी ओर उस पर घड़ों ठंडा पानी डाल गर्मी शांत करने की कोशिश होती है। लेकिन भक्त और उनके चैनल उस चिंगारी को हवा देते रहते हैं।हाल ही में अग्निपथ योजना पर जितनी बेशर्मी से सफाई भी दी जा रही है उतनी ही बेशर्मी से उसमें सुधार कर यह जताने का प्रयास हो रहा है कि कुछ सरकार विरोधी लोग इस महत्त्वपूर्ण योजना को बदनाम करने में लगे हैं।

उनकी इस बात पर भरोसा करें तो यह साफ हो जाना चाहिए कि विरोध पक्ष के पास अकूत ताकत आ चुकी है ।उसका ध्यान रखें।पर यह सत्ता में बैठकर मान लेना वे कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं। इसलिए युवा बेरोजगारों की भीड़ पर  क्रूर तौर तरीके अपनाए जा रहे हैं जिससे वे दहशत में आकर आंदोलन को विराम दे दें।जो गिरफ्तार हो रहे हैं वे तो नौकरी की पात्रता से वंचित ना कर दें ये भी संभावना बनती है। हालांकि कुल 46,000पद इस वक्त तकरीबन 20करोड़ शिक्षित बेरोजगारों के लिए कोई मायने नहीं रखते।

यह विरोध वास्तव में सरकार की उस दुर्भावना के खिलाफ है जो सेना जैसे महत्वपूर्ण महकमे में ठेके के मजदूरों से भी गई बीती अग्निपथ योजना के अग्निवीरों के साथ करने की तैयारी है।एक चतुर चालाक व्यापारी ने जो कुटिल व्यूह रचना की है वह घोर निंदनीय है और गरीब,किसान तथा मज़दूरों के बच्चों का सरासर अपमान है।ये असंतोष और आक्रोश होना स्वाभाविक है।देश की सम्पत्ति के नुकसान पर युवा यह भी कहने से नहीं चूक रहे वह अब देश की कहां रही ये सब तो अडानी अंबानी की है।सब कुछ बेचकर अब सेना को बेचने का यह एक कदम है।वह भी कल इनमें से किसी की हो जायेगी।उनका दावा है वे ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे।देखा जाए तो युवाओं का विरोध जायज़ है।उनकी बात में दम है।अब तक उन्होंने जो देखा है वहीं तो कह रहे हैं।गलत क्या है?

चिंता का विषय यह है कि  जो अग्निपथ योजना का स्वरुप भावी अग्निवीरों ने चुना है।वह आग  कैसे बुझेगी? इससे देश की संपत्ति के साथ बड़ी तादाद में युवाओं के साथ जो हो रहा है वह तो और भी आग प्रज्जवलित करेगा।एक फिल्म का गीत याद आ रहा है चिंगारी कोई भड़के तो उसे कौन बुझाए——तथा

और साहिब जो आग लगाए उसे कौन बुझाए?

 जी हां यहां भी सावन जो आग बुझाए और सावन जो आग लगाए उसे कौन बुझाए जैसा  मामला है।

आग लगाने का काम सरकार ने किया है और उसे ही इस आत्मघाती योजना को वापस लेना होगा वरना आगे आने वाले कल में प्राश्यचित का अवसर भी नहीं मिलेगा।युवा शक्ति को पहचानिए !वरना इस अग्निपथ के अग्निवीर आपको ही इसमें समर्पित कर संतुष्ट होने की कोशिश कर सकते हैं। सावधान रहिए।अग्निपथ योजना वापसी से ही इसकी आंच से बचा जा सकता है तथा आग पर काबू पाकर नियंत्रण मुनासिब है। 

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