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युवाओं के झुलसते सपने : जिम्मेदार कौन?

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सुसंस्कृति परिहार
युवा दिवस करीब है तो युवाओं की उम्मीदों और सपनों की चर्चा ज़रूरी हो जाती है।एक सपना आज से आठ साल पहले हमारे प्रधानमंत्री ने दिखाया था कि दो करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष रोज़गार दिया जायेगा।यदि ईमानदारी से इस कोशिश को पूरी करने की चाहत सरकार की होती तो अब तक 16करोड़ बेरोजगारों को रोज़गार मिल गया होता।कहते हैं ये एक चुनावी जुमला था। अब उत्तर प्रदेश में यह ऐलान हुआ है कि दो करोड़ बेरोजगारों के खाते 4000रुपये भेजे जायेंगे।जबकि वहीं अकेले पांच करोड़ से अधिक बेरोजगार पंजीबद्ध हैं।

यह चुनाव के मद्देनजर लिया निर्णय है किसे मिलेगा यह हवा हवाई है यदि दिया भी गया तो पक्का यह जान लीजिए यह संघ के उन अनुशंषी संगठनों की खैरात बनेगा जो उनकी मंशानुरूप काम कर रहे हैं। मसलन हिंदू युवा वाहिनी,अखिलभारतीय विद्यार्थी परिषद, बजरंग दल वगैरह वगैरह।कुछ वे लोग भी होंगे जो अल्पसंख्यकों को सबक सिखाने में लगे होंगे। चुनाव होने हैं तो युवाओं को खर्चा पानी देना ही होगा। दरअसल बात यह है कि नौकरी देने वाले सभी बड़े संस्थान निजी हाथों में चले गए तो रोजगार कैसे मिलेगा?बस चुनाव के दौरान खैरातें सकेंगी।
बहरहाल इसके अलावा युवाओं की शिक्षा किस तरह चल रही है वह बेहद चिंताजनक है वे गाइडों से प्रश्न हल कर जमा करते हुए दो साल से पास हो रहे हैं तीसरे साल में यही होने की पूरी संभावना है।आन लाईन शिक्षा पूरी तरह मज़ाक बन के रह गई। लेकिन बच्चे और युवा पास हो रहे हैं उनके साल बर्बाद नहीं हुए गार्जियन भी ख़ुश हैं। जबकि निजीकरण के दौर में इन डिग्रियों से कुछ नहीं मिलने वाला।  इस खाली वक्त में बच्चों की क्या मन: स्थिति रही किसी ने उनके मन की बात समझने की कोशिश नहीं की इस वक्त ने बहुसंख्यक युवाओं को एक ऐसे समाज का हिस्सा बना दिया जो नफ़रत के बीज उनके अंदर रोप गई।भारत माता की जय और जय श्री राम के उत्तेजक घोष ने उन्हें अल्पसंख्यक विरोधी बना दिया।भाजपा के आई टी सेल की वाट्स ऐप पढ़ाई ने उसे उनके काबिल बना दिया।देश की गंगा जमुनी संस्कृति के खात्मा की जिम्मेदारी यही लोग अब उठा रहे हैं ।संघ अपने उद्देश्य में सफल रहा वह तो चाहता ही नहीं था कि युवा अच्छी शिक्षा लें और देश की प्रगति में सहयोग करें।आज भी ये कक्षाएं झूठे इतिहास के साथ धड़ल्ले से चल रही हैं युवा उसके रंग में रंगते जा रहे हैं।इक्का दुक्का शिक्षा संस्थान जो देश की तरक्की में छात्र जीवन से अपनी हिस्सेदारी निभा रहे थे उन्हें आतंकी और पाकिस्तानी कहकर बदनाम किया गया सरकारी अनुदान में भारी कटौती की गई।कन्हैयाकुमार और स्वर्गीय रोहित वेमुला के साथ कैसा  अमानवीय व्यवहार हुआ सब जानते हैं जबकि दोनों निरपराध साबित हुए।इस घटना से कन्हैयाकुमार को राजनीति में आना पड़ा और रोहित वेमुला को आत्महत्या करनी पड़ी।दो प्रतिभाओं का ये हाल हुआ।
आज जब बुल्ली ऐप के महत्वपूर्ण किरदारों में इंजीनियरिंग पढ़ने वाले प्रतिभाशाली छात्रों के नाम आए तो संघ की शिक्षा दीक्षा और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों चाहे 2002का नरसंहार , 1992बाबरी का,ढहाना हो,माब लिंचिंग हो,दिल्ली दंगा हो सब याद हो आए।किस तरह देश को कथित हिंदुत्व के जाल में फंसाया गया।खासकर पढ़ने लिखने वाले युवाओं को ।सुल्ली ऐप बंगाल चुनाव के वक्त लाया गया उसके आरोपियों का का कुछ पता आज तक नहीं चला। पांच राज्यों के चुनाव से पूर्व फिर बुल्ली ऐप लाया गयाताकि ध्रुवीकरण का फायदा लिया जा सके। दोनों ऐप के आने के बाद भाजपा की महिला नेत्रियों की जुबान में पाला मार गया । प्रधानमंत्री तो ऐसे मामलों में बोलना गुनाह समझते हैं।इस बार केंद्र के  प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुखारबिंद से कुछ बोल बुल्ली ऐप पर निकले उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ा साईवर अपराध नहीं मामूली है।यानि मुस्लिम जुझारू और प्रगतिशील सोच की महिलाओं की नीलामी साधारण मामला है।यहीं वे संकेत करते हैं कि इन युवाओं और अनाथ युवती के इस ऐप के पीछे, यही लोग हैं वरना इस मामले की निंदा तो कर ही सकते थे।
ये प्रतिभावान छात्रों अब जेल में होंगे और षडयंत्रकारी ताकतें इनसे दूर हो जायेंगी।इस घटना से युवाओं को सबक लेना चाहिए।इस तरह के काम में लगे बहुत से युवा होंगे जो अपनी आजीविका की तलाश में यहां पहुंचे होंगे।संघ की शरण में होंगे। उन्हें सोचना चाहिए कि उन्होंने क्या ये  सपना देखा था कि वे मुस्लिम विरोध में अपनी ऊर्जा लगायेंगे और अपना बलिदान देंगे। उनके सपने तो राष्ट्रसेवा हेतु किसी मन माफिक पद पर बैठना रहा होगा और शांति पूर्ण जीवन।युवा दिवस से पूर्व अच्छी तरह सोचें और संकल्प लें कि वे अपने प्यारे देश के भाईचारे को सलामत रखेंगेऔर देश विरोधी ताकतों के खिलाफ खड़े होंगे।
समाज को भी यह सोचना होगा उनके बच्चों में जो यह घृणा और नफ़रत का भाव आज अल्पसंख्यकों के खिलाफ भरा जा रहा वह कल पलटवार करता हुआ घर को भी अशांत कर सकता है। क्योंकि सब युवा योगी और मोदी की तरह अपने घरों से दूर नहीं जा सकते। उन्हें छोड़ नहीं सकते ।जबकि संघ की दीक्षा में ऐसे लोग महत्वपूर्ण और सम्मानित होते हैं। सोचिए  आप अपने बच्चों को समाज से विलग देखना चाहते हैं नहीं ना, तो युवाओं को समझाइश देने की आज अहम ज़रुरत है।देश को आज पढ़ें लिखे कर्मठ युवाओं की सख़्त ज़रुरत है।वे ही भारत की धुंधली होती छवि को निखारने की क्षमता रखते हैं। युवाओं को जागना होगा अंधेरे को चीरना होगा।

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