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क्यों नही किया अडानी ने हिंडनबर्ग पर अमेरिकी अदालतों में मुकदमा ?

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हिंडनबर्ग

*पिछली बार जब हिंडनबर्ग ने अडानी पर आरोप लगाए थे तब अडानी ने कहा था कि वह उस पर अमेरिकी अदालतों में मुकदमा कर सकते है।* 

*क्या उन्होंने ऐसा किया?*

*नहीं*

*क्यों नही किया?*

*कोई भी व्यक्ति जिसकी कंपनी का मूल्य इतने कम समय में इतनी बड़ी मात्रा में बढ़ता है, उसने या तो गैस या तेल या यूरेनियम या प्लेटिनम जैसे विशाल प्राकृतिक संसाधन की खोज की होगी या फिर ऐसी महत्वपूर्ण तकनीक विकसित की होगी जो दुनिया में क्रांति ला सकती है। वरना वह कंपनी एक न एक दिन दिवालिया हो जायेगी।*

*यह अर्थशास्त्र का नियम है*

कोई भी इसे बदल नहीं सकता

बायजूस नहीं

अंबानी नहीं

अडानी नहीं

तो आप मुझे बताएं

क्या अडानी ने तेल कुआं खोजा या उन्होंने कैंसर या मधुमेह का इलाज विकसित किया?

अगस्त 2019 में अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर 130 रुपए था। जो दिसंबर 2022 में ₹4165 रुपए का हो गया। 

विकास दर दो सौ बाईस प्रतिशत प्रति वर्ष

अपने विकास के किसी भी चरण में IBM से अधिक

अपने विकास के किसी भी चरण में Microsoft से अधिक

Google, Facebook और हाँ Apple से भी अधिक.

*तो क्या अडानी ने ऐसी विधि का आविष्कार किया जो सूर्य की जगह ले सकती है? या क्या उन्होंने 1 एनएम चिप तकनीक का आविष्कार किया? या क्या उन्होंने एड्स का इलाज खोजा?  या फिर क्या उन्होंने 2000 साल के लिए पर्याप्त तेल वाला कोई तेल कुआं खोजा था?  और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो 3 साल में 222% की सालाना वृद्धि दर की वजह क्या है?*

*अडानी का विकास कागज पर बना एक मिथ है। जिसे एक न एक दिन ढहना तय है।*

*#Hindenburg #adani #घोरकलजुग*

शेयर मैनिपुलेशन.. 

हर्षद मेहता का यही अपराध था। बिगबुल के नाम से मशहूर हर्षद, जो खरीदना शुरू करते थे, उसकी कीमत में भारी उछाल आ जाता। 

बाद में पता चला कि वे कुछ दलालों की एक रिंग बनाकर काम करते। ये लोग चयनित शेयरों को ऊंचे भाव पर खरीदने लगते। लोग देखादेखी खरीदते। 

जब उनके रेट खूब चढ़ने लगते, तो हर्षद और उनके साथी मुनाफे पर बेचकर खूब पैसा कमाते। 

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भांडा दूसरी जगह से फूटा। 

इतने शेयर खरीदने, तेजी लाने के लिए अकूत पैसा चाहिए। हर्षद ने कुछ बैंको के बड़े अफसरों को सेट किया।

मान लीजिए आज बैंक में कैश रखा है- 300 करोड़। पर नहीं रखा है। 

असल मे वाल्ट में है मात्र 20 करोड़। 

बाकी कहाँ है- तो वह मेहता जी ने, चेयरमैन साहब से अनऑफिशियल उधारी लेकर  मार्किट में लगा दिया है। 

वो कम्प्यूटर का दौर नही था। हिसाब बराबर करने को फर्जी “बैंक रिसीट” लगा दी जाती। याने गैप का पैसा, फर्जी पावती लगाकर, दूसरे किसी बैंक को देना दिखा दिया जाता। 

कुछ समय बाद, ये पैसा हर्षद लौटा देता। खेल बढ़िया चल रहा था, की एक लेडी पत्रकार ने ट्रेस कर लिया, और भांडा फूट गया।

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शेयर घोटाला जब फूटा, वित्तमंत्री का इस्तीफा हुआ। कई बैंकों के अफसर नपे। नीचे से ऊपर सिस्टेमिक चेंज हुए। बैंको का कम्प्यूटराइजेशन हुआ। 

हालांकि ऐसा ही खेल बाद में केतन पारिख में खेला। वे भी अंततः धरे गए, जेल गए। सिस्टम में और सुधार हुए। 

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हिन्डनबर्ग उसी लेडी पत्रकार, सुचेता दलाल की तरह हैं। सुचेता को आगे चलकर, पद्मश्री मिली। हिंडनबर्ग को जार्ज सोरोस का दलाल और विदेशी टूलकिट होने की पदवी मिली। 

वैसे, शेयर मैनिपुलेशन आज भी अपराध है। 5 साल की जेल है, और ऐसे अपराध के आगम से बनाई सम्पत्तियो को राजसात किया जाना होता है। 

पर तब मामला 5000 करोड़ का था।आजकल ऐसे मैनिपुलेशन के लिए 5-7 लाख करोड़ लगेंगे। कहाँ से आएगा इतना धन?? 

आपको भी करना हो, 

तो मैं रास्ता बताता हूँ।।

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आप भारत मे एक कम्पनी बनाओ, 

दूसरी विदेश में।

मान लो, आप पॉवर प्लांट चलाते हैं। जिसमे 5 रुपये यूनिट का मुनाफा नार्मल है।लेकिन इसपे टैक्स भरना पड़ेगा। 

तब आप प्लांट का कोयला, अपनी ही विदेशी कम्पनीयो से, खूब महंगे में खरीदें। तो कमाएगी आपकी विदेशी कम्पनी, और घरेलू कम्पनी का लाभ केवल 5 पैसे का दिखेगा। 

घण्टा टैक्स ? हिहिहि।।

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अब आपका सारा मुनाफा आपकी विदेशी कम्पनी के खातों में धरा है। 

तो विदेश में टैक्स लगेगा न.. 

अरे नही भाई। आप विदेशी कम्पनी रजिस्टर कराओगे बहामा में, बरमूडा में, केमेंन आइलैंड, पनामा.. 

याने किसी टैक्स हैवन में।

सुसरा एक्को टैक्स नही। 

पर भइया, ये सब काम किसी भरोसे के आदमी से करवाना। मैं तो कहता हूँ कि अगर आपका एक भाई हो, तो उसको विदेश में सेटल कर दो, वोही ये सब गोरखधंधा देखेगा। 

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हां, तो अब यहां का पैसा, विदेश तो खूब भर भर के जमा हो गया। इसको इंडिया कैसे लाओगे। 

तो इसका भी रास्ता है न दोस्त। आप मॉरीशस में कम्पनी बनाओ। मॉरीशस से भारत की एक संधि है। वहां से अगर इन्वेस्टमेंट आता है, तो ज्यादा पूछताछ नही है, टैक्स नही है। 

तो केमेंन आइलैंड वाली कम्पनी का पैसा, मॉरीशस वाली कम्पनी में डालो। औऱ फिर मॉरीशस वाली कम्पनी इंडिया में इन्वेस्ट करेगी। शेयर खरीदेगी। 

सरकार भी खुश.. 

कहेगी, देखो कित्ता विदेशी निवेश आ रहा है। 

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उससे अपने ही शेयर खरीदो। इससे तुम्हारी कम्पनी का मूल्य बढ़ेगा। इतना बढ़ेगा की, शेयर गिरवी रख के 2 लाख करोड़ का लोन ले लो। 

इस लोन से फिर महंगा कोयला खरीदो, अपनी ही विदेशी कम्पनी से ओवर इंवॉयसिंग करके। 

धूम टैक्स बचाओ। फिर उसको मॉरीशस ट्रान्सफ़र करो। फिर उसको FDI दिखाकर यहां इन्वेस्ट करो। फिर लोन लो। 

फिर महंगा कोयला खरीदो।

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ऐसे करके, 10 साल में आप दुनिया के दूसरे अमीर बन जाओगे। 

एकदम आसान है न?? 

न, न, न!!

नही है। 

बाबू,ये क्राइम है, फ्रॉड है, 

टैक्स इवेजन है, मनी लांड्रिंग है।

आप धरा गए तो सात पुश्ते जेल में कटेंगी। 

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आप पूछो रास्ता क्या है? 

पूछो पूछो। 

मनीष भाई के पास सब इलाज है। 

तो मितरों, रास्ता ये है की एक पार्टी खरीदो, उसके लिए खजाना खोल दो। उसको हवाई जहाज दो, फंड दो, टीवी चैनल खरीदकर दो। लेकिन इससे ज्यादा जरूरी, उसे चूतिये ट्रोल खरीदकर दो।

इस तरह अपने देश में पब्लिक,और पूरे सत्ता प्रतिष्ठान को खरीद लो।फिर कभी कोई विदेशी रिसर्च फर्म तुम्हारा भांडा फोड़ भी दे, तो कुछ न बिगड़ेगा। 

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ये काम, हर्षद मेहता नही कर पाया। केतन पारिख नही कर पाया। बेचारे छोटे चोर थे।धर लिए गए। 

हर्षद जेल में गए, वहीं मौत हुई। 

पर मेरा नुस्खा आजमाएंगे, तो जेल नही जाएंगे। आप देश के जाने माने उद्योगपति, और राष्ट्र देश की अर्थव्यवस्था के कर्णधार कहलायेंगे। 

-मनीष सिंह

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