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ज्ञान के आलोक से प्रकाशित करने वाला कौन ? शंकराचार्य या ज्योति बा फुले

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 अंधविश्वासी,जड़ और कूपमंडूक भारतीय समाज में घनघोर जातिवादी वैमनस्यता व कैंसररूपी अज्ञान को समाप्त करने के लिए ज्योति बा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने शिक्षारूपी ज्ञान की जो अलख जगाई वह अद्भुत, अद्वितीय और विरलतम् है !

उसके लिए उन्हें जातिवादी गुँडों ने उन दोनों को कितना अपमानित, तिरस्कृत और जलील किया वह वर्णनातीत है ! इन्हीं सभी बातों को समेटती यह इस लेख के साथ संगलग्न विडिओ आद्योपांत देखिए और चिंतन करिए कि इस देश को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करनेवाले लोग यथा भगवान गौतम बुद्ध,आचार्य चार्वाक,भारतीय साहित्य के दार्शनिक कवि संत कबीर,संत रविदास, गुरू नानक देव,महात्मा फुले,माँ सावित्रीबाई फुले और भीमराव अंबेडकर हैं,न कि इस देश को जातिवाद के दावानल में झोंकनेवाला मनु,शंकराचार्य आदि हैं,न आधुनिक भारतीय समाज में धार्मिक वैमनस्यता का बीषबीज बोनेवाला कुख्यात खलनायक लालकृष्ण आडवाणी है,न फॉसिस्ट, बर्बर,असहिष्णु, मानवेत्तर जीव नरेन्द्र भाई दामोदर भाई मोदी है ! इसलिए अपने असली हितचिंतकों और भेड़ की खाल में लिपटे इन रामनामी चादर ओढ़े भेड़ियों में अन्तर करना सीखना आज बहुत जरूरी है !
-निर्मल कुमार शर्मा,

गाजियाबाद, उप्र,संपर्क-9910629632,

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