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अगली बारी किसकी……!

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गिरीश मालवीय

एक ऐसी सरकारी कम्पनी जो भारत के रक्षा ओर अंतरिक्ष विभाग के लिए विभिन्न उपकरणों और कल-पुर्जों का उत्पादन कर रही थी ऐसी कम्पनी जो मिसाइल प्रणालियों में लगने वाले उपकरणों का उत्पादन कर रही थी, ऐसी कम्पनी जो स्वाति और राजेन्द्र राडार जैसे विभिन्न राडार के लिए इस्तेमाल होने वाले कैडमियम जिंक टेल्यूरियम के लिए सब्सट्रेट बनाती हो,
ऐसी कम्पनी जो ‌3500 करोड़ के आयात शुल्क बचा चुकी है।….ऐसी कम्पनी जो हर साल वह हजारों करोड़ के ऑर्डर पूरा करती है , ऐसी कम्पनी जहां 300 स्थाई कर्मचारी तथा उससे भी अधिक अस्थाई  कर्मचारी कार्यरत है। ऐसी कम्पनी को मोदी सरकार ने सिर्फ 210 करोड़ रुपए में बेच दिया है 
हम बात कर रहे हैं सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) की ……इस कम्पनी को एक अननोन सी कम्पनी नांदल फाइनेंस ने खरीदा है..मजे की बात यह है कि नांदल फाइनेंस कंपनी में केवल 10 एम्प्लॉई है……
सीईएल की वास्तविक कीमत 1000 करोड़ रुपये से 1,600 करोड़ रुपये के बीच का अनुमान लगाया गया था लेकिन इसे मात्र 210 करोड़ में नंदल फाइनेंस बेच दिया गया, नंदल फाइनेंस को शारदा यूनिवर्सिटी वाले प्रदीप कुमार गुप्ता, प्रशांत कुमार गुप्ता मिलकर चला रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि सीईएल के पास नई दिल्ली के नजदीक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 2,41,614 वर्ग यार्ड (करीब 50 एकड़) की मुख्य जगह पर बेशकीमती जमीन है।
सीईएल की पिछले पांच साल की बैलेंस शीट के मुताबिक कंपनी का मुनाफा लगातार बढ़ता जा रहा है (2013-14) से हर साल उसका मुनाफा लगभग दोगुना हुआ है. साफ है कि सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड लाभ में चल रही हैं लेकिन इसके बावजूद उसे बेच दिया गया।
कायदे से सीईएल  संस्थान को किसी ऐसे संस्थान में ही विलय किया जाना चाहिए था जो राष्ट्र सुरक्षा के हिसाब से रणनीतिक उत्पादों का निर्माण कर रहा हो लेकिन ऐसा नहीं किया गया और उसे बेच दिया गया इस सौदे से देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।
*गिरीश मालवीय*

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