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आखिर सबसे शक्तिशाली कौन ?

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मधुसूदन मौर्य

एक बार गौतम बुद्ध अपने सबसे प्रिय शिष्य आनन्द के साथ इसी देश भारत के किसी भूभाग में धार्मिक अंधविश्वास और पाखंड से मुक्त कराकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से उपदेश देने हेतु कहीं जा रहे थे । 

             उसी दौरान आनन्द ने तथागत बुद्ध से पूछा कि-

             ‘ तथागत !जल,वायु ,अग्नि इत्यादि प्राकृतिक शक्तियों में सबसे शक्तिशाली शक्ति कौन सी है ? ‘

               तथागत बुद्ध ने वहुत ही विनम्रतापूर्वक समझाते हुए आनन्द से बोले कि – 

               ‘देखो आनंद ! पत्थर सबसे कठोर और शक्तिशाली दिखता है,लेकिनलोहे का हथौडा उस पत्थर को भी टुकडे – टुकड़े करके रख देता है ! 

इसलिये लोहा पत्थर से भी अधिक शक्तिशाली हुआ । ‘

                 ‘लेकिन लोहार आग की भट्टी में लोहे को भी गलाकर उसे मनचाही शक्ल में ढाल देता है ! ‘

               ‘ इसलिए आग लोहा और पत्थर से भी अधिक शक्तिशाली हुई ! ‘

                 ‘मगर आग कितनी भी विकराल क्यों न हो, जल उसे शांत कर देता है ! ‘ 

                ‘इसलिये जल पत्थर,लोहे और अग्नि से भी अधिक शक्तिशाली मना जाना चाहिए ! ‘

                  ‘लेकिन जल से भरे बादलों को वायु कहीं से कहीं उड़ाकर ले जाती है ! ‘

                 ‘इसलिए वायु ,जल से भी अधिक बलशाली सिद्ध हुई । ‘

                ‘लेकिन हे आनंद ! किसी कर्मठ और अपने कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व्यक्ति की   इच्छाशक्ति वायु की दिशा को भी मोड़ सकती है  ! ‘

                 ‘इसलिए इस दुनिया की सबसे अधिक शक्तिशाली तत्व है किसी व्यक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति ! ‘

                  ‘ इसलिए हे प्रिय आनंद ! दृढ़  इच्छाशक्ति से अधिक बलशाली इस दुनिया में  कोई तत्व ही नहीं है ! ‘

                  ‘ इसीलिए यदि किसी काम को अपनी दृढ इच्छा शक्ति के साथ अपने पूरो मनोयोग से और एकाग्रता के साथ, कठोर परिश्रम के साथ किया जाये तो हमें निश्चित रूप से सफलता अवश्य मिलती है ! ‘

          साभार – गौतमबुद्ध के जीवन से 

          प्रस्तुतकर्ता – श्री मधुसूदन मौर्य, संपर्क – 98385 32920

           संकलन -निर्मल कुमार शर्मा गाजियाबाद उप्र संपर्क -9910629632

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