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मेडिकल टूरिज्‍म का हब भारत..अमेरिका, यूरोप तक से भारत में इलाज कराने क्‍यों आ रहे लोग?

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एक समय था। नेता, उद्योगपति और दूसरे दौलतमंद इलाज कराने अमेरिका और यूरोप जाते थे। लेकिन, अब गंगा उलटी बहने लगी है। विदेश से लोग ट्रीटमेंट कराने भारत में आ रहे हैं। पाकिस्‍तान क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्‍गज गेंदबाज शोएब अख्‍तर कई बार घुटने की सर्जरी करा चुके हैं। हाल में उन्‍होंने एक इमोशनल वीडियो भी ट्वीट किया। इसमें उन्‍होंने बताया है कि वह लंबे वक्‍त से अपने घुटनों की समस्‍या से परेशान हैं। ऑस्‍ट्रेलिया के एक अस्‍पताल में उन्‍होंने सर्जरी कराई है। इस समस्‍या के कारण ही रावलपिंडी एक्‍सप्रेस को समय से पहले संन्‍यास तक लेना पड़ा। जिस तरह की भारत में सुविधाएं हैं, शोएब भारत में कहीं अच्‍छा और सस्‍ता इलाज करा सकते थे। 67 साल की बुजुर्ग महिला का मामला ताजा है। हाल में वह दिल का ऑपरेशन कराने अमेरिका से चेन्‍नई आई थीं। अमेरिका में बेहतर इलाज न मिल पाने के कारण उनके परिवार ने यह फैसला किया था। इसके लिए बीमार हालत में उन्‍होंने 26 घंटे का सफर तय किया था। इसमें करीब 1.06 करोड़ रुपये का खर्च आया था। आखिर ऐसी कौन सी बातें हैं जो आज भारत को वेलनेस या मेडिकल टूरिज्‍म का हब बना रही हैं? आइए, यहां इस बात को समझने की कोशिश करते हैं।

आज की तारीख में भारत दुनिया के टॉप 20 मेडिकल टूरिज्‍म मार्केट में शुमार है। इन शीर्ष देशों में वह 12वें नंबर पर आता है। वेलनेस टूरिज्‍म मार्केट 60-80 अरब डॉलर का है। इस सेक्‍टर में भारत की हिस्‍सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से भी कवायद तेज हो गई है। इसी के तहत वह 15 अगस्‍त से ‘हील इन इंडिया’ प्रोग्राम को लॉन्‍च करने की तैयारी में है। इस मुहिम का मकसद मेडिकल टूरिज्‍म को बढ़ावा देना है। अनुमानों के मुताबिक, भारत में 2026 तक मेडिकल टूरिज्‍म मार्केट 13 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के आसार हैं। 2020 में यह छह अरब अमेरिकी डॉलर का था।

इस मुहिम के तहत सरकार ने दस हवाईअड्डों पर ट्रांसलेटर्स तैनात करने फैसला किया है। इसके लिए खास डेस्‍क बनाई जाएंगी। हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की मदद से एक बहुभाषी पोर्टल बनाया है। यहां विदेशी मरीजों को अलग-अलग सेवाओं के लिए हर तरह की जानकारी मिलेगी। विदेश से भारत आने वाले 100 में से 7 लोग सिर्फ मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए ही आते हैं। 2019 में 6,79,000 विदेशी सिर्फ इसी कारण से भारत आए। अब सवाल यह उठता है कि आखिर भारत में विदेश से लोग इलाज कराने क्‍यों आते हैं।

सस्‍ता है भारत में इलाज
भारत में इलाज कराने के लिए आने की सबसे बड़ी और पहली वजह सस्‍ता ट्रीटमेंट है। अमेरिका, यूरोप और दूसरे अमीर देशों के मुकाबले भारत में सर्जरी का खर्च सस्‍ता पड़ता है। उदाहरण के लिए अमेरिका से ही तुलना करते हैं। अमेरिका के मुकाबले भारत में इलाज की लागत 65-90 फीसदी कम है।

भाषायी बाधा नहीं
ज्‍यादातर भारतीय डॉक्‍टर और सर्जनों के साथ किसी भी तरह की भाषायी दिक्‍कतें नहीं हैं। वे सभी फर्राटेदार अंग्रेजी बोल लेते हैं। इससे मरीजों के लिए उनसे अपनी तकलीफ बता पाना आसान हो जाता है। यह बात ज्‍यादातर दूसरे मुल्‍कों में नहीं मिलती है।

विश्‍वस्‍तर की चिकित्‍सा सेवा
भारतीय डॉक्‍टरों ने पूरी दुनिया में झंडे गाड़े हैं। मेडिकल के क्षेत्र में बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेने वे विदेश जाते हैं। यह उनकी पहचान को बनाता है। भारत में चिकित्‍सा सेवाओं से जुड़े लोग काफी पेशेवर हैं। प्राइवेट ही नहीं, बल्कि सरकारी अस्‍पताल भी अत्‍याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। सभी तरह की डायग्‍नॉस्टिक फैसिलिटी भी यहां उपलब्‍ध हैं। इससे एक अच्‍छा इकोसिस्‍टम बन जाता है। साथ ही यह एक भरोसा भी पैदा करता है।

कई तरह की चिकित्‍सा पद्धतियां
एलोपैथी के अलावा भारत आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी चिकित्सा की भी पेशकश करता है। भारत की पारंपरिक मेडिसिन में बेहद अच्‍छी इमेज है। आयुर्वेद, योग और नैचुरोपैथी के क्षेत्र में वह लगातार प्रगति कर रहा है। इसके अलावा सरकार ने 12 राज्यों में अस्पतालों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए कहा है। इनमें दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात, केरल, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और असम शामिल हैं।

… पर एक साइड इफेक्‍ट भी
ये सभी बातें तो अच्‍छी हैं। लेकिन, मेडिकल टूरिज्‍म का एक साइड इफेक्‍ट भी है। इससे घरेलू लोगों के लिए इलाज का खर्च बढ़ता है। हाल में ट्रीटमेंट की कॉस्‍ट में लगातार इजाफा हुआ है। ऐसे में अच्‍छा यही होगा कि आप मेडिकल इंश्‍योरेंस जरूर लें।

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